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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 11 Apr 2023 05:39:23 PM IST
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PATNA: नीतीश कैबिनेट ने नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली पर मुहर लगा दी है। टीईटी और एसटीईटी अभ्यर्थी अब इस नियमावली के खिलाफ आ गये हैं। सरकार से इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं। नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली को लेकर मचे बवाल पर राष्ट्रीय लोक जनता दल (रालोजद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि मैंने पहले ही कहा था कि 'डिग्री लाओ और शिक्षक की नौकरी पाओ' स्कीम जो सरकार ने चलाई वो पूरी तरह से गलत है। नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति तो होनी ही नहीं चाहिए थी। अब जब नीतीश कुमार को अपनी गलती का एहसास हुआ तब नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली बनाई गयी है।
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सरकार ने नियमावली बनाने में बहुत देर कर दी। इतने वर्षों में जो बिहार के युवाओं का नुकसान हुआ उसका जिम्मेदार कौन है? आज कई नियोजित शिक्षक तो ठीक से पढ़ा भी नहीं सकते हैं। नियोजित शिक्षकों के लिए फिर से परीक्षा लेना और उन्हें फेल कर देना कितना सही है?
उपेंद्र कुशवाहा ने बताया कि शिक्षक बहाली की प्रक्रिया बदलने की बात तो हम 2017 और 2018 से ही बोल रहे हैं। डिग्री लाओ और शिक्षक की नौकरी पाओ जो चलाया गया वो बिल्कुल गलत था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 2006 में गलती हुई थी अब जाकर उन्हें यह बात समझ में आई है। लेकिन जिन छात्रों का भविष्य बर्बाद हुआ उसे कौन बचाएगा? आयोग से बहाली को लेकर अब सरकार ने नियमावली बनाई है।
उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षकों की बहाली हुई थी वो होनी ही नहीं चाहिए थी। नियोजित शिक्षकों के अंदर पढ़ाने की क्वालिटी नहीं है। सरकार ने साफ कर दिया है कि जो लोक सेवा आयोग की परीक्षा में पास होंगे उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाएगा। सरकारी कर्मियों वाली सारी सुविधाएं दी जाएगी। लेकिन जो फेल हो जाएंगे वे नियोजित शिक्षक ही बने रहेंगे। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जो फेल कर जाएंगे वे फिर से शिक्षक बने रहेंगे और बच्चों को बढ़ाएंगे और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करेंगे। इसलिए सरकार को चाहिए कि फेल होने वाले शिक्षक को शिक्षण कार्य से हटाकर गैर शिक्षण कार्य में लगाया जाए और जो आयोग की परीक्षा पास करते हैं सिर्फ वही शिक्षक बच्चों को पढ़ाने का काम करेंगे। इससे बिहार की शिक्षा गुणवत्तापूर्ण होगी।
नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे पर उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि विपक्षी एकता को मजबूत करने की कोशिश जेडीयू की ओर से बहुत पहले से की जा रही है। लेकिन इन कोशिश के परिणाम का दूर-दूर तक संभावना नहीं दिख रहा है। दावत-ए-इफ्तार पर कहा कि इफ्तार कीजिए लेकिन समारोह की तरह आयोजन नहीं कीजिए। यह जले पर नमक छिड़कने जैसा है। जिस राज्य में दो जगह हिंसा की घटनाएं हुई है वहां लोग जश्न मना रहे हैं। जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। प्रभावित लोगों के जख्म पर मलहम लगाना चाहिए।
राजद सुप्रीमों पर कहा कि जेडीयू में आजकल बड़े नेता हैं वही आज लालू की इस स्थिति के जिम्मेदार हैं। क्योंकि लालू के खिलाफ ये लोग ही कोर्ट में गये थे। आरजेडी को जेडीयू से इस पर सवाल पूछना चाहिए। वही एमएलसी चुनाव परिणाम पर कहा कि इस चुनाव में जो परिणाम सामने आया उससे क्लीयर हो रहा है कि जेडीयू तो पहले से ही कमजोर थी अब महागठबंध भी कमजोर होती जा रही है।