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Bihar Election 2025 : पटना जिले में प्रचार खर्च की रिपोर्ट, मोकामा की वीणा देवी सबसे आगे; दीघा की दिव्या गौतम सबसे पीछे

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पटना जिले के प्रत्याशियों के प्रचार खर्च की रिपोर्ट सामने आई है। मोकामा की वीणा देवी ने सबसे अधिक 19.52 लाख खर्च किए, जबकि दीघा की दिव्या गौतम ने सबसे कम।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 08 Nov 2025 08:58:48 AM IST

Bihar Election 2025 : पटना जिले में प्रचार खर्च की रिपोर्ट, मोकामा की वीणा देवी सबसे आगे; दीघा की दिव्या गौतम सबसे पीछे

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Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के प्रचार अभियान के दौरान प्रत्याशियों द्वारा किए गए खर्च की रिपोर्ट अब सामने आ चुकी है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, पटना जिले के 12 विधानसभा क्षेत्रों से कुल 149 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई, जिनमें से 46 प्रत्याशी आपराधिक पृष्ठभूमि के थे। चुनाव आयोग ने प्रचार खर्च की अधिकतम सीमा 40 लाख रुपये तय की थी, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि कोई उम्मीदवार अपने प्रचार में 19 लाख रुपये से अधिक खर्च नहीं कर सका, जबकि कुछ प्रत्याशियों ने मात्र दो लाख रुपये में पूरा चुनाव अभियान निपटा दिया।


मोकामा में सबसे अधिक खर्च

पटना जिले की सबसे चर्चित सीट रही मोकामा विधानसभा, जहां प्रचार खर्च के आंकड़े सबसे ज्यादा रहे। यहां राजद प्रत्याशी वीणा देवी, जो बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी हैं, ने अपने प्रचार पर 19.52 लाख रुपये खर्च किए। यह पटना जिले में सबसे अधिक खर्च था। उनके प्रतिद्वंद्वी जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह ने 13.14 लाख रुपये प्रचार में लगाए। दोनों के बीच यह मुकाबला न केवल राजनीतिक दृष्टि से चर्चित रहा, बल्कि खर्च के लिहाज से भी सबसे आगे रहा।


बाढ़ और दानापुर में भी खर्च का मुकाबला

बाढ़ विधानसभा क्षेत्र में भी उम्मीदवारों के खर्च ने सुर्खियां बटोरीं। यहां राजद के कर्मवीर सिंह यादव  ने 19.11 लाख रुपये खर्च किए और इस मामले में दूसरे स्थान पर रहे। उनके सामने एनडीए प्रत्याशी सियाराम सिंह ने 14.60 लाख रुपये खर्च किए। वहीं, दानापुर विधानसभा में भाजपा के रामकृपाल यादव ने 17.66 लाख रुपये, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी रितलाल राय ने 11.76 लाख रुपये खर्च किए। इन आंकड़ों से साफ है कि प्रमुख दलों के बीच मुकाबला जितना तीखा था, प्रचार अभियान में धन खर्च भी उतना ही भारी पड़ा।


लो-बजट कैंपेन से चर्चा में आईं दिव्या गौतम

जहां बड़े दलों के प्रत्याशी लाखों रुपये प्रचार में झोंकते दिखे, वहीं दीघा विधानसभा से सीपीआई (एमएल) की प्रत्याशी दिव्या गौतम ने महज 2.15 लाख रुपये में पूरा चुनाव लड़ा। यह आंकड़ा पटना जिले में सबसे कम था। दिव्या का यह लो-बजट कैंपेन अब चर्चा का विषय बन गया है। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने जनसंपर्क और संगठन पर भरोसा जताते हुए चुनाव मैदान में मजबूती से डटी रहीं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बिहार जैसे राज्य में, जहां चुनाव प्रचार मुख्य रूप से जनसंपर्क, स्थानीय नेटवर्क और कार्यकर्ताओं के सहयोग पर निर्भर करता है, वहां कम खर्च में भी प्रभावी प्रचार संभव है।


पालीगंज और बांकीपुर में संतुलित खर्च

पालीगंज सीट पर राजद की रेखा देवी ने 18.60 लाख रुपये, जबकि एनडीए के सिद्धार्थ सौरव ने 15.30 लाख रुपये खर्च किए। वहीं बांकीपुर में भाजपा के नितिन नवीन ने 14.13 लाख रुपये और रेखा कुमारी ने 10.75 लाख रुपये खर्च किए। यह दर्शाता है कि प्रमुख उम्मीदवारों ने प्रचार के हर चरण में संतुलित खर्च बनाए रखने की कोशिश की।


पारदर्शिता पर चुनाव आयोग का जोर

इस बार चुनाव आयोग ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रत्याशियों को नामांकन के बाद ‘जीरो बैलेंस’ वाला बैंक खाता खोलने का निर्देश दिया था। सभी खर्च इसी खाते से किए जाने थे ताकि हर भुगतान का रिकॉर्ड रखा जा सके। नकद भुगतान की अधिकतम सीमा 10,000 रुपये प्रतिदिन तय की गई थी और हर खर्च का पक्का बिल देना अनिवार्य था।


इसके अलावा, प्रत्याशियों को अपने खर्च का विवरण तीन बार आयोग को देना था—नामांकन के बाद, प्रचार के मध्य में और परिणाम घोषित होने से पहले। इस बार पूरा रिकॉर्ड पटना समाहरणालय के तीसरे तल पर व्यय प्रेक्षक की देखरेख में जांचा गया, जिससे खर्च का ब्यौरा बेहद पारदर्शी रहा।


अधूरे विवरणों पर जांच जारी

आडिट ऑफिसर के अनुसार, अधिकांश प्रत्याशियों ने अपने खर्च का पूरा ब्योरा जमा कर दिया है। हालांकि, मनेर से एलजेपी (रामविलास) प्रत्याशी जितेंद्र यादव का खर्च विवरण अभी स्पष्ट नहीं मिला है। इसके अलावा, कुछ अन्य उम्मीदवारों के बिलों की जांच भी जारी है।


बहरहाल, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पटना जिले के प्रचार खर्च के आंकड़े यह दर्शाते हैं कि भले ही कुछ उम्मीदवारों ने खर्च की ऊपरी सीमा के करीब पहुंचने की कोशिश की हो, लेकिन कई प्रत्याशियों ने बेहद सीमित संसाधनों में भी चुनावी मैदान में मजबूती से उपस्थिति दर्ज कराई है। यह तस्वीर बिहार की चुनावी राजनीति में संसाधन और जनसंपर्क के बीच के संतुलन को बखूबी उजागर करती है।