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Acharya Kishore Kunal Passed Away: जानिए वो कहानी जब किशोर कुणाल से सरकार कांपने लगी थी

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 29 Dec 2024 12:13:59 PM IST

Acharya Kishore Kunal Passed Away: जानिए वो कहानी जब किशोर कुणाल से सरकार कांपने लगी थी

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PATNA : पूर्व IPS अधिकारी और महावीर मंदिर न्यास के सचिव, अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के संस्थापकों में से एक आचार्य किशोर कुणाल के आकस्मिक निधन के बाद बिहार ही नहीं बल्कि पूरा देश स्तब्ध है. 74 साल के आचार्य किशोर कुणाल का रविवार सुबह निधन हो गया है. आज ही सुबह उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ था, जिसके  बाद तुरंत महावीर वात्सल्य अस्पताल ले जाया गया. लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका.


मौजूदा दौर में लोग उन्हें पटना के महावीर मंदिर, मंदिर ट्रस्ट की ओर से चलाए जा रहे अस्पतालों और अयोध्या के राम मंदिर मंदिर में उनकी भूमिका के लिए जानते हैं. लेकिन किशोर कुणाल IPS की नौकरी के दौरान सबसे पहले चर्चे में आए थे. 1972 बैच के IPS अधिकारी किशोर कुणाल ने पुलिस की नौकरी के दौरान ऐसी कई उपलब्धियां हासिल की, जिससे पूरे देश में उनकी चर्चा होती थी.


हिल गई थी बिहार सरकार

आचार्य किशोर कुणाल गुजरात कैडर के IPS अधिकारी थे. करियर की शुरुआत उन्होंने गुजरात के आनंद में SP पद से की थी. बाद में उन्हें अहमदाबाद का DCP बनाया गया था. लेकिन किशोर कुणाल सबसे ज्यादा चर्चे में तब आए जब वे अपने गृह राज्य बिहार पहुंचे. 1983 में किशोर कुणाल का तबादला बिहार कैडर में कर दिया गया. 

बिहार में तब डॉ जगन्नाथ मिश्रा की अगुआई वाली कांग्रेस की सरकार थी. उस दौर में राजधानी पटना में आपराधिक घटनाएं बढ़ रही थी. परेशानी में पड़ी सरकार ने गुजरात कैडर से आए कड़क और ईमानदार छवि के अधिकारी किशोर कुणाल को पटना के SP पद की जिम्मेवारी सौंपी. लेकिन, किशोर कुणाल की ईमानदारी ने तत्कालीन सरकार को हिला दिया था.


पटना का बॉबी कांड

1983 में ही पटना में बहुचर्चित बॉबी कांड हुआ था. श्वेतनिशा त्रिवेदी उर्फ बाॅबी नाम की युवती की हत्या कर उसके शव को दफना दिया गया था. पटना में चर्चा आम थी कि कांग्रेस के एक दिग्गज नेता के बेटे और उसके गुर्गों ने बॉबी का रेप करने के बाद हत्या कर दिया और लाश को दफना दिया. 

FIR तक दर्ज नहीं हुई 

बॉबी हत्याकांड में रसूखदारों के खौफ का आलम ये था कि उस हत्याकांड को लेकर श्वेतनिशा त्रिवेदी उर्फ बाॅबी की उप माता राजेश्वरी सरोज दास तक पुलिस से शिकायत करने को तैयार नहीं थीं. मामला एक तरीके से रफा दफा किया जा चुका था लेकिन तभी किशोर कुणाल की इस केस में एंट्री हो गई.


बिहार के सबसे वरिष्ठ पत्रकारों में से एक सुरेंद्र किशोर ने उस घटना का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है- 1983 में पत्रकार के रूप में कुणाल साहब के संपर्क में आने का मुझे अवसर मिला था.  तब मैंने और मेरे पत्रकार मित्र परशुराम शर्मा ने बाॅबी हत्या कांड की खबर दी थी. मैं दैनिक आज और परशुराम जी दैनिक प्रदीप में काम करते थे.


