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1st Bihar Published by: Updated Sun, 12 Sep 2021 11:42:12 AM IST
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PATNA : बिहार में इस समय वायरल बुखार का प्रकोप जारी है. बच्चों को यह बीमारी बड़ी तेजी से अपनी चपेट में ले रही है. स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों में होनेवाले बुखार को लेकर सभी जिलों को अलर्ट कर दिया है. बिहार स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक अब तक इस वायरल बुखार की चपेट में आये 395 बच्चों में से 13 बच्चों ने विभिन्न बीमारियों के कारण दम तोड़ दिया है. कल एक ही दिन में तीन बच्चों ने भी दम तोड़ दिया है. उधर पटना एम्स के डॉक्टर और कर्मी भी संक्रमण की चपेट में आ गए हैं.
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़े के मुताबिक 10 सितंबर तक वायरल बुखार से पीड़ित 395 बच्चों की भर्ती की गई, जिसमें से 13 बच्चों की मौत विभिन्न बीमारियों से हो गई जबकि 295 को स्वस्थ होने के बाद से छुट्टी दे दी गई. बीते दिन शनिवार को तीन बच्चों ने दम तोड़ दिया. एनएमसीएच में वायरल संक्रमण से एक बच्चे की मौत हो गई. सबलपुर के रहने वाले 4 साल के बच्चे को गुरुवार को भर्ती कराया गया था. जिसने दो दिन बाद इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. एनएमसीएच अधीक्षक और शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार सिंह ने बताया कि वायरल निमोनिया और बुखार से पीड़ित 18 बच्चों का इलाज चल रहा है. बताया कि अब संक्रमण का प्रकोप कम हो रहा है. पिछले 24 घंटे में इससे पीड़ित मात्र दो ही मरीज भर्ती हुए हैं.
उधर बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में शनिवार को दो बच्चों की मौत गई. इनमें एक बच्चा जेई और दूसरा बच्चा चमकी बुखार से पीड़ित था. जेई (जापानी इंसेफलाइटिस) से पीड़ित 11 साल का प्रदीप कुमार पश्चिम चंपारण के रामनगर का रहने वाला था. उसे 3 सितंबर को भर्ती कराया गया था. इसके अलावा मोतिहारी के रहने वाले 5 साल के निरहू कुमार की भी मौत एसकेएमसीएच में हो गई. उसे 10 सितंबर को पीकू में दोबारा भर्ती कराया गया था.
दरअसल निरहू को डिस्चार्ज होने के चौथे दिन एसकेएमसीएच की पीआईसीयू में दोबारा भर्ती कराया गया था. जहां इलाज के क्रम में उसकी मौत हो गई. निरहू की तबीयत खराब होने के बाद उसे दोबारा 10 सितंबर को पीकू में भर्ती कराया गया था. परिजनों ने बताया कि बच्चे को 6 सितंबर को ही एसकेएमसीएच से डिस्चार्ज किया गया था. उस समय भी बच्चे की हालत में सुधार नहीं था.
एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ बाबू साहेब झा ने जेई पीड़ति बच्चे की मौत की पुष्टि की. हालांकि दूसरे बच्चे की मौत के बारे में उन्होंने कोई भी जानकारी देने से इनकार किया. उन्होंने बताया कि जेई पीड़ित बच्चे को बेतिया मेडिकल कॉलेज से एसकेएमसीएच रेफर किया गया था. दो साल बाद एसकेएमसीएच में जेई का मरीज आया था.
उधर राजधानी पटना के फुलवारीशरीफ स्थित एम्स तक संक्रमण पहुँचने की खबर सामने आ रही है. एम्स के ट्रामा इंचार्ज डॉक्टर अनिल समेत कई डॉक्टर और कर्मी वायरल फीवर की चपेट में आ गए हैं. डॉ. अनिल के मुताबिक कोराना महामारी के बाद से लोग फीवर होने से डर रहे हैं. हमलोग भी डरे हुए हैं. एम्स के 30 प्रतिशत डॉक्टर और कर्मी वायरल फीवर से पीड़ित हैं.
वायरल फीवर तीन दिनों में नहीं ठीक हो तो तत्काल डॉक्टर से दिखाने की जरूरत है. खासकर बच्चों के मामले में कोई लापरवाही नहीं करनी चाहिए. बच्चे को जैसे फीवर आये अच्छे डॉक्टर से दिखाना चाहिए. वायरल फीवर लक्षण दिखे तो एंटी एलर्जी की दवा लेनी चाहिए. गर्म पानी पीएं और गहरी नींद लें.