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Satyajit Ray: सत्यजीत रे का पुश्तैनी घर टूटने से बचा, बांग्लादेश ने मान ली भारत की अपील

Satyajit Ray: बांग्लादेश ने सत्यजीत रे के दादा उपेंद्रकिशोर रे चौधरी के मैमनसिंह स्थित पुश्तैनी घर को तोड़ने का फैसला रोक दिया है। भारत और ममता बनर्जी की अपील के बाद अब समिति तय करेगी संरक्षण।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 17 Jul 2025 09:49:37 AM IST

Satyajit Ray

सत्यजीत रे का पुश्तैनी घर टूटने से बचा - फ़ोटो Google

Satyajit Ray: बांग्लादेश के मैमनसिंह जिले में स्थित महान फिल्मकार सत्यजीत रे के दादा उपेंद्रकिशोर रे चौधरी के 100 साल पुराने पुश्तैनी घर, जिसे पूर्णलक्ष्मी भवन के नाम से जाना जाता है, उसको तोड़ने का फैसला बांग्लादेश सरकार ने भारत और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अपील के बाद रोक दिया है। भारत सरकार ने इस ऐतिहासिक इमारत को साहित्यिक संग्रहालय में बदलने और इसके पुनर्निर्माण में सहयोग की पेशकश की थी, जिसे बांग्लादेश ने स्वीकार कर लिया है। अब एक समिति गठित की गई है जो इस धरोहर के संरक्षण और उपयोग के तरीकों पर निर्णय लेगी।


भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बांग्लादेश सरकार के इस घर को बंगाली सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक बताते हुए इसके तोड़ने के फैसले पर गहरा खेद जताया था। मंत्रालय ने कहा “इस इमारत का ऐतिहासिक महत्व है। इसे ध्वस्त करने के बजाय मरम्मत और पुनर्निर्माण कर साहित्यिक संग्रहालय और भारत-बांग्लादेश की साझा संस्कृति के प्रतीक के रूप में विकसित किया जा सकता है।” भारत ने इसके लिए हरसंभव सहायता की पेशकश की थी।


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी भावनात्मक अपील करते हुए लिखा था “सत्यजीत रे के दादा उपेंद्रकिशोर रे चौधरी का पुश्तैनी घर बंगाली संस्कृति की आत्मा से जुड़ा है, उसको तोड़ा जाना दुखद है। मैं बांग्लादेश सरकार और जागरूक नागरिकों से इसे बचाने की अपील करती हूं।” उनकी इस अपील ने भारत और बांग्लादेश में सांस्कृतिक संगठनों और इतिहासकारों का ध्यान खींचा था।


बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार यह घर पिछले 10 वर्षों से जर्जर हालत में था और इसका उपयोग मैमनसिंह शिशु अकादमी के रूप में होता था। स्थानीय अधिकारियों ने इसे खतरनाक बताते हुए एक नई अर्ध-कंक्रीट संरचना बनाने के लिए ध्वस्त करने का फैसला लिया था। हालांकि, भारत के कूटनीतिक हस्तक्षेप और स्थानीय सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद बांग्लादेश सरकार ने विध्वंस कार्य रोक दिया। अब गठित समिति यह तय करेगी कि इस इमारत को कैसे संरक्षित किया जाए और इसे सांस्कृतिक केंद्र या संग्रहालय में कैसे बदला जाए।