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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 14 Dec 2024 12:42:16 PM IST
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दत्तात्रेय जयंती भगवान दत्तात्रेय के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। भगवान दत्तात्रेय को त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) का अवतार माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा-अर्चना करने से भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
दत्तात्रेय जयंती 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 14 दिसंबर 2024, दोपहर 04:58 बजे।
तिथि समाप्त: 15 दिसंबर 2024, दोपहर 02:31 बजे।
गोधूलि मुहूर्त: 14 दिसंबर, शाम 05:23 बजे से 05:51 बजे तक।
निशिता मुहूर्त: 14 दिसंबर, रात 11:49 बजे से 15 दिसंबर, रात 12:44 बजे तक।
अभिजीत मुहूर्त: 14 दिसंबर, दोपहर 11:48 बजे से 12:39 बजे तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग: 14 दिसंबर, सुबह 07:06 बजे से 15 दिसंबर, सुबह 03:54 बजे तक।
दत्तात्रेय जयंती पूजा विधि
स्नान और स्वच्छता:
प्रातःकाल स्नान कर घर और मंदिर की सफाई करें।
मन और शरीर को शुद्ध रखने का संकल्प लें।
मूर्ति स्थापना:
भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति या तस्वीर को एक साफ चौकी पर रखें।
अगर मूर्ति उपलब्ध न हो, तो भगवान विष्णु की प्रतिमा की पूजा भी की जा सकती है।
पूजा सामग्री:
गंगाजल, सफेद चंदन, हल्दी, फूल, तुलसी पत्र, पंचामृत, धूप, दीप, मिठाई।
पूजन प्रक्रिया:
मूर्ति को गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराएं।
चंदन और हल्दी का तिलक करें।
भगवान को फूलों की माला पहनाएं और मिठाई अर्पित करें।
तुलसी पत्र अर्पित करें।
पूजन के दौरान भक्तिभाव से निम्न मंत्रों का जाप करें:
ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः।
दिगंबरा-दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा।
ऊं ह्रीं विद्दुत जिव्हाय माणिक्यरुपिणे स्वाहा।
ॐ दिगंबराय विद्महे योगीश्रारय् धीमही तन्नो दत: प्रचोदयात।
व्रत कथा और आरती:
दत्तात्रेय व्रत कथा का पाठ करें।
पूजा के अंत में आरती करें और भगवान से क्षमा याचना करें।
दान और तामसिक भोजन से परहेज:
इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और सफेद वस्तुओं का दान करें।
मांस, मदिरा, और अन्य तामसिक वस्तुओं से दूर रहें।
दत्तात्रेय जयंती का महत्व
त्रिदेव का आशीर्वाद: भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का संयुक्त रूप माना जाता है। उनकी पूजा करने से इन तीनों देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
संकटों का नाश: इस दिन की गई पूजा-अर्चना से जीवन के सभी कष्ट और बाधाएं समाप्त होती हैं।
आध्यात्मिक उन्नति: भगवान दत्तात्रेय योग, ध्यान और आध्यात्मिकता के प्रतीक हैं। उनकी आराधना से मन को शांति और आत्मा को शुद्धि मिलती है।
भौतिक और आध्यात्मिक सुख: दत्तात्रेय जयंती पर व्रत और पूजा करने से भौतिक सुखों के साथ-साथ आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है।
इस दिन भगवान दत्तात्रेय की कृपा प्राप्त करने के लिए सच्चे मन और श्रद्धा से पूजा करें। यह आपके जीवन में शुभता और समृद्धि लाएगा।