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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 17 May 2023 03:47:03 PM IST
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HAJIPUR : बिहार हमेशा से ही एक कड़े और मजबूत फैसले को लेकर सुर्ख़ियों में बना रहता है। अब ऐसा ही एक उदाहरण वैशाली जिलें में देखने को मिला है। जहां एक वकील को उसी कोर्ट ने सजा सुनाई है जहां वो वकालत करता है। इनके ऊपर पोक्सो एक्ट के तहत यह कार्रवाई की गयी है। कोर्ट ने इनको 30 साल सश्रम कारावास और 30 हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई है।
दरअसल, वैशाली के हाजीपुर व्यवहार न्यायालय में बतौर वकील न्यायालय में कार्य करने वाले एक दोषी को अदालत ने सजा सुनाई है। इस वकील को कोर्ट ने 11 वर्षीय किशोर के साथ अप्राकृतिक यौनाचार के मामले में दोषी करार दिए हैं। महुआ के रहने वाले एडवोकेट मोहम्मद आलम को 30 वर्ष का सश्रम कारावास और 30 हजर के अर्थदंड की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश पॉस्को सह एडीजे 6 जीवन लाल की अदालत ने दोषी मोहम्मद आलम को आईपीसी की धारा 377 पोक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत सजा सुनाई है।
वहीं, इस विषय में पोस्को कोर्ट के स्पेशल पीपी मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि महुआ थाना कांड संख्या 162/21, इसमें घटना यह था महुआ थाना अंतर्गत है जिसमें मोहम्मद आलम, सनी कुमार गोलू कुमार और रंजीत पटेल जो एक 11 वर्षीय नाबालिक लड़का काम की तलाश में महुआ समस्तीपुर रोड में गोलू पटेल और रंजीत पटेल के पान के दुकान पर बैठा हुआ था।
उसी दौरान मोटरसाइकिल से रंजीत पटेल और मोहम्मद आलम पहुंचे और पूछा इस लड़का के विषय में तो गोलू पटेल बताया कि घर का बहुत गरीब है और काम की तलाश में भटक रहा तो रंजीत पटेल और मोहम्मद आलम बोले कि चलो हमारे यहां खाना-पीना देंगे पढ़ाएंगे लिख आएंगे और घर की साफ सफाई का काम करना पड़ेगा। गोलू पटेल उसके यहां भेज दिया यह घटना है 20 फरवरी 2021 के 6:30 बजे शाम की घटना है। जब लड़का उसके घर गया तो रंजीत पटेल और मोहम्मद आलम दोनों रात में शराब पिए और जब बच्चा सो गया तो उसके साथ अप्राकृतिक यौनाचार यह घिनौना कृत्य किया। बच्चा सुबह में जब कराह रहा था तकलीफ से तो उसको फिर से लाकर पान के गुमटी पर छोड़ दिए।
इसके अलावा महुआ स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर ने पाया कि उसके एनल से खून निकल रहा है जो कि अप्राकृतिक यौनाचार की पुष्टि करता है। जिसके बाद अभी एक मोहम्मद आलम का ट्रायल चल रहा था। पॉस्को के विशेष न्यायाधीश जीवन लाल के द्वारा दोषी करार दिया गया था। सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई जिसके बाद मोहम्मद आलम को कुल 30 वर्षों का सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है साथ ही 30 हजार का अर्थदंड दिया गया है। जिसमें 377 आईपीसी के तहत 10 वर्ष का सश्रम कारावास व 10 हजार का अर्थदंड अर्थदंड की राशि नही देने पर 6 माह का अतिरिक्त कारावास और पॉस्को के दफा छह के तहत 20 साल का सश्रम कारावास व 20 हजार का अर्थदंड लगाया गया है राशि नही देने पर 1 वर्ष के अतिरिक्त सजा का प्रावधान रखा गया है और दोनों सजा अलग-अलग चलेगी।
आपको बताते चलें कि, यह एक नया जजमेंट है जिसमें वैशाली जिला के लिए जब एक सजा पूरी होने के बाद दूसरी सजा की शुरुआत होगी। अगर वह 20 साल का सजा पहले काट लेता है तो 10 साल का फिर से शुरुआत होगा। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ इस पूरे मामले में चार अभियुक्त जिसमें 1 का ट्रायल मोहम्मद आलम का कंपलीट हो गया। मोहम्मद आलम पेशा से तो अधिवक्ता है व्यवहार न्यायालय हाजीपुर के हैं और दूसरे कार्यकलाप में भी रहते हैं।