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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 28 Nov 2023 07:51:14 AM IST
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PATNA : बिहार की राजनीति के सबसे बड़े दलित चेहरा और अपनी कुशल राजनीतिक फैसलों के कारण मौसम वैज्ञानिक के नाम से चर्चित रामविलास पासवान ने 28 नवंबर 2000 को जनता दल से अलग होकर आज के दिन लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया था। इसके बाद यह पार्टी काफी तेजी से पनपी और जबतक रामविलास पासवान राजनीति करते रहे तब तक यह पार्टी कभी विपक्ष में नहीं रही। लेकिन, अब इस पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न दोनों अस्तित्व में नहीं है। इसके बाबजूद पार्टी का स्थापना दिवस मनाने की होड़ मची।
दरअसल, लोजपा से अलग होकर अपनी-अपनी पार्टी बनाने वाले रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस और उनके पुत्र चिराग पासवन दोनों ने आज मंगलवार को लोजपा का स्थापना दिवस मनाने की घोषणा की है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि कहीं यह पार्टी चाचा-भतीजे की राजनीतिक महात्वाकांझा की भेंट तो नहीं चढ़ गई। क्योंकि, रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न डिजाल्व कर दिया गया। ऐसे में सवाल फिर है कि जिस राजनीतिक दल का आज अस्तित्व ही नहीं है आखिर क्यों उसके स्थापना दिवस मनाने की होड़ लगी है।
मालूम हो कि, 8 अक्टूबर 2020 को रामविलास पासवान का निधन हो गया था। उनके निधन के एक साल बाद ही उनकी बनाई हुई पार्टी लोजपा दो हिस्सों में बंट गयी थी। लोक जनशक्ति पार्टी को चुनाव आयोग ने भले ही डिजॉल्व कर दिया है, लेकिन दोनों राजनीतिक दल अलग - अलग नाम से मैदान में हैं। ऐसे में चाचा पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति और भतीजे चिराग की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) आज 28 नवंबर मंगलवार को पुरानी लोजपा 24वां स्थापना दिवस मना रहे हैं।
जानकारी हो कि,पशुपति पारस रामविलास पासवान के गढ़ हाजीपुर में अपना दमखम दिखाने जा रहे हैं। तो चिराग पासवान पटना के बापू सभागार में कार्यक्रम करेंगे। स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को चिराग पासवान ने सोशल मीडिया एक्स पर बिहार की जनता को संदेश भेजा था. उसमें लिखा था कि 'वह उस घर में दिया जलाने चले हैं जहां सदियों से अंधेरा है'।
आपको बताते चलें कि, रामविलास पासवान के निधन के बाद चिराग और पशुपति पारस के राजनीतिक महत्वाकांक्षा टकराने लगे थे. इस बीच चिराग ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया। ऐसे में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। इसके बाद दोनों के बीच मतभेद गहरे होते चले गए। उसके बाद पशुपति कुमार पारस गुट ने चिराग को राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय दल के नेता के पद से हटा दिया। इसके बाद दोनों गुटों ने पार्टी पर दावा ठोक। जिसके बाद चुनाव ने दोनों को अलग-अलग नाम और सिंबल दिये।