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लॉकडाउन में भूख से तड़पते बंदरों ने मचाया उत्पात, लोगों ने सैकड़ों बंदरों को कराया भोजन, देखिये वीडियो

1st Bihar Published by: Ranjan Kumar Updated Wed, 15 Apr 2020 03:53:00 PM IST

लॉकडाउन में भूख से तड़पते बंदरों ने मचाया उत्पात, लोगों ने सैकड़ों बंदरों को कराया भोजन, देखिये वीडियो

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ROHTAS : कोरोना वायरस के कारण आम लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. लोगों के लिए भुखमरी की स्थिति आ गई है. हालांकि सरकार की ओर से तमाम उपाए किये जा रहे हैं. लोगों को बुनियादी सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं. वहीं दूसरी ओर बिहार के रोहतास जिले से ऐसी सिल्चस्प तस्वीरें सामने आई हैं. जिसने सब्को हैरान कर दिया है. दरअसल भूख से तड़पते सैकड़ों बंदरों का पेट भरने के लिए 4 गांव के लोग सामने आएं. इतना ही नहीं स्थानीय प्रशासनिक टीम भी इन बंदरों एक लिए भोजन की व्यवस्था की.





मामला रोहतास जिले के दिनारा प्रखंड का है. जहां भलुनी भवानी मंदिर के आसपास सैकड़ों बंदरों का बसेरा होता है. इन दिनों मंदिर बंद हो जाने से इन बंदरों के सामने भुखमरी की समस्या आ गई है. उनको भोजन नहीं मिल रहा है. जिस कारण बंदरों का आचार व्यवहार बदल गया है. ये लोग आसपास के गांव में जाकर उत्पात मचा रहे हैं. जब मंदिर खुला रहता था तो भक्त और पुजारी बंदरों को भोजन कराते थे.


स्थानीय निवासी मुक्तेश्वर पांडे ने बताया कि मंदिर बंद हो जाने के कारण इन बंदरों को भोजन कराने वाला कोई नहीं है. बंदरों के सामने आई इस विकट समस्या के बाद आसपास के ग्रामीणों ने निर्णय लिया कि अब प्रतिदिन बंदरों के लिए भी भोजन की व्यवस्था की जाएगी. आसपास के 4 गांव के लोग अब लांक डाउन में इन बंदरों को खाना खिला रहे हैं.


बंदरों को प्रशासनिक अधिकारी भी अब अपने स्तर से बंदरों के भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं. यहां तक कि  बिक्रमगंज के  एडीएम विजयंत कांत तथा डीएसपी राजकुमार भी पहुंचकर इन बंदरों को खाना खिलाया. स्थानीय लोग कहते हैं कि इस लॉक डाउन में जहां गरीब, असहाय लोगो के भोजन की व्यवस्था मुश्किल से होती है. वहीं इन सैकड़ों बंदरों के लिए भी भोजन की व्यवस्था करना कठिन हो गया है. भलुनी भवानी मंदिर के मुख्य पुजारी हरेंद्र नंद शास्त्री कहते हैं कि यह मंदिर सालों भर धन-धान्य तथा अन्न से भरा हुआ रहता है. यहां भक्तों का सालों भर तांता लगा रहता है. खासकर चैत महीना में यहां विशेष मेले का आयोजन होता रहा है। लेकिन लॉक डाउन के बाद सदियों की यह परंपरा टूटी है.