DELHI: लालू परिवार के युवराज और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव मुश्किल में पड़ते दिखाई दे रहे हैं। सीबीआई ने IRCTC घोटाले की सुनवाई कर रही स्पेशल कोर्ट में तेजस्वी की जमानत रद्द करने की अर्जी लगायी है। सवाल ये उठ रहा है कि आखिरकार तेजस्वी ने ऐसा क्या किया जिसे आधार बना कर सीबीआई ने उनकी जमानत रद्द कराने की याचिका लगायी है।
सीबीआई अधिकारियों को धमका रहे हैं तेजस्वी यादव
दरअसल सीबीआई ने दिल्ली की कोर्ट में ये कहा है कि तेजस्वी यादव प्रभावशाली पद पर बैठ कर सीबीआई अधिकारियों को धमका रहे हैं, सीबीआई के कामकाज में बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं. वे बिहार के डिप्टी सीएम पद पर बैठे हैं, जो प्रभावशाली पोस्ट है. उनकी धमकियों से जांच प्रभावित होने की पूरी संभावना है। इसलिए उनकी जमानत रद्द कर दी जानी चाहिये।
सीबीआई ने कोर्ट में दायर की याचिका में कहा है कि बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव प्रेस कांफ्रेंस कर खुलेआम सीबीआई अधिकारियों को धमकी भरे अंदाज में संदेश दे रहे हैं. डिप्टी सीएम जैसे प्रभावशाली पद पर बैठे व्यक्ति की धमकी जांच को प्रभावित कर सकती हैं. सीबीआई ने कहा है कि उसने कुछ दिनों पहले ही बिहार के कई स्थानों पर घोटालों को लेकर छापेमारी की थी. रेलवे में जमीन के बदले नौकरी देने के मामले में ये छापेमारी की गयी थी. उसके बाद तेजस्वी यादव ने प्रेस कांफ्रेंस किया था।
फंस सकते हैं तेजस्वी
बता दें कि रेलवे के IRCTC घोटाले में दिल्ली की सीबीआई कोर्ट ने 2018 में तेजस्वी यादव को जमानत दी थी. जमानत में इस शर्त का खास तौर पर जिक्र किया गया था कि तेजस्वी किसी तरह से जांच को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे. सीबीआई कह रही है वे डिप्टी सीएम पद पर बैठकर धमकी दे रहे हैं. सीबीआई सूत्र बता रहे हैं कि कोर्ट को तेजस्वी यादव के वीडियो और अखबारों की क्लीपिंग भी सौंपी गयी है. ऐसे में अगर सीबीआई कोर्ट के समक्ष ये साबित कर देती है कि तेजस्वी ने जांच को प्रभावित किया है तो उनकी जमानत रद्द होने की पूरी संभावना है।
बता दें कि IRCTC घोटाले में लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव समेत कई लोग आरोपी हैं. इसकी सुनवाई दिल्ली के राउज एवेंन्यू में सीबीआई की विशेष अदालत में हो रही है. इस घोटाले की जांच सीबीआई के साथ साथ ईडी भी कर रही है. 2018 में ही तेजस्वी यादव औऱ राबड़ी देवी को इस मामले में जमानत मिल गयी थी।
वहीं 2019 में लालू यादव को भी इस केस में जमानत मिली थी. इस मामले के बाकी आरोपियों को भी जमानत मिल चुकी है. लेकिन सीबीआई सिर्फ तेजस्वी की जमानत रद्द कराने कोर्ट पहुंची है. सीबीआई कह रही है कि तेजस्वी यादव प्रभावशाली पद पर बैठे हैं और वे इस तरह हस्तक्षेप कर रहे हैं कि जांच प्रभावित हो रही है।
बता दें कि IRCTC घोटाले का मामला तब का है जब लालू यादव केंद्र की यूपीए सरकार में रेल मंत्री हुआ करते थे. तब यानि 2004 से 2009 के बीच आईआरसीटीसी के पुरी और रांची स्थित होटल को निजी हाथों में को ट्रांसफर किया था. सीबीआई का आरोप है कि रेलवे के होटल को लीज पर देने का ठेका विनय कोचर की कंपनी मेसर्स सुजाता होटल्स को दिए गए थे. टेंडर प्रॉसेस में नियम-कानून को ताक पर रख दिया गया था।
सीबीआई का आरोप है कि रेलवे के होटल लेने के लिए 25 फरवरी 2005 को कोचर ने पटना की बेली रोड स्थित 3 एकड़ जमीन लालू परिवार के करीबी प्रेम गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता की कंपनी मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड (डीएमसीएल) को 1.47 करोड़ रुपए में बेच दी जबकि बाजार में इसकी कीमत काफी ज्यादा थी. इस जमीन को कृषि भूमि बताकर सर्कल रेट से काफी कम पर बेचा गया औऱ स्टाम्प ड्यूटी में भी काफी गड़बड़ी की गई।
सीबीआई कह रही है कि बाद में इसी जमीन को लालू फैमिली की कंपनी लारा प्रोजेक्ट को सिर्फ 65 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दी गई. जबकि सर्कल रेट के मुताबिक उस समय इस जमीन की कीमत लगभग 32 करोड़ रूपये औऱ मार्केट रेट 94 करोड़ रुपए था. सीबीआई ने कहा है कि कोचर ने जिस दिन ज़मीन सरला गुप्ता की कंपनी को बेची उसी दिन रेलवे बोर्ड ने आईआरसीटीसी को उसे बीएनआर होटल्स सौंपे जाने के अपने फैसले के बारे में बताया। सीबीआई को शक है कि बेनामी प्रॉपर्टी 1000 करोड़ की हो सकती है।