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1st Bihar Published by: Updated Mon, 04 Jan 2021 01:48:05 PM IST
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PATNA: ज्यादा दिन नहीं हुए जब बिहार सरकार के गृह विभाग को अपहरण के एक मामले में FIR दर्ज नहीं करने वाले पटना के एक थानेदार के खिलाफ कार्रवाई के लिए SSP को सख्त दिशा निर्देश देना पड़ा था. लेकिन इसके बावजूद पटना के थानेदारों के रूआब पर कोई असर नहीं पड़ा है. पटना के गर्दनीबाग थाना पुलिस ने महिला से छेड़छाड़ के एक मामले में एफआईआर दर्ज करने में कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ा दी. छेड़खानी की शिकार बनी महिला आला पुलिस अधिकारियों के दफ्तरों में चक्कर काट रही है, लेकिन सब थानेदार के रूतबे के सामने बेअसर है.
कानून पर भारी पटना का दबंग वार्ड पार्षद पति
मामला पटना के गर्दनीबाग थाना क्षेत्र में एक महिला शिक्षिका के साथ हुई छेड़खानी और जान मारने की धमकी देने का है. आरोपी उस इलाके की वार्ड पार्षद का पति है. पीड़िता के मुताबिक आरोपी न सिर्फ काफी पैसे वाला है बल्कि थाने के लिए मोलजोल का काम भी करता है. लिहाजा उसकी हर फरियाद अनसुनी कर दी गयी. हार कर पीडिता कोर्ट गयी. कोर्ट ने कार्रवाई के लिए कहा, थाने ने उसे भी धत्ता बता दिया.
पीड़ित महिला के मुताबिक उसने पिछले 24 सितंबर को गर्दनीबाग थाने में सूचना दी कि वार्ड पार्षद पति अविनाश कुमार मंटू उसके साथ छेड़खानी, इज्जत से खिलवाड़ करने के बाद जान मारने की धमकी दे रहा है. थाने ने कोई कार्रवाई नहीं की. पीड़ित महिला फिर से 29 सितंबर को थाने पहुंची और अविनाश कुमार मंटू के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की गुहार लगायी. थानेदार ने जब केस करने से इंकार कर दिया तो पीडिता 1 अक्टूबर को एसएसपी के सामने फरियाद करने पहुंची. लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.
थाने ने कोर्ट के आदेश को धत्ता बताया
पुलिस ने जब एफआईआर दर्ज करने से इंकार कर दिया तो पीड़िता ने कोर्ट की शरण ली. पिछले 12 नवंबर को पीड़िता ने गर्दनीबाग वार्ड नंबर 14 के वार्ड पार्षद पति अविनाश कुमार मंटू और उसके 4-5 साथियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए पटना के सीजेएम कोर्ट में आवेदन दिया. सीजेएम कोर्ट ने उसी दिन पटना के एसएसपी के पास आवेदन भेज कर एफआईआर दर्ज करने को कहा. एसएसपी ऑफिस ने उसे गर्दनीबाग थाने भेज दिया. लेकिन थाने ने एक महीने से ज्यादा समय तक एफआईआर दी दर्ज नहीं की.
कोर्ट ने शो कॉज पूछा तब एफआईआर
पीड़ित महिला शिक्षिका ने फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. एफआईआर दर्ज नहीं होने से नाराज सीजेएम कोर्ट ने गर्दनीबाग थाने के थानेदार को 16 दिसंबर को शो कॉज नोटिस जारी किया. दिलचस्प बात ये है कि कोर्ट का शो कॉज नोटिस 16 दिसंबर के दोपहर में ढ़ाई बजे गर्दनीबाग थाने में रिसीव किया गया. थाने ने उसी दिन सुबह में एफआईआर दर्ज करने का कागजी सबूत बना लिया.
कोर्ट के आदेश के बावजूद बदल दी गयीं धारायें, बेल का कर दिया बंदोबस्त
दरअसल पीडिता ने कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ धारा 323, 354, 354बी, 354डी, 339 के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की गुहार लगायी थी. सीआरपीसी की धारा 153(3) के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के लिए उसे थाने भेजा था. कानून के मुताबिक कोर्ट जिस धारा में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देती है, थाने को उसी धारा में केस दर्ज करना होता है. अनुसंधान के दौरान पुलिस मामले को सही या गलत करार दे सकती है. लेकिन गर्दनीबाग थाने ने एफआईआर दर्ज करने में ही कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ा दी. कोर्ट के शो कॉज के बाद दर्ज हुई प्राथमिकी में सारे ऐसी धारायें लगायी गयीं, जिससे आरोपियों को थाने से ही बेल मिल जा सके. पुलिस ने कोर्ट द्वारा भेजी गयी प्राथमिकी में से धारा 354, 354बी और 339 हटा दिया.
कितना ताकतवर है वार्ड पार्षद पति
दरअसल गर्दनीबाग इलाके के एक निजी स्कूल की शिक्षिका ने काफी पहले ही वार्ड पार्षद पति अविनाश कुमार मंटू और उसके साथियों पर छेड़खानी और इज्जत के साथ खिलवाड़ का आरोप लगाया था. पीडित महिला का आरोप है कि पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की. उधर अविनाश कुमार मंटू उसे पूरे परिवार के साथ जान से मारने की धमकी देने लगा. इसके बाद फिर से उसने थाने के साथ साथ पुलिस के बड़े अधिकारियों के पास गुहार लगायी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
सबसे बड़ा थानेदार
गौरतलब है कि बिहार के मुख्यमंत्री लगातार ये आदेश दे रहे हैं कि एफआईआर दर्ज करने में थानेदार कोई कोताही नहीं बरतें. डीजीपी उसी आदेश को दुहरा रहे हैं. लेकिन थानेदारों का हाल ऐसा है कि एसएसपी को कोर्ट तक के सामने सफाई देनी पड़ रही है. फिर भी राजधानी के थानेदारों का रूतबा कम नहीं हो रहा है.
कोई जवाब नहीं
हमने इस मामले को लेकर गर्दनीबाग थाने से बात करने की कोशिश की लेकिन थाने ने कोई जानकारी देने से इंकार कर दिया.