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Bihar Land News: बिहार में अब NH के लिए अधिग्रहित जमीन का नए तरीके से मिलेगा मुआवजा, सरकार ने जारी किया आदेश

Bihar Land News: बिहार सरकार ने NH परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण मुआवजा तय करने के तरीके में बदलाव किया है। अब जमीन का मूल्य खतियान के बजाय उसके वास्तविक बाजार मूल्य के आधार पर तय होगा।

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Sun, 07 Sep 2025 05:15:20 PM IST

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प्रतिकात्मक - फ़ोटो Google

Bihar Land News: बिहार में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने राष्ट्रीय उच्च पथ की परियोजनाओं हेतु किए जानेवाले भू-अर्जन की कार्रवाई में भूमि के किस्म/वर्गीकरण निर्धारण को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। एनएच एक्ट, 1956 के तहत अर्जनाधीन भूमि का किस्म/वर्गीकरण राज्य के मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग द्वारा निर्गत बाजार मूल्य निर्धारण संबंधी निर्देशों के आलोक में किया जाएगा।


इस संबंध में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह द्वारा सभी प्रमंडलीय आयुक्तों एवं जिला समाहर्ताओं को आदेश जारी किया गया है। उन्होंने कहा है कि भू अर्जन की कार्रवाई में महाधिवक्ता के परामर्श के अनुसार कार्य किया जाएगा। भूमि का वर्गीकरण खतियान में दर्ज किस्म के आधार पर किया जाता रहा है। किंतु लगभग 100 वर्ष पुराने खतियान में दर्ज भूमि किस्म एवं भूमि की वर्तमान उपयोगिता में भारी अंतर के कारण रैयतों की आपत्ति और राष्ट्रीय उच्च पथ प्राधिकरण के साथ विवाद उत्पन्न होते रहे हैं।


इसके बाद इस संदर्भ में राज्य के विद्वान महाधिवक्ता से परामर्श प्राप्त किया गया। उन्होंने एन०एच० एक्ट, 1956 की धारा 3जी तथा भू-अर्जन अधिनियम, 2013 की धारा 26 से 30 का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि प्रतिकर निर्धारण में खतियान पर निर्भरता उचित नहीं है। भूमि का वास्तविक बाजार मूल्य ही आधार होना चाहिए। इंडियन स्टांप ऐक्ट, 1899 में निहित प्रावधानों एवं मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग द्वारा निर्गत निर्देशों के आलोक में मूल्य निर्धारण किया जाना आवश्यक है।


महाधिवक्ता के परामर्श के आलोक में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने निर्णय लिया है कि एन०एच० एक्ट, 1956 के अंतर्गत की जानेवाली सभी भू-अर्जन कार्रवाइयों में भूमि किस्म/वर्गीकरण का निर्धारण मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग द्वारा निर्गत अनुदेशों के अनुसार किया जाएगा। इस निर्णय से भू-अर्जन की प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी, व्यवहारिक एवं न्यायसंगत बनेगी तथा रैयतों को वास्तविक बाजार मूल्य के अनुरूप राशि मिल सकेगी। इससे परियोजनाओं में होने वाले विलंब को भी कम किया जा सकेगा।