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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 19 Nov 2024 12:15:21 PM IST
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PATNA: बिहार में ट्रांसफर की राह देख रहे शिक्षकों को पटना हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। पटना हाई कोर्ट ने बिहार में शिक्षकों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर रोक लगा दी है। हाल ही में बिहार सरकार शिक्षकों की ट्रांसफर-पोस्टिंग की पॉलिसी लेकर आई थी। च्वाइस पोस्टिंग के लिए शिक्षा विभाग की तरफ से आवेदन भी लिए जा रहे थे।
दरअसल, बिहार में शिक्षकों की ट्रांसफर पोस्टिंग नीति के खिलाफ औरंगाबाद के शिक्षकों की ओर से दायर केस की सुनवाई हाइकोर्ट में हुई है। शिक्षकों की तरफ से कोर्ट में अधिवक्ता मृत्युंजय कुमार और सरकार की तरफ से पटना हाई कोर्ट से सीनियर अधिवक्ता ललित किशोर ने पक्ष रखा। जिसके बाद हाई कोर्ट ने शिक्षकों के ट्रांसफर/पोस्टिंग पर फिलहाल स्टे स्टे लगा दिया है।
पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। जस्टिस प्रभात कुमार सिंह की कोर्ट ने ट्रांसफर/पोस्टिंग नीति के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की और सरकार के इस फैसले पर फिलहाल रोक लगा दिया। हाई कोर्ट के इस निर्णय के बाद ट्रांसफऱ का इंतजार कर रहे शिक्षकों को बड़ झटका लगा है।
वरीय अधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने शिक्षकों को निर्देश दिया था कि वे 22 नवंबर 2024 तक अपने ट्रांसफर/पोस्टिंग के लिए विकल्प दें। इसके साथ ही सरकार ने यह भी निर्देश दिया था कि इस तय समय सीमा के भीतर अगर शिक्षक विकल्प नहीं देते हैं तो उनका सरकार अपने हिसाब से तबादला करेगी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि विभाग ने पुरुष शिक्षकों को 10 सब डिवीजन और महिला शिक्षकों को 10 पंचायतों का विकल्प दिया था।
हालांकि याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार द्वारा मनमाने ढंग से विकल्प देने का आरोप लगाया है। शिक्षक संगठनों का आरोप है कि राज्य सरकार शिक्षकों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। जो नियमावली बनाई गई है और जो प्रक्रिया आवेदन के दौरान हो रही है, उसमें अंतर है।
पटना हाई कोर्ट में शिक्षकों का पक्ष रखने वाले वकील मृत्युंजय कुमार ने स्पष्ट किया है कि हाईकोर्ट ने सिर्फ उन शिक्षकों या शिक्षकों के समूह की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर रोक लगाया है, जिन्होंने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। बाकी जो भी शिक्षक ट्रांसफर/पोस्टिंग पॉलिसी के तहत आवेदन प्रक्रिया को पूरा करने के बाद अपना तबादला करा सकते हैं। इस मामले पर अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।