ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar Assembly Election 2025 : महागठबंधन में आया भूचाल ! कांग्रेस के बड़े नेता दिल्ली तलब, लालू -तेजस्वी के साथ इस वजह से नहीं बन रही बात; क्या इस तरह का फैसला ले सकती है कांग्रेस Railway Employee Festival: 'मेरे पिया घर नहीं आए ...', रेलवे ड्राइवर को नहीं मिली छुट्टी तो वाइफ ने कर दिया यह अनोखा काम; जोनल ऑफिस में भी होने लगी चर्चा Bihar News: बिहार के इस जिले में दर्जनों शस्त्र धारकों के लाइसेंस निलंबित, कुख्यातों के लिए विशेष फरमान जारी Indian Railways Rule: अगर आप भी करते हैं ट्रेन में यह काम, तो हो जाए सावधान; अब यात्रियों के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई NDA Seat Sharing: बिहार चुनाव 2025: NDA सीट बंटवारा लगभग तय, बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक आज; इस दिन आ सकता है कैंडिडेट के नाम का लिस्ट Bihar Crime News: भूमि विवाद में हिंसक झड़प, फायरिंग में इनकम टैक्स इंस्पेक्टर को लगी गोली; हालत गंभीर Land for Job Case : लैंड फॉर जॉब केस में आएगा बड़ा फैसला, लालू-राबड़ी-तेजस्वी दिल्ली रवाना; बिहार चुनाव से पहले बढ़ेगी RJD परिवार की टेंशन Bihar Election 2025 : Bihar Election 2025: दिल्ली में कांग्रेस की बड़ी बैठक, तेजस्वी यादव-राहुल गांधी की मुलाकात से तय हो सकता है सीट शेयरिंग फॉर्मूला Bihar News: दिसंबर तक बिहार से इन राज्यों के लिए कई जोड़ी स्पेशल ट्रेनों का ऐलान, लिस्ट जारी.. UPI New Rule: UPI में बड़ा बदलाव, इस दिन से मिलेगा नया फिचर, अब ऑटोपेमेंट्स और बिल्स को ऐसे मैनेज करना होगा आसान

एक्सपायरी डेट से पहले ही कूड़े के ढेर में फेंक दी गई लाखों की दवाईयां, स्वास्थ्य विभाग पर बड़ा सवाल

1st Bihar Published by: MANOJ KUMAR Updated Thu, 18 May 2023 05:24:25 PM IST

एक्सपायरी डेट से पहले ही कूड़े के ढेर में फेंक दी गई लाखों की दवाईयां, स्वास्थ्य विभाग पर बड़ा सवाल

- फ़ोटो

EAST CHAMPARAN: बिहार में एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग सुर्खियों में आ गया है। इस बार यह किसी उपलब्धि के लिए नहीं बल्कि घपलेबाजी को लेकर चर्चा में आया है। मामला मुफ्त वितरण के लिए आई सरकारी दवाओं को फेंकने का है। दरअसल यह मामला पूर्वी चंपारण से जुड़ा हुआ है जहां मेहसी प्रखंड के प्राथमिकी स्वास्थ्य केन्द्र में एक्सपायरी डेट से पहले ही भारी मात्रा में दवाईयों को कूड़े के ढेर में फेंक दिया गया है। जबकि इन दवाईयों का इस्तेमाल करीब छह महीने तक हो सकता था। 


इन दवाईयों से मरीजों को फायदा मिल सकता था लेकिन अस्पताल में होने के बजाय इसे कचरे के ढेर में फेंक दिया गया है। दवा की एक शीशी नहीं है बल्कि हजारों सिरप को खराब होने से पहले ही फेंक दिया गया है। मोतिहारी सिविल सर्जन अंजनी कुमार से जब इस संबंध में बात की गयी तो उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से मामला संज्ञान में आया है। मामले की जांच के लिए कमिटी बनाई गयी। जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। इस तरह की लापरवाही जिस किसी ने भी बरती है उन पर कार्रवाई होगी।   


बिहार के सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने आए मरीजों को मुफ्त में दवाईयां दी जाती है। कई मरीजों की शिकायत रहती है कि पूरी दवाईयां अस्पताल में नहीं मिलती कई दवाईयां अस्पताल के बाहर मेडिकल शॉप से खरीदनी पड़ती है। एक ओर जहां मरीजों को  दवाईयां बाहर से खरीदनी पड़ती है वही दूसरी ओर इन दवाइयों को मरीज को देने के बजाए एक्सपायरी बता कूड़े के ढेर में फेंक दिया जाता है। फेंके गये दवाईयों को देखने से पता चलता है कि अभी एक्सपायरी डेट खत्म नहीं हुआ है। इस दवाईयों का इस्तेमाल छह महीने तक किया जा सकता है लेकिन छह महीने पहले ही इसे कचरे के ढेर में फेंक दिया गया। मरीजों को यह दवा दी जाती तो उन्हें फायदा भी होता लेकिन आज कचरे के ढेर में फेंकी गयी दवाईयों को कोई पूछने वाला तक नहीं है। 


बताया जाता है कि दवा कम्पनी को फायदा पहुंचाने के लिए आवश्यकता से अधिक दवाईयों की खरीददारी की जाती है और फिर दवाओं के वितरण के अभाव में इसे कचरे में फेंक दिया जाता है। जिसके बाद दवा के स्टोर को खाली बताया जाता है और फिर से दवाईयों की खरीदारी की जाती है ताकि इससे जुड़े लोगों को अवैध कमाई हो सके। पिछले एक साल में पूर्वी चम्पारण के पताही, पकडीदयाल, तुरकौलिया और सुगौली में भी ऐसा ही मामला सामने आया था। जिसकी फाइले स्वास्थ्य विभाग में दब गयी। एक फाइल खुली भी नहीं थी कि एक बार फिर से दवाइयों के फेंकने का मामला मेहसी स्वास्थ्य केंद्र में आया।


बता दें कि किसी गरीब की जान दवाईयों के अभाव में ना हो इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए सरकारी अस्पतालों में दवाईयों उपलब्ध करवा रही है जिससे मरीजों के बीच इसका मुफ्त वितरण हो सके। लेकिन इन दवाईयों का वितरण सही तरीके से नहीं होने के कारण जा यह कचरों के ढेर में देखने को मिल रहा है। आश्चर्य की बात है कि इन दवाईयों का इस्तेमाल अभी 6 महीने और किया जा सकता था लेकिन उससे पहले इसे एक्सपायरी घोषित कर फेंका गया है। 


अब बड़ा सवाल यह उठता है कि इतनी भारी मात्रा में लाखों रूपये की दवाईयां क्यो फेंकी गयी? ऐसा नियम है कि यदि दवा एक्सपायर हो जाती है तब वरीय अधिकारियों से आदेश लेकर उसे जमींदोज किया जाता है। लेकिन मेहसी प्रखंड के प्राथमिकी स्वास्थ्य केन्द्र के परिसर में फेंकी गयी दवाईयां अभी खराब नहीं नहीं है। अब सवाल उठता है कि आखिर किसके आदेश से इसे फेंका गया है। मोतिहारी के सिविल सर्जन से जब इस संबंध में पूछा गया तो वे इस मामले में फिर रटा रटाया जवाब देने लगे कहा कि मामले की जांच कराई जा रही है और जो भी  रिपोर्ट आएगा उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।