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1st Bihar Published by: Updated Wed, 20 May 2020 01:07:41 PM IST
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DESK : दुनिया को “कोरोना वायरस” तोहफे में देने का खामियाजा अब चीन को भुगतना पड़ रहा है. अमेरिका सहित कई देश इस के लिए चीन को जिम्मेदार मानते हैं. चीन पर इस बीमारी की जानकारी छुपाने का आरोप भी लग रहा है. आर्थिक दृष्टी से देखा जाये तो विश्व की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है. जिसे वापस पटरी पर लाने में शायद कई साल लग जायेंगे. चीन को खुद इस महामारी का बहुत बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा है. पर उसकी मज़बूरी ये है कि वो इसे जग जाहिर नहीं होने दे सकता है.
चीन को अब इस गलती की सजा भी मिलने लगी है. वहां से अब तमाम बड़ी कंपनियां पलायन करने का मन बना ली हैं. जिसमे से अधिकतर कंपनियां चीन से निकलकर भारत में अपना मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगान चाहती हैं. कंपनियों द्वारा लिए गए इस निर्णय से चीन नाखुश है. चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में कहा है कि लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था प्रभावित होने के बावजूद भारत बड़ा सपना देख रहा है, लेकिन चीन का विकल्प नहीं बन पाएगा. उसने चीन से भारत की तुलना करने पर वेस्टर्न मीडिया को दलाल तक कह दिया.
मीडिया रिपोर्ट की माने तो जर्मनी की एक बड़ी फुटवियर कंपनी Von Wellx ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को चीन से भारत में शिफ्ट करने का मन बना लिया है. इस के लिए उत्तेर प्रदेश सरकार कंपनी से संपर्क साधे हुए है. ओप्पो और ऐपल जैसी बड़ी मोबाइल कंपनियों ने भी अपनी यूनिट को अब भारत शिफ्ट करने की बात कही है. खबर है की करीब एक हजार कंपनियां चीन से निकलना चाहती हैं.
ग्लोबल टाइम्स ने प्रकाशित लेख में लिखा है, ''मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत का उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश ने चीन से मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शिफ्ट करने की सोच रही कंपनियों को आकर्षित करने के लिए एक इकनॉमिक टास्क फोर्स बनाया है. हालांकि, ऐसे प्रयासों के बावजूद यह उम्मीद करना भ्रम है कि कोरोना महामारी के कारण चीन की अर्थव्यवस्था पर जो दबाव है उससे भारत फायदा उठा सकता है.”
ग्लोबल टाइम्स ने आगे अपनी खींझ पश्चिमी मीडिया पर भी निकाला और कहा कि पश्चिमी मीडिया चीन से भारत की तुलना करके उत्साह के साथ दलाली कर रही है. इससे कुछ भारतीयों को सही स्थिति को लेकर भ्रम हो गया है. यह सोचना अवास्तविक है कि इस समय भारत चीन की जगह ले सकता है. इन शब्दों में चीन की बौखलाहट साफ़ साफ दिखाई दे रही है.
बता दें कि, बहुत सी कंपनियों को वियतनाम जैसे छोटे देश ने आकर्षित किया था पर भारत के बड़े बाज़ार और जनशक्ति को देखते हुए कंपनियों ने भारत की तरफ अपना रुख कर लिया. भारत सरकार भी नीतियों में बदलाव कर कंपनियों को लुभाने की कोशिश कर रही है. इस से भारत को व्यापर और रोजगार दोनों मिलेगा.