बेहद सनसनीखेज था बॉबी कांड 


सुरेंद्र किशोर के मुताबिक बॉबी कांड एक ऐसा सनसनीखेज कांड था,जिसकी रिपोर्टिंग करके हमने भारी खतरा मोल लिया था. लेकिन कुणाल साहब ने उस केस को आगे बढ़ाकर हमें किसी खतरे से मुक्त कर दिया था. यदि उस समय पटना के वरीय एस.पी.के पद पर किशोर कुणाल नहीं होते तो राजनीतिक रूप से वह अत्यंत संवेदनशील कांड दबा दिया जाता और गलत खबर देने का आरोप हम पर लगाया जा सकता था.


वरीय पत्रकार सुरेंद्र किशोर के मुताबिक उस हत्याकांड को लेकर श्वेतनिशा त्रिवेदी उर्फ बाॅबी की माता राजेश्वरी सरोज दास तक भयवश पुलिस से शिकायत करने को तैयार नहीं थीं. क्योंकि उस कांड में प्रत्य़क्ष-परोक्ष रूप से बड़ी-बड़ी हस्तियों के नाम आ रहे थे. ऐसे मामले में कोई प्राथमिकी न हो,पुलिस को कोई सूचना न हो फिर भी खबर छाप देना बड़ा जोखिम भरा काम था. सुरेंद्र किशोर ने लिखा है कि ऐसे माहौल के बावजूद  हम दो संवाददाताओं ने तय किया कि यह खतरा उठाया जाये.

 मई, 1983 में आज और प्रदीप में एक साथ वह सनसनीखेज खबर छपी. मेरी खबर के साथ ‘‘आज’’ का शीर्षक था-‘‘बाॅबी की मौत से पटना में सनसनी.’’


कब्र से निकाला गया शव


पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के मुताबिक अखबार में हत्या की खबर छपते ही दोनों अखबारों की खबरों को आधार बना कर पटना पुलिस ने सचिवालय थाने में अप्राकृतिक मौत का केस दर्ज किया और जांच शुरू कर दिया. किशोर कुणाल ने बेहद बड़ा कदम उठाया और ईसाई कब्रगाह से बाॅबी की लाश निकाली गई. पोस्टमार्टम कराया गया. वेसरा में जहर पाया गया. यानि बॉबी की मौत के पीछे मामला कुछ और था.


सरकार ने मामले को ऐसे दबाया

पत्रकार सुरेन्द्र किशोर ने लिखा है कि इस मामले की जांच कर रही पटना पुलिस ने दो चश्मदीदों का बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष कराया लिया था. जांच निर्णायक दौर में पहुंचने लगी और बड़ा खुलासा होने वाला था. लेकिन इसी दौरान इस केस को सी.बी.आई.के हवाले कर दिया गया. इसलिए क्योंकि बड़ी हस्तियां फंस रही थीं. 


सुरेंद्र किशोर के मुताबिक उच्चत्तम स्तर से हुए हस्तक्षेप के कारण सी.बी.आई.ने मामला रफादफा कर दिया. लेकिन लोगबाग तो बात समझ ही गये थे कि मामला क्या है. उस बीच भारी दबाव की परवाह किये बिना कुणाल ने अत्यंत विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी ड्यूटी निभाई. उन दिनों एक IAS अफसर आर.के.सिंह पटना के डी.एम.थे जो बाद में केंद्रीय मंत्री बने. सुरेंद्र किशोर जी के मुताबिक  शानदार पुलिस सेवा और सामान्य जन की अद्भुत सेवा के क्षेत्रों में किशोर कुणाल का योगदान सदा याद किया जाएगा. अपने पुलिस सेवा पर उन्होंने ‘‘दमन तक्षकों का’’ नाम से उनकी करीब  500 पृष्ठों की जीवनी लिखी थी. ये किताब नयी पीढ़ी को प्रेरित करती रहेगी.