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1st Bihar Published by: Updated Thu, 24 Nov 2022 10:12:45 AM IST
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PATNA : कुढ़नी विधानसभा सीट पर जबरदस्त सियासत देखने को मिल रही है। हर राजनीतिक दल और उम्मीदवार जातिय गोलबंदी के सहारे कुढ़नी सीट को साधने में जुटा हुआ है। लड़ाई भले ही बीजेपी और जेडीयू उम्मीदवार के बीच आमने-सामने की हो लेकिन दो अन्य उम्मीदवारों ने इसे दिलचस्प बना रखा है। चुनाव नतीजे क्या होंगे, यह तो किसी को नहीं मालूम लेकिन इन उम्मीदवारों की चर्चा खूब हो रही है। ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार गुलाम मुर्तजा और मुकेश सहनी की पार्टी के कैंडिडेट निलाभ कुमार सुर्खियों में हैं। एनडीए और महा गठबंधन से अलग मुकेश साहनी ने कुढ़नी में जो राजनीतिक प्रयोग किया है, वह अगर सफल हो गया तो आने वाले वक्त में सहनी केवल निषाद की बात ही नहीं करेंगे बल्कि सवर्णों को भी साथ लेकर चलने का उनका फार्मूला लोकसभा और विधानसभा चुनाव में दिखेगा। सियासी जानकार मानते हैं कि कुढ़नी में बीजेपी की परेशानी का सबसे बड़ा कारण मुकेश सहनी की पार्टी के उम्मीदवार हैं। सहनी ने भूमिहार जाति से आने वाले निलाभ को यहां मैदान में उतारा है। वह चावल और मछली के जरिए चुनावी समीकरण गढ़ने की बात कर रहे हैं। उम्मीदवार की जाति के आधार पर निलाभ को अलग-अलग सामाजिक संगठनों का समर्थन भी मिल रहा है, लेकिन वीआईपी के यह कैंडिडेट चुनाव नतीजा आने से पहले ही वीवीआईपी नजर आ रहे हैं।
भूमिहार–ब्राम्हण के नाम पर समर्थन
बुधवार को भूमिहार–ब्राह्मण सामाजिक फ्रंट से जुड़े नेता कुढ़नी पहुंचे। इन नेताओं ने निलाभ कुमार को समर्थन देने का ऐलान कर दिया। इस फ्रंट में तमाम वह नेता शामिल हैं जो कभी बीजेपी और एनडीए से संबंध रखते थे। बीजेपी नेतृत्व से नाराजगी और उपेक्षा के शिकार यह नेता भूमिहार ब्राह्मण तबके से आते हैं और फिलहाल फ्रंट बनाकर अपने राजनीतिक दखल का एहसास करा रहे हैं। मोकामा में भी इस फ्रंट ने बीजेपी के खिलाफ काम किया और अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी का समर्थन किया था। नीलम देवी को मोकामा में जीत भी हासिल हुई। अब फ्रंट के नेता कुढ़नी पहुंचे हैं और यहां भी बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ निलाभ कुमार को समर्थन देने का ऐलान किया है। एक तरफ इस फ्रंट के नेता जहां निलाभ को एक तरफा बिना शर्त समर्थन दे रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ वीवीआइपी कैंडिडेट ने इन नेताओं का नोटिस तक नहीं लिया। कुढ़नी पहुंचे इन नेताओं के साथ ना तो वीवीआइपी कैंडिडेट दिखे और ना ही फ्रंट को लेकर उन्होंने कोई बहुत उत्साह दिखाया। फ्रंट के नेता भी इस बात को लेकर मर्माहत दिखे लेकिन कुढ़नी पहुंचने के बाद इनके पास कोई रास्ता नहीं बचा था, लिहाजा बीजेपी के विरोध में वीवीआईपी बन चुके कैंडिडेट को समर्थन देने का ऐलान कर दिया। तर्क दिया गया कि निलाभ फ्रंट के पुराने साथी रहे हैं। आपको याद दिला दें कि भूमिहार ब्राह्मण सामाजिक के फ्रंट के नेता जब मोकामा विधानसभा उपचुनाव में पहुंचे थे तो नीलम देवी ने इन नेताओं से मुलाकात की थी। समर्थन के लिए फ्रंट का आभार तक जताया था लेकिन कुढ़नी में ऐसा नजर नहीं आ रहा। बावजूद इसके फ्रंट ने निलाभ को अपना समर्थन दिया है। मकसद है कि भूमिहार जाति के वोटर्स को बीजेपी से अलग कर निलाभ के पक्ष में जोड़ा जाए।
