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एडवांटेज केयर मिशन हेल्थ की पहल: डॉ. फारिया ने बताया- कोविड से उबरने वाले 90 प्रतिशत लोगों को फंगल इंफेक्शन नहीं होता

1st Bihar Published by: Updated Fri, 02 Jul 2021 06:07:54 PM IST

एडवांटेज केयर मिशन हेल्थ की पहल: डॉ. फारिया ने बताया- कोविड से उबरने वाले 90 प्रतिशत लोगों को फंगल इंफेक्शन नहीं होता

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PATNA : एडवांटेज केयर मिशन हेल्थ की ओर से एक अच्छी पहल की गई है. कस्तूरबा हॉस्पिटल में पिछले पांच वर्षों से लोगों का इलाज कर रही ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. फारिया अख्तर ने बताया कि कोविड से उबरने वाले 90 प्रतिशत लोगों को फंगल इंफेक्शन नहीं होता है. कोविड के दौरान भी डॉ. फारिया अख्तर ने कई लोगों को इलाज किया. ब्लैक फंगस से ग्रसित मरीजों का भी इलाज कर चुकी हैं. डॉ. फारिया अख्तर की स्कूलिंग पटना के नॉट्रेडम एकेडमी से हुई है. यहां से 12वीं करने के बाद मणिपाल पोखरा से वर्ष 2017 में एमबीबीएस किया है और ईएनटी में पोस्ट ग्रेजुएशन मणिपाल कस्तूरबा से  कर रही हैं. इसी वर्ष कोर्स खत्म हो जाएगा. 


पेश है उनसे बातचीत के अंश-
प्रश्न: कोविड से उबरने के बाद लोगों में नाक से संबंधित क्या समस्या देखी आपने?

उत्तर: कोविड निगेटिव होने के बाद भी कई लोगों को लगता है कि उन्हें गंध महसूस नहीं हो रहा है। ऐसी समस्या होती है। ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। कुछ दिन या सप्ताह में यह समस्या स्वत: समाप्त हो जाती है। यदि चाहते हैं कि समस्या जल्दी समाप्त हो तो अपने नाक को ट्रेंड करने की आवश्यकता होती है। कॉफी, नींबू या वेनिला नाक के पास ले जाकर उसका गंध लें। इससे सूंघने की क्षमता जल्दी वापस आ जाती है।


प्रश्न: कोविड से उबरे मरीजों में फंगल इंफेक्शन की बड़ी समस्या देखी गई। लोग काफी डरे हुए हैं। इस पर क्या कहेंगी?
उत्तर: कोरोना वायरस से उबरने वाले 90 प्रतिशत लोगों को फंगल इंफेक्शन नहीं होता है। खासकर जो कोविड के दौरान अस्पताल में भर्ती नहीं हुए, उनमें यह समस्या नहीं देखने को मिली है। यदि किसी को मधुमेह है और कोविड के दौराना वह अनियंत्रित हो गया, ऑक्सीजन भी लगाना पड़ा और इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिया गया। उन्हीं को ब्लैक फंगस या फंगल इंफेक्शन का डर होता है। शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से फंगल इंफेक्शन होता है।


प्रश्न: ब्लैक फंगल से संक्रमित होने के क्या लक्षण हैं?
उत्तर: कोरोना से उबरने के दो से तीन माह तक ब्लैक फंगस होने की ज्यादा आशंका होती है ख़ास कर की उनको जिनका शुगर कंट्रोल में नहीं है। इसमें चेहरे के एक साइड में दर्द, आंखों से पानी आना, धुंधलापन, रौशनी कम होना, दांत में दिक्कत महसूस होना, मुंह खोलने पर अंदर जख्म का एहसास होना, नाक से काला पदार्थ गिरना आदि ब्लैक फंगस के मुख्य लक्षण हैं। ऐसा हो तो तत्काल डॉक्टर से दिखाएं। सर्जरी के माध्यम से ब्लैक फंगस को निकाला जाता है। फिर कुछ दिनों तक एक इंजेक्शन दिया जाता है। इंफेक्शन साधारण होने पर टेबलेट भी दी जाती है।


प्रश्न: कुछ डॉक्टर का कहना है कि मरीज को ऑक्सीजन लगाने से ब्लैक फंगस का कोई संबंध अभी तक स्थापित नहीं हो पाया है। इस पर क्या कहेंगी?
उत्तर: जो मधुमेह से ग्रसित हैं, जो की अब भी अनियंत्रित है और स्टेरॉयड लिया है और जिन्को औद्योगिक सिलेंडर वाला ऑक्सीजन लगा है जो की मेडिकल ग्रेड नहीं है तभी ब्लैक फंगस अटैक हो सकता है।


