PATNA: नीतीश के सामने लालू-तेजस्वी यादव के नतमस्तक होने के बाद राजद के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा संभालने से साफ मना कर दिया है. डेढ़ महीने से पार्टी का कामकाज छोड़ चुके जगदानंद सिंह को अब प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने का फैसला ले लिया गया है. लेकिन दिलचस्प बात ये है कि अब्दुल बारी सिद्दीकी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की तैयारी की जा रही हैं. ये वही अब्दुल बारी सिद्दीकी है जिन्हें लालू यादव औऱ तेजस्वी यादव ने राज्यसभा या विधान परिषद भेजने लायक नहीं समझा था.
अब क्यों आयी सिद्दीकी की याद
राजद के अंदर हो रहे खेल पर सियासी हलके में कई सवाल उठ रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि अब्दुल बारी सिद्दीकी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की तैयारी क्यों की जा रही है जबकि सिद्दीकी खुद इस पद के लिए कोई रूचि नहीं दिखा रहे हैं. दरअसल इसके पीछे MY समीकरण के M की नाराजगी का डर है. इसी महीने गोपालगंज विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के रिजल्ट ने लालू और तेजस्वी के कानों में खतरे की घंटी बजायी है. इस चुनाव में मुसलमानों की राजद से नाराजगी खुल कर सामने आयी.
गोपालगंज में मुसलमान का अच्छा खासा वोट ओवैसी की पार्टी को गया. वहां ओवैसी के पार्टी के उम्मीदवार अब्दुल सलाम को 12 हजार से ज्यादा वोट आये थे. मुसलमानों ने ये जानते हुए भी कि अब्दुल सलाम जीतने नहीं जा रहे हैं उन्हें वोट दिया. इस सीट पर राजद सिर्फ 2 हजार वोट से हारी थी. अगर मुसलमानों में नाराजगी नहीं होती तो राजद की जीत तय थी.
M को डिप्टी सीएम बनाने की भी हो रही मांग
मुसलमानों का एक तबका किसी मुस्लिम नेता को उप मुख्यमंत्री बनाने की भी मांग कर रहा है. उनका कहना है कि जब राजद एम वाई समीकरण वाली पार्टी है औऱ बिहार में एम यानि मुसलमान वोटरों की संख्या यादवों से ज्यादा है तो फिर मुसलमानों के साथ हकमारी क्यों की जा रही है. यादव कोटे से तेजस्वी सीएम के उम्मीदवार हैं और अभी डिप्टी सीएम बन गये हैं. फिर किसी मुसलमान को डिप्टी सीएम क्यों नहीं बनाया गया. इससे पहले की एनडीए सरकार में बीजेपी ने दो डिप्टी सीएम बनाया था. राजद ने भी एक मुसलमान को भी इस कुर्सी पर बिठाकर दो डिप्टी सीएम क्यों नहीं बनाया.
सिद्दीकी की पहले फजीहत फिर प्रदेश अध्यक्ष का लॉलीपॉप
वैसे चर्चा इस बात की भी है कि लालू औऱ तेजस्वी ने सिद्दीकी की पहले जमकर फजीहत की और अब उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बिठा रहे हैं. दरअसल इसी साल राज्यसभा औऱ विधान परिषद के चुनाव हुए. राजद ने अपने कोटे से एक मुसलमान को राज्यसभा भेजा. अब्दुल बारी सिद्दीकी पार्टी के सबसे सीनियर मुस्लिम नेता थे. लालू-तेजस्वी ने राज्यसभा के समय सिद्दीकी से बात करना भी बंद कर दिया था. मुस्लिम कोटे से फैयाज आलम को राज्यसभा भेज दिया गया. फैयाज आलम उसी मिथिलांचल इलाके से आते हैं जहां के सिद्दीकी हैं. फैयाज का पार्टी से नाता बहुत पुराना नहीं है जबकि सिद्दीकी राजद के बनने से पहले से लालू यादव के साथ राजनीति करते रहे हैं. लेकिन चर्चा यही है कि राज्यसभा चुनाव में फैयाज आलम की जेब के वजन ने ज्यादा काम किया. राज्यसभा की कौन कहे अब्दुल बारी सिद्दीकी को विधान परिषद चुनाव में भी नहीं पूछा गया. पार्टी ने इस चुनाव में कारी सोहेब को मुस्लिम कोटे से विधान पार्षद बनाया था.
अब्दुल बारी सिद्दीकी विधानसभा का पिछला चुनाव हार गये थे. उन्होंने पार्टी नेतृत्व को साफ बताया था कि कैसे दरभंगा के राजद नेताओं ने ही उनकी हार की प्लानिंग की थी. राजद के नेताओं का ऑडियो क्लीप भी सामने आया था. हार का षडयंत्र रचने का आऱोप जिस नेता पर लगा उसे इस दफे की सरकार में मंत्री बना कर पुरस्कृत कर दिया गया है.