फ्रंट का मकसद समझिए
पिछले विधानसभा चुनाव के बाद भूमिहार–ब्राह्मण सामाजिक फ्रंट ज्यादा सक्रिय नजर आया है। भूमिहार जाति एक समय में बीजेपी का मजबूत आधार वोट बैंक माना जाता था लेकिन बीजेपी ने बिहार के अंदर नेतृत्व के स्तर पर जो प्रयोग किया और जिस तरह भूमिहार समाज से आने वाले नेताओं को साइडलाइन किया, उसके बाद इस तबके में नाराजगी बढ़ती गई। इसी से नाराज हाशिए पर गए नेताओं ने इस फ्रंट का निर्माण किया। अब तक यह फ्रंट राजनीतिक नहीं है, लेकिन इसका मकसद सियासी रहा है। फ्रंट में शामिल ज्यादातर नेता ऐसे हैं जो विधायक और मंत्री रह चुके हैं। अपनी पार्टी में इनकी पूछ नहीं रही लिहाजा अब यह फ्रंट के जरिए सक्रिय हैं। बिहार में हर उस सवाल पर यह फ्रंट एक्टिव रहता है जहां भूमिहार ब्राह्मण समाज की बात होती है। किसी भी घटना, राजनीतिक हलचल और चुनाव के दौरान फ्रंट के नेताओं की सक्रियता देखने को मिलती है। सियासी जानकार मानते हैं कि फ्रंट में शामिल नेता भूमिहार जाति को राजनीतिक हिस्सेदारी दिए जाने, उनके वजूद का एहसास कराने के लिए काम कर रहे हैं। संभव है कि आने वाले वक्त में इसका फायदा भी इन नेताओं को मिले लेकिन फिलहाल उनके एजेंडे में बीजेपी को नुकसान पहुंचाना सबसे ऊपर है। वजह यह भी है कि बीजेपी अगर नुकसान झेलती रही तो शायद इन नेताओं की पूछ बढ़ जाए।
बीजेपी के पूर्व मंत्री भी शामिल
भूमिहार ब्राह्मण सामाजिक फ्रंट में बीजेपी के एक सीनियर लीडर भी शामिल हैं। उन्होंने फिलहाल पार्टी को अलविदा तो नहीं कहा है लेकिन इनकी गतिविधियां फ्रंट के साथ ज्यादा रही हैं। फ्रंट के ऐसे आयोजनों में यह शामिल होते हैं जो राजनीतिक नहीं हैं लेकिन चुनाव के दौरान यह फ्रंट से दूरी बनाकर उसी के एजेंडे को हिडन तरीके से लागू करते हैं। मुजफ्फरपुर जिले से ताल्लुक रखने वाले बीजेपी के पूर्व मंत्री एनडीए सरकार में मंत्री रहे हैं। अपनी ही पार्टी के एक पूर्व मंत्री से नाराज रहे ये नेता बोचहां में खेल कर चुके हैं। बीजेपी बोचहां विधानसभा उपचुनाव में इसका नतीजा भी भुगत चुकी है। अब एक बार फिर कुढ़नी में इसी तरह का खेल अंदरखाने से खेला जा रहा है, हालांकि बीजेपी उम्मीदवार के नामांकन के वक्त यह नेता मंच पर तो मौजूद रहे लेकिन उसके बाद इनकी तरफ से कुढ़नी में कोई गतिविधि नहीं दिखाई गई है। बुधवार को फ्रंट के नेता जब कुढ़नी में निलाभ को समर्थन देने का ऐलान कर रहे थे तो बीजेपी के पूर्व मंत्री वहां मौजूद नहीं थे, लेकिन चर्चा इस बात की है कि कुढ़नी में बीजेपी।के पूर्व मंत्री अपना खेल पर्दे के पीछे से खेलने को तैयार हैं। अब देखना होगा कि भूमिहार वोटर्स में बिखराव का जो खेल कुढ़नी में खेला जा रहा है, उसका फायदा वीवीआइपी कैंडिडेट को कितना मिल पाता है?