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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 17 Mar 2023 08:49:16 AM IST
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PATNA : राज्य के अंदर फर्जी डिग्री लेकर बहाल हुए टीचरों को लेकर सरकार काफी अलर्ट है और अब यह मामला पटना हाई कोर्ट पहुंच चुकी है। इसको लेकर लोकहित याचिका दायर की गई है। जिसके बाद अब इस मामले में सुनवाई हुई है। रंजीत पंडित की जनहित याचिका पर कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई की है।
दरअसल, बिहार में फर्जी डिग्रियों के आधार पर बड़ी संख्या में शिक्षकों की हुई बहाली के मामले की जांच को लेकर पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। जिसके बाद चक्रधारी शरण सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को एक सप्ताह का समय देते हुए निर्देश दिया कि वह एक समय सीमा निर्धारित करे, जिसके तहत सभी संबंधित शिक्षक अपनी डिग्री व अन्य कागजात प्रस्तुत करें। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि निर्धारित समय के भीतर कागजात व रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं करने वाले शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।
मालूम हो कि, इससे पहले पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट तलब की थी। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि बड़ी संख्या में जाली डिग्रियों के आधार पर शिक्षक राज्य में काम कर रहे हैं। साथ ही वे वेतन उठा रहे हैं। जिसके बाद कोर्ट ने रिपोर्ट तलब की थी। इससे पूर्व कोर्ट ने 2014 के एक आदेश में कहा था, जो इस तरह की जाली डिग्री के आधार पर राज्य सरकार के अधीन शिक्षक हैं, उन्हें ये अवसर दिया जाता है कि वे खुद अपना इस्तीफा दे दें। ऐसे करने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जाएगी।
आपको बताते चलें कि, 26 अगस्त 2019 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि इस आदेश के बाद भी बड़ी संख्या में इस तरह के शिक्षक कार्यरत हैं और वेतन ले रहे हैं। कोर्ट ने मामले को निगरानी विभाग को जांच के लिए सौंपा। निगरानी ब्यूरो को इस तरह के शिक्षकों को ढूंढ निकालने का निर्देश दिया गया। 31 जनवरी 2020 को सुनवाई के दौरान निगरानी विभाग ने कोर्ट को जानकारी दी कि राज्य सरकार इनके संबंधित रिकॉर्ड की जांच कर रही है, लेकिन अब भी एक लाख दस हजार से अधिक शिक्षकों के रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।