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1st Bihar Published by: Updated Thu, 24 Dec 2020 08:42:57 AM IST
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PATNA: पटना हाईकोर्ट ने बरामदगी के बाद भी नाबालिग बच्ची को 3 दिनों तक थाना में रखने के मामले में पटना के एसएसपी को जवाबी हलफनामा दाखिल कर स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि 164 के ब्यान के बाद न्यायिक अधिकारी ने नाबालिग बच्ची को पुलिस कस्टडी में कैसे भेज दिया, जबकि उसे शेल्टर होम और उसके माता पिता के हवाले करना चाहिए था. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल व न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई की.
पूर्व आईएएस अधिकारी का ड्राइवर है आरोपी
22 जून को पाटलिपुत्रा थाना क्षेत्र से लड़की गायब हो गई थी. उसके बाद परिजनों ने एक अगस्त को पाटलिपुत्रा थाना में पूर्व आईएएस अधिकारी के ड्राइवर सिंकू यादव के विरुद्ध कांड संख्या- 273/20 दर्ज करवाया, लेकिन बच्ची की बरामदगी नहीं होने पर हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर बरामदगी की गुहार लगाई. कोर्ट ने पटना एसएसपी को बच्ची को बरामद करने का आदेश दिया. कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने विगत 20 दिसंबर को दरभंगा से सिंकू यादव समेत बच्ची को बरामद कर 164 के ब्यान के लिए कोर्ट में पेश किया. ब्यान के बाद पुलिस ने उसे थाना में ही रखा.
हाईकोर्ट हैरान
बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान एसएसपी ने बताया कि बच्ची को बरामद कर लिया गया है. लड़की को थाने में ही रखा गया है. इस पर कोर्ट ने आश्चर्य से पूछा कि थाने में कैसे रखा गया. एसएसपी का कहना था कि थाना परिसर में अधिकारियों के लिए बने क्वार्टर में रखा गया है, क्योकि बच्ची ने अपने माता पिता से जान का खतरा बताया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि लड़की अपने ब्यान में यह भी कही है कि वह अपने माता - पिता के साथ रहना चाहती है. कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि उसके जान का खतरा था तो उसे शेल्टर होम में क्यों नहीं रखा गया.