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1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Sun, 02 Nov 2025 01:16:57 PM IST
- फ़ोटो social media
Anant Singh: बिहार की राजनीति के बाहुबली चेहरों में शुमार पूर्व विधायक अनंत सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं। मोकामा में राजद नेता और जनसुराज समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या के मामले में जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी न केवल चुनावी सियासत में हलचल पैदा कर रही है, बल्कि अनंत सिंह के तीन दशक पुराने आपराधिक इतिहास को भी फिर उजागर कर रही है।
लंबा आपराधिक इतिहास और आतंक का दौर
अनंत सिंह का आपराधिक सफर अस्सी के दशक से शुरू हुआ। उस समय उनके परिवार, जिसे “अनंत कुनबा” कहा जाता था उसका नाम बाढ़ और मोकामा इलाके में आतंक का पर्याय था। उनके बड़े भाई दिलीप सिंह, जो बाद में मंत्री भी बने, पटना और आसपास के अपराध जगत में दबदबा रखते थे। धीरे-धीरे अनंत सिंह ने मोकामा-बाढ़ क्षेत्र में अपनी आपराधिक सत्ता कायम कर ली।
मुन्नी लाल और महेश सिंह की कहानी
80 के दशक में अनंत सिंह की गांव के ही मुन्नी लाल सिंह से खूनी अदावत शुरू हुई। इस संघर्ष में पहले अनंत सिंह ने मुन्नी लाल के कई रिश्तेदारों की हत्या करवाई, फिर मुन्नी लाल सिंह ने प्रतिशोध में अनंत के बड़े भाई विरंची सिंह की हत्या कर दी। कई वर्षों तक यह रक्तरंजित संघर्ष जारी रहा। बेगूसराय के पास मुन्नी लाल की हत्या के बाद बाढ़ इलाके में अनंत सिंह का ऐसा खौफ छा गया कि विरोध की आवाज उठाने वालों को भी चुप करा दिया गया। इसके बाद मोकामा के महेश सिंह से भी अनंत सिंह की दुश्मनी ठन गई। 1985 में मोकामा के जेपी चौक पर महेश सिंह की बम मारकर हत्या कर दी गई, जिसमें अनंत सिंह का नाम सामने आया।
राजनीति में प्रवेश और अपराध का सिलसिला
1985 में दिलीप सिंह ने मोकामा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, पर कांग्रेस के श्याम सुंदर सिंह धीरज से हार गए। राजनीतिक हार के बाद अनंत परिवार का आतंक और बढ़ गया। इस दौर में बाढ़ के कई राजपूत युवकों की हत्याएं हुईं। 1990 में दिलीप सिंह ने जनता दल से राजनीति की शुरुआत की। 1995 में उनके भाई सच्चिदानंद सिंह उर्फ फाजो सिंह ने बाढ़ से चुनाव लड़ा, लेकिन विवेका पहलवान के प्रभाव के कारण हार का सामना करना पड़ा। इस हार के बाद अनंत सिंह और विवेका पहलवान के बीच भीषण खूनी संघर्ष छिड़ गया, जिसमें दोनों पक्षों के कई लोग मारे गए।
बढ़ता अपराध और निर्दय वारदातें
साल 2000 में दिलीप सिंह को जीत सुनिश्चित करने के लिए सूरजभान समर्थक बच्चू सिंह की हत्या कर दी गई। बताया जाता है कि बच्चू सिंह को घर से खींचकर गोलियों से भूनने के बाद सिर भी काट लिया गया। यह घटना लंबे समय तक चर्चाओं में रही। 2014 में बाढ़ क्षेत्र में यादव समाज के पुटुस यादव और एक अन्य युवक की हत्या में भी अनंत सिंह का नाम सामने आया था, जिसमें उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
राजनीति बनाम अपराध
अनंत सिंह का राजनीतिक सफर जितना लंबा, उससे कहीं अधिक उनका आपराधिक इतिहास भयावह रहा है। “छोटे सरकार” के नाम से चर्चित अनंत सिंह अपने बेखौफ अंदाज और विवादित छवि के लिए जाने जाते हैं। अब दुलारचंद हत्याकांड में उनकी गिरफ्तारी ने एक बार फिर मोकामा और बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है।