Cyber Crime: बिहार में साइबर गिरोह का भंडाफोड़, पासवर्ड समेत मिले लाखों ईमेल अकाउंट

Cyber Crime: बिहार में बढ़ते साइबर क्राइम के मामलों के बीच मोतिहारी जिले में पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। स्थानीय साइबर थाना की टीम ने एक संगठित साइबर ठग गिरोह का पर्दाफाश किया है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 09 Sep 2025 08:35:22 AM IST

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साइबर ठगी - फ़ोटो GOOGLE

Cyber Crime: बिहार में बढ़ते साइबर क्राइम के मामलों के बीच मोतिहारी जिले में पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। स्थानीय साइबर थाना की टीम ने एक संगठित साइबर ठग गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिसके पास से करीब दस लाख जीमेल अकाउंट, पासवर्ड समेत बरामद किए गए हैं। इस मामले में नेपाल, मैक्सिको और यूक्रेन जैसे अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन भी सामने आए हैं, जिससे यह मामला और भी गंभीर हो गया है।


प्रारंभिक जांच में पता चला है कि इन जीमेल अकाउंट्स का उपयोग नेपाल में संचालित वैध ऑनलाइन कसीनो और सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म में किया जा रहा था। गिरोह के सदस्य भारतीय नागरिकों से उनका ईमेल आईडी, पासवर्ड, मोबाइल नंबर, व्हाट्सएप, फेसबुक, यूट्यूब, टेलीग्राम ग्रुप की जानकारी समेत अन्य डिजिटल दस्तावेज धोखे से प्राप्त कर रहे थे। पुलिस को आशंका है कि साइबर ठगी से हासिल की गई ब्लैक मनी को ऑनलाइन सट्टेबाजी के जरिये सफेद किया जा रहा था, जो मनी लॉन्ड्रिंग के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की ओर इशारा करता है।


पुलिस को यह भी शक है कि इतनी बड़ी मात्रा में डाटा या तो डार्क वेब से खरीदा गया है या फिर किसी प्राइवेट कंपनी के डाटा सिक्योरिटी सिस्टम को ब्रीच कर चुराया गया है। साइबर अपराधियों के पास बरामद कंप्यूटर, लैपटॉप और पेन ड्राइव्स में पासवर्ड सहित डाटा सेव पाया गया है। इस पूरे नेटवर्क की तकनीकी जांच के लिए इकोनॉमिक ऑफेंसेज यूनिट (EOU) मोतिहारी साइबर पुलिस को सहयोग दे रही है। इसके अलावा दूरसंचार विभाग से भी मदद ली जा रही है ताकि यह पता चल सके कि इन जीमेल अकाउंट्स को किन मोबाइल नंबरों से सक्रिय किया गया था और यह नंबर किस कंपनी के हैं।


गिरोह के पास से मैक्सिको के नागरिक का ड्राइविंग लाइसेंस, यूक्रेन का शैक्षणिक प्रमाणपत्र और कई अन्य फर्जी दस्तावेज बरामद किए गए हैं। इसके अलावा, इस गिरोह में नेपाल के नागरिक रवि यादव की संलिप्तता भी उजागर हुई है, जो फिलहाल फरार है। पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। साइबर अपराधियों को डाटा उपलब्ध कराने वाले मुख्य व्यक्ति की पहचान हो चुकी है, लेकिन वह अभी तक पुलिस की पकड़ से बाहर है। अधिकारियों का कहना है कि उसकी गिरफ्तारी के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि यह डाटा कहां से आया और इसका मुख्य उद्देश्य क्या था।


जांच एजेंसियां अब इन मोबाइल नंबरों के सीरीज और पैटर्न का विश्लेषण कर रही हैं कि कहीं यह कोई विशेष टेलीकॉम प्रदाता की साजिश तो नहीं है। इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि क्या यह एक संगठित साइबर नेटवर्क का हिस्सा है, जो टेलीकॉम कंपनियों के माध्यम से सक्रिय है। मोतिहारी में सामने आया यह मामला केवल एक जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे जुड़े तार नेपाल, डार्क वेब, अंतरराष्ट्रीय दस्तावेजों और सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म तक जुड़े हुए हैं। यह मामला भारत में साइबर अपराध, डेटा चोरी, ऑनलाइन सट्टेबाजी और मनी लॉन्ड्रिंग के खतरनाक गठजोड़ की ओर इशारा करता है।