एक्टर प्रेम चोपड़ा की तबीयत बिगड़ी, मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती दिल्ली ब्लास्ट पर बोले तेजस्वी यादव, "देश की राजधानी में ऐसा विस्फोट चिंताजनक, केंद्र सरकार दोषियों पर करे सख्त कार्रवाई" दिल्ली में ब्लास्ट के बाद LNJP हॉस्पिटल पहुंचे अमित शाह, घायलों से की मुलाकात फेसबुक पर LIVE आकर तेजस्वी यादव ने की अपील, “20 साल NDA को मिला, बस 20 महीने हमें दीजिए” दिल्ली धमाके में अब तक 10 लोगों की दर्दनाक मौत, दो दर्जन लोग घायल, PM मोदी ने की अमित शाह से बात दिल्ली धमाके के बाद बिहार में हाई अलर्ट, संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने का निर्देश दिल्ली कार ब्लास्ट में 8 लोगों की मौत की पुष्टि, 12 घायल, इलाके में मची अफरा-तफरी Bihar Election 2025: बिहार में वोटिंग से पहले RJD उम्मीदवार का समर्थक 3 लाख कैश के साथ अरेस्ट, मतदाताओं को पैसे बांटने का आरोप Bihar Election 2025: बिहार में वोटिंग से पहले RJD उम्मीदवार का समर्थक 3 लाख कैश के साथ अरेस्ट, मतदाताओं को पैसे बांटने का आरोप Bihar Crime News: बिहार में दूसरे चरण की वोटिंग से पहले बड़ा एक्शन, नकली नोट और हेरोइन के साथ पकड़ा गया नाबालिग
1st Bihar Published by: Updated Tue, 04 Oct 2022 09:56:24 PM IST
- फ़ोटो
PATNA: बिहार में निकाय चुनाव को लेकर पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने 10 और 20 अक्टूबर को होने वाले नगर निकाय चुनाव को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया है। अब चुनाव की अगली तिथि कुछ दिनों बाद जारी की जाएगी। पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों की 8 घंटे तक लंबी बैठक चली। जिसके बाद यह फैसला लिया गया है।
गौरतलब है कि पटना हाईकोर्ट ने आज बिहार में चल रहे नगर निकाय चुनाव पर रोक लगा दिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि बिहार सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये आदेश का पालन नहीं किया है. सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में ही स्पष्ट किया था कि किसी भी स्थानीय निकाय चुनाव में पिछडे वर्ग को आऱक्षण से पहले सरकार ट्रिपल टेस्ट कराये और उसके आधार पर चुनाव कराये. अब विस्तार से पढिये हाईकोर्ट ने क्या कहा है
पटना हाईकोर्ट का फैसला
हमने बिहार में नगर निकाय चुनाव में आरक्षण में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किये जाने पर याचिकाओं की सुनवाई की. याचिकाकर्ताओं, राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आय़ोग की दलीलों को सुनने के बाद ये निष्कर्ष निकल कर सामने आया.
बिहार में पिछड़ा वर्ग और अत्यंत पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन आवश्यकतानुसार राजनीतिक पिछड़ेपन का पता लगाने के उद्देश्यों से किया गया था. लेकिन बिहार राज्य ने ऐसी कोई कोशिश नहीं कि जिससे ये लगे कि जिस तरह सामाजिक-आर्थिक/शैक्षिक/सेवाओं के तहत आरक्षण प्रदान करने के लिए मानदंड तैयार किये गये हैं वैसे ही मानदंड चुनाव में भी अपनाये गये हैं.
कोर्ट ने कहा है
इस परिस्थिति में हम मानते हैं कि बिहार नगर अधिनियम, 2007 (2007 के अधिनियम संख्या 11) के तहत बिहार राज्य के सभी नगर निकायों के चुनाव के लिए ओबीसी/ईबीसी श्रेणी के लिए सीटों को आरक्षित करने में सरकार और चुनाव आयोग ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित मानकों का सही अनुपालन हीं नहीं किया.
हाईकोर्ट का फैसला
पटना हाईकोर्ट की बेंच ने कहा है
ऐसी स्थिति में कोर्ट ये आदेश देती है कि
1. राज्य चुनाव आयोग, ओबीसी श्रेणी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य श्रेणी की सीटों के रूप में मानते हुए फिर से चुनाव की अधिसूचना जारी करे औऱ तब चुनाव कराये. हमारा ये निर्देश माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर आधारित है.
2. राज्य निर्वाचन आयोग एक स्वायत्त और स्वतंत्र निकाय के रूप में अपने कामकाज की समीक्षा करे, वह बिहार सरकार के निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य नहीं है.
3. बिहार राज्य सरकार स्थानीय निकायों, शहरी या ग्रामीण चुनावों में आरक्षण से संबंधित एक व्यापक कानून बनाने पर विचार कर सकता है, ताकि राज्य को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों के अनुरूप लाया जा सके.
4. इस फैसले की एक प्रति .बिहार के मुख्य सचिव और राज्य चुनाव आयुक्त को कार्रवाई करने के लिए भेजी जाये.
