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Natural Hydrogen: धरती की गहराइयों में मिला खजाना, 1.70 लाख साल तक दुनिया को नहीं होगी स्वच्छ ऊर्जा की कमी

Natural Hydrogen: ऑक्सफोर्ड, डरहम, टोरंटो वैज्ञानिकों की खोज, धरती की क्रस्ट में मिला हाइड्रोजन का खजाना, 1.70 लाख साल तक स्वच्छ ऊर्जा।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 20 May 2025 08:04:47 AM IST

Natural Hydrogen

प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google

Natural Hydrogen: ऊर्जा संकट से जूझ रही दुनिया के लिए एक क्रांतिकारी खोज सामने आई है। यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड, डरहम यूनिवर्सिटी और टोरंटो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की कॉन्टिनेंटल क्रस्ट में प्राकृतिक हाइड्रोजन का विशाल भंडार खोजा है, जो अगले 1.70 लाख वर्षों तक मानवता की ऊर्जा जरूरतें पूरी कर सकता है.. वह भी बिना कार्बन उत्सर्जन के। इस खोज ने स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में नई संभावनाएं खोल दी हैं। नेचर रिव्यूज अर्थ एंड एनवायरनमेंट में 13 मई 2025 को प्रकाशित इस शोध ने हाइड्रोजन उत्पादन, संचलन, संचय और संरक्षण की प्रक्रियाओं को विस्तार से बताया है, जो उद्योगों को स्वच्छ हाइड्रोजन खोजने में मदद करेगा।


हाइड्रोजन वर्तमान में 135 अरब डॉलर का उद्योग है, जो उर्वरक उत्पादन में आधी वैश्विक आबादी के खाद्य आपूर्ति के लिए जरूरी है। यह भविष्य की स्वच्छ ऊर्जा प्रणालियों का आधार भी है, जिसका बाजार 2050 तक 1,000 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। अभी हाइड्रोजन का उत्पादन हाइड्रोकार्बन से होता है, जो वैश्विक CO2 उत्सर्जन का 2.4% हिस्सा है। लेकिन नई खोज बताती है कि पृथ्वी की क्रस्ट में पिछले एक अरब वर्षों में इतना हाइड्रोजन बना है कि यह मानवता की ऊर्जा जरूरतों को 1.70 लाख साल तक पूरा कर सकता है। हालांकि, इसका कुछ हिस्सा खो गया, उपभोग हो गया या पहुंच से बाहर है, फिर भी बचा हुआ हाइड्रोजन स्वच्छ और उत्सर्जन-मुक्त ऊर्जा का स्रोत हो सकता है।


शोध के अनुसार, प्राकृतिक हाइड्रोजन दो मुख्य प्रक्रियाओं से बनता है:  

वॉटर-रॉक रिएक्शन: अल्ट्रामैफिक चट्टानों (जैसे पेरिडोटाइट) में फेरस आयरन (Fe2+) का ऑक्सीकरण फेरिक आयरन (Fe3+) में होता है, जिससे हाइड्रोजन निकलता है। यह प्रक्रिया हजारों से लाखों वर्षों तक चलती है।  

रेडियोलिसिस: ऊपरी क्रस्ट में यूरेनियम, थोरियम और पोटैशियम जैसे रेडियोधर्मी तत्व पानी को तोड़कर हाइड्रोजन बनाते हैं। यह प्रक्रिया लाखों से करोड़ों वर्षों तक चल सकती है।


ये हाइड्रोजन चट्टानों में प्रवास करता है और सही भूवैज्ञानिक परिस्थितियों में जमा हो जाता है। ये परिस्थितियां विश्व भर में सामान्य हैं, जैसे कि कनाडा के प्रीकैम्ब्रियन शील्ड, बड़े आग्नेय प्रांत, और प्राचीन ग्रीनस्टोन बेल्ट। इस शोध ने पृथ्वी के मेंटल से हाइड्रोजन की संभावना को खारिज कर दिया है, यह पुष्टि करते हुए कि क्रस्ट में ही पर्याप्त भंडार हैं।


हाइड्रोजन खोजने में सबसे बड़ी बाधा यह है कि अब तक इसका नमूना लेना और मापना सीमित रहा है। वैज्ञानिकों ने एक “एक्सप्लोरेशन रेसिपी” विकसित की है, जो चट्टानों के प्रकार, पानी की उपस्थिति, तापमान, और भूवैज्ञानिक इतिहास पर आधारित है। ऑक्सफोर्ड के प्रोफेसर क्रिस बैलेंटाइन ने इसे सूफले बनाने की प्रक्रिया से तुलना की, जहां सामग्री, मात्रा, समय और तापमान का सही संयोजन जरूरी है। डरहम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन ग्लूयास ने बताया कि हीलियम की खोज के लिए पहले से विकसित रणनीति को हाइड्रोजन के लिए अनुकूलित किया गया है। टोरंटो यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर बारबरा शेरवुड लोलार ने चेतावनी दी कि भूमिगत सूक्ष्मजीव हाइड्रोजन को तेजी से खा लेते हैं, इसलिए ऐसी जगहों से बचना जरूरी है जहां ये जीव सक्रिय हों।