प्रश्न: कोरोना से निगेटिव हुआ कोई व्यक्ति यदि चाहता है कि वह ब्लैक फंगस से संक्रमित न हो तो क्या कोई उपाय मौजूद है?
उत्तर: अभी तक तो ऐसा नहीं है। फिर भी कुछ सावधानियां बरती जा सकती हैं। जैसे-तत्काल अपने शरीर का शुगर का स्तर नियंत्रित करें, नाक और चेहरे का ख्याल रखें, साफ-सफाई का ख्याल रखें और साफ-सुथरा मास्क पहने। मास्क लगातार बदलते रहें।


प्रश्न: ब्लैक फंगस शरीर में किस भाग से प्रवेश करता है?
उत्तर: मुख्यत: नाक से ही प्रवेश करता है। नाक से प्रवेश करने के बाद यह चेहरा, जबड़ा, आंख या मस्तिष्क की तरफ जा सकता है। ब्लैक फंगस जब नाक से प्रवेश करता है और वहां उसे शुगर मिलता है तो वह वहीं अपना डेरा जमा लेता तथा प्रसार करना शुरू कर देता है।


प्रश्न: यदि किसी को ब्लैक फंगस का अटैक हो जाता है तो कौन-कौन से डॉक्टर इलाज करते हैं?
उत्तर: सबसे पहले तो ईएनटी (नाक, कान और गला) के डॉक्टर देखते हैं। यदि आंख की समस्या है तो आंख के डॉक्टर भी देखेंगे। स्कैन में पता चलता है कि फंगस मस्तिष्क की ओर बढ़ रहा है तो न्यूरो सर्जन भी देखते हैं। सर्जरी के बाद अंत में मेडिसिन के डॉक्टर एंफोटिसिन दवा या इंजेक्शन देते हैं।


प्रश्न: कोविड और एलर्जी में कैसे फर्क जानें?
उत्तर: आंखों में खुजली है तो एलर्जी हो सकता है। लेकिन बुखार आ रहा है तो कोविड के लक्षण हो सकता है। इसी तरह यदि बार-बार छींक आ रही है, नाक भी बह रहा, लेकिन यह ठीक हो जाता है तो भी एलर्जी हो सकता है। यदि गंध नहीं आ रही है, डायरिया और बुखार है तो यह कोविड हो सकता है। इसकी जांच करा लें।


प्रश्न: कोरोना के दौरान या कोराना के बाद सिरदर्द और नाक बंद की समस्या होती है। कैसे निपटें?
उत्तर: यदि यह समस्या है तो घबराए नहीं। स्थानीय डॉक्टर नाक खोलने की दवा देते हैं। नाक खोलने का तरीका घर में भी अपनाया जा सकता है। गुनगुना पानी में नेजोक्लीयर नैजल वॉश दवा डालकर नाक को सात-आठ दिन तक अच्छे से धोएं। लेकिन इससे ज्यादा दिन तक नहीं धोना है अन्यथा इसकी आदत पड़ जाएगी। यदि फिर भी नाक नहीं खुले तो डॉक्टर से मिलें।


प्रश्न: गले में खरास होने की समस्या भी होती है। इससे कैसे निपटा जाए?
उत्तर: कोविड में या अन्य कारणों से गला में खरास होने की समस्या होती है। कोविड निगेटिव होने के बाद भी यह समस्या बनी रहती है। ऐसे में गुनगुना पानी में नमक डालकर गारगल किया जाना चाहिए। यह दिन में अधिकतम दो से तीन बार किया जा सकता है। यदि किसी को गले में दर्द है तो गुनगुना पानी में एक ढक्कन बिटाडीन दवा डालकर गारगल करना चाहिए। यह तरीका दो सप्ताह तक अपनाया जा सकता है। बावजूद यदि खरास ठीक न हो तो डॉक्टर से मिलें।


प्रश्न: लोग नाक में डालनेवाला स्टेयरायड स्प्रे से भी डर रहे हैं। क्या डरना जायज है?
उत्तर: स्टेयरॉयड नेजल स्प्रे एलर्जी को नियंत्रित करता है। यह स्टेयरॉयड सुरक्षित है। इससे ब्लैक फंंगस की कोई समस्या सामने नहीं आई है। बंद नाक को खत्म करने के लिए यह दवा इस्तेमाल किया जाता है। मधुमेह वाले भी यह स्प्रे ले सकते हैं।


प्रश्न: कोरोना के टीकाकरण पर क्या कहेंगी?
उत्तर: जितना अधिक और तेजी से कोरोना का टीकाकरण होगा, यह बीमारी उतनी सही तरीके से नियंत्रित होगी। यदि हम कोरोना का टीका लगा लेते हैं और कोविड हो जाता तो आईसीयू में जाने की नौबत बेहद कम हो आएगी। मतलब,  कोरोना संक्रमण होने के बाद स्थिति गंभीर नहीं होगी। इसलिए आम लोगों से गुजारिश है कि वो कोरोना का टीका जरूर लगवाएं।