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1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Sat, 06 Sep 2025 02:34:15 PM IST
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Bihar News: मद्य निषेध विभाग के अफसरों के लिए न कोई कायदा है और न ही कानून. ऐसा दिखता है, जैसे इस विभाग पर बिहार सरकार का नियम लागू ही नहीं होता. यहां विभाग के अधिकारी जो चाहेंगे, वहीं करेंगे. इन्हें कोई मतलब नहीं , सही हो रहा या गलत. मैसेज क्या जायेगा, कोई फर्क नहीं पड़ता. यहां पैसा फेको तमाशा देखो..वाली कहानी है. क्या दूसरे विभाग के अफसर ऐसा करने की हिम्मत जुटा पायेंगे...? विभाग के आदेश के बाद भी दो महीने तक चहेते स्थानांतरित सरकारी सेवक को विरमित नहीं करेंगे ? दो माह बाद रिलीव करेंगे, सेटिंग होते ही रिवील वाली चिट्टी रद्दी की टोकरी में डाल देंगे? फिर उस सरकारी सेवक को वापस महत्वपूर्ण जगह पर पोस्टिंग कर देंगे ? ऐसा खेल मद्य निषेध विभाग के अधिकारी ही कर सकते हैं. क्यों कि यहां नीचे से लेकर ऊपर तक सिर्फ सेटिंग होता है.
मद्य निषेध विभाग में जारी है खेल,कहां है सुशासन की सरकार ?
मद्य निषेध विभाग में इस तरह का खेल पटना में किया जा रहा है. पटना के सहायक आयुक्त ने ऐसा काम किया है. चहेते के लिए कुछ भी करेंगे...किसी की परवाह नहीं. इसी फार्मूले पर पटना के सहायक आयुक्त मद्य निषेध ने काम किया है. विभाग ने 27 जून 2025 को बड़े पैमाने पर अवर निरीक्षक-सहायक अवर निरीक्षकों का ट्रांसफऱ किया था. उसी लिस्ट में एक सहायक अवर निरीक्षक अरविंद कुमार भी थे. विभाग ने तो स्थानांतरण आदेश जारी कर दिया. पर पटना के सहायक आयुक्त ने उक्त दारोगा को विरमित नहीं किया. कोई बात नहीं...आपने विरमित नहीं किया. पटना के सहायक आयुक्त ने लगभग 2 महीने बाद सहायक अवर निरीक्षक (अरविंद कुमार) को 19 अगस्त 2025 को लेटर NO - 3055 से स्थानांतरित जिला सहरसा के लिए विरमित किया. सहायक आयुक्त ने विरमित वाले पत्र में यह भी लिखा था कि इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाता है। अब जरा खेल को समझिए....पटना के जिस सहायक आयुक्त ने दारोगा अरविंद कुमार को अपने यहां से सहरसा जिला के लिए विरमित कर अपना हाथ काट लिया था, फिर वहां खेल कर दिया. अपने ही आदेश को पलट दिया. विरमित वाला अपना आदेश रद्दी की टोकरी में डाल दिया. जिस अधिकारी को उन्होंने छोड़ दिय़ा, उसे बिना ऊपरी आदेश के अपने ही हस्ताक्षर से अपने यहां तैनात कर लिया.
जिस दारोगा को दूसरे जिला के लिए विरमित किया, उसे फिर से जेपी सेतु पर तैनात किया
पटना के सहायक आयुक्त मद्य निषेध प्रेम प्रकाश ने 1 सितंबर 25 को कार्यालय आदेश संख्या - 3261 जारी किया. जिसमें उस सहायक अवर निरीक्षक अरविंद कुमार जिसे इन्होंने ही 19 अगस्त को सहरसा के लिए रिलीव किया था,उसे छापामार दल संख्या- 8 में राजधानी के JP सेतु पर तैनात कर दिया. यानि उस दारोगा के लिए पटना के सहायक आयुक्त ने सारी सीमाओं को लांघ दिया. जिस पर उनका कोई अधिकार नहीं, इसके बाद भी उसकी पोस्टिंग कर दी.
सवालों के घेरे में सहायक आयुक्त मद्य निषेध
हमने पटना के सहायक आयुक्त मद्य निषेध प्रेम प्रकाश से कई सवाल पूछे, हमने उसे पूछा कि यह तो गंभीर मसला है,यह कैसे संभव है ? जिसे आपने रिलीव कर दिया, उसे अपने क्षेत्र में कैसे तैनात कर सकते हैं ? क्या रिलीव करने के बाद भी आपका अधिकार बनता है ? पूरे मामले में आपका क्या कहना है ? इस पर सहायक आयुक्त ने जो जवाब दिया वह तो और भी हैरान करने वाला है. सुशासन के मुंह पर तमाचा मारने के समान है. सहायक आयुक्त का बयान इस बात को साबित करता है कि मद्य निषेध विभाग में सरकारी नियमावली नहीं, बल्कि मुंह का कानून है. यहां के अधिकारियों को कमिश्नर-सचिव-मंत्री का कोई डर नहीं. यहां वो जो चाहेंगे, वही कानून हो जायेगा.
सहायक आयुक्त का बयान हैरान करने वाला.....
पटना के सहायक आयुक्त मद्य निषेध प्रेम प्रकाश ने 1st Bihar/Jharkhand से बातचीत में कहा कि हां हमने सहायक अवर निरीक्षक अरविंद कुमार को रिलीव करने बाद फिर से पोस्टिंग की है. इसमें कोई गलत नहीं है. हमने उनको सहरसा जिला के लिए रिलीव कर दिया था, फिर हमने उनका रिलिविंग ऑर्डर रद्द कर दिया. हमें पता चला कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, तो हमने उनका विरमित करने वाला पत्र वापस ले लिया, इसमें कोई गलत नहीं है. कुछ समय के बाद उन्हें फिर से रिलीव कर दिया जायेगा. अगर किसी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो मानवता के नाते यह भी देखना होगा. सहायक आयुक्त अपने निर्णय को पूरी तरह से जायज ठहराते दिखे.