ब्रेकिंग न्यूज़

Javed Akhtar: "मुझे दोनों तरफ से गालियां पड़ती है, पाकिस्तान जाने से बढ़िया नरक चला जाऊंगा", जावेद अख्तर का बड़ा बयान Bihar electricity: बिना सूचना बिजली गई तो होगी कार्रवाई, बिहार में बिजली विभाग पर गिरी गाज! BJP B Team: "मुझे BJP की B टीम कहने वाले जोकरों को सामने लाओ", विपक्ष पर बरसे ओवैसी Bihar News: इन रेलवे स्टेशनों की कायापलट करने की तैयारी, 2 अतिरिक्त प्लेटफॉर्म, महानगरों के लिए हाई स्पीड ट्रेनें.. और भी बहुत कुछ Patna Crime News: पटना में गोली मारकर शख्स की हत्या, बदमाशों ने सरेआम गोलियों से भूना; ताबड़तोड़ फायरिंग से हड़कंप Apartment registry law : बिहार में फ्लैट खरीदने वालों के लिए बड़ा बदलाव, अब जमीन की नहीं होगी...जानिए नया नियम Bihar politics: देश की छवि खराब कर रही कांग्रेस –फायरब्रांड मंत्री गिरिराज सिंह का तीखा वार Bihar expressway: यहाँ जाने वालों के लिए बन रहा है फोरलेन एलिवेटेड रोड, अब सफर होगा आसान ! Road Accident: सड़क हादसे में बारात से लौट रहे 3 लोगों की मौत, कई घायल Bihar Crime News: अवैध नर्सिंग होम में जच्चा-बच्चा की मौत, डॉक्टर फरार

रामविलास पासवान की अनसुनी कहानियां : DSP की नौकरी को ठुकरा कर सियासत करने आये थे

1st Bihar Published by: Updated Thu, 08 Oct 2020 09:52:19 PM IST

रामविलास पासवान की अनसुनी कहानियां : DSP की नौकरी को ठुकरा कर सियासत करने आये थे

- फ़ोटो

PATNA : रामविलास पासवान के निधन के बाद उनसे जुड़े कई वाकये फिर से जीवंत हो गये हैं. खगड़िया के एक बेहद गरीब परिवार में जन्में रामविलास पासवान ने डीएसपी की नौकरी को ठुकरा कर समाज को बदलने का संकल्प लिया था. 53 सालों के अपने सियासी सफर में उन्होंने कई मिसाल कायम किये.


डीएसपी की नौकरी छोड़ दी थी
खगड़िया के एक गरीब दलित परिवार में जन्म लेने के बाद उन्होंने काफी जद्दोजहद से उच्च शिक्षा हासिल की. पहले एमए और फिर एलएलबी. उस दौर में किसी संपन्न परिवार के युवक के लिए भी इतनी शिक्षा हासिल करना सपना के माफिक होता था. लेकिन रामविलास पासवान ने न सिर्फ उच्च शिक्षा हासिल की बल्कि बढ़िया सरकारी नौकरी भी पा लिया. उन्होंने डीएसपी पद के लिए पीएससी की परीक्षा दी और उनका चयन भी हो गया. लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था.



रामजीवन सिंह ने सियासत में आने की प्रेरणा दी
दरअसल उस दौर में बिहार की राजनीति अशांत थी. मिलीजुली सरकारें बनती थीं और कुछ समय बाद ही गिर जाती थीं. समाजवादियों का बड़ा तबका अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश में लगा था. तब समाजवादी विचारधारा के बड़े नेता रामजीवन सिंह की मुलाकात रामविलास पासवान से हुई जो राजनीति से दूर पुलिस अधिकारी बनने की तैयारी में थे. रामजीवन सिंह पासवान की प्रतिभा से बहुत प्रभावित हुए और उन्हें राजनीति में आने की सलाह दी. रामजीवन सिंह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी में थे। उनके सहयोग से पासवान राजनीति में आ गये और संसोपा के टिकट पर अलौली सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ा.  वे चुनाव जीत गये. पासवान पुलिस अधिकारी के बजाय विधायक बन गये.



इसी बीच संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी यानि संशोपा का विघटन हुआ. पासवान लोकदल से जुड़ गये. 1974 में जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में वे पूरे दमखम से शामिल हुए. नतीजतन उन्हें जेल में बंद कर दिया गया. इंदिरा सरकार के पतन के बाद वे जेल से रिहा हुए. 1977 में जब भारतीय राजनीति ने नयी करवट ली तो रामविलास पासवान बुलंदियों पर पहुंच गये.



जनता पार्टी ने उन्हें 1977 में हाजीपुर सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया. उस समय रामविलास बिहार के साधारण नेता थे. बहुत लोग उन्हें जानते तक नहीं थे. उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार बालेश्वर राम को 4 लाख 25 हजार 545 मतों के विशाल अंतर से हराया। इस तरह पासवान ने सर्वाधिक मतों से जीतने का नया भारतीय रिकॉर्ड बनाया. इस उपलब्धि के लिए उनका नाम गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया. इस रिकॉर्ड जीत ने उन्हें स्टार पोलिटिशियन बना दिया।



1989 में एक बार फिर कांग्रेस के खिलाफ हवा बनी। वी पी सिंह ने मिस्टर क्लीन कहे जाने वाले राजीव गांधी के खिलाफ बोफोर्स का मुद्दा उठा कर राजनीति को एक बार फिर नया मोड़ दिया। कांग्रेस के खिलाफ जनमोर्चा तैयार हुआ। 1989 के लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान फिर हाजीपुर लोकसभा सीट पर खड़ा हुए। इस बार पासवान ने सर्वाधिक मतों से जीत के के अपने ही पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया। उन्होंने कांग्रेस के महावीर पासवान को 5 लाख 4 हजार 448 मतों के विशाल अंतर से हराया। देश में इसके पहले कभी कोई इतने मतों के अंतर से नहीं जीता था। इस तरह रामविलास पासवान देश के एक मात्र नेता हैं जिन्होंने सर्वाधिक मतों से जीतने का दो बार रिकॉर्ड बनाया।