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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 27 Oct 2024 08:16:13 AM IST
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PATNA : बिहार की राजनीति के लिए आज का दिन काफी महत्पूर्ण रहने वाला है। इसकी वजह है कि जिस घराने से बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी ने पिछले कुछ सालों से दूरी बना लाया था अब वह घराना वापस से साथ आ रही है। हम बात कर रहे हैं पूर्व सांसद दिवंगत मोहम्मद शहाबुद्दीन के घराने की। ऐसा कहा जाता है कि इस नेता के निधन के बाद उनके परिवार की आरजेडी से दूरियां बढ़ने लगी थी।
लालू यादव के बेहद करीबी रहे मो. शहाबुद्दीन की आरजेडी के संस्थापक सदस्य रहे। लेकिन दूरियां इस कदर बढ़ गई कि 2024 के लोकसभा चुनाव में शहाबुद्दीन की पत्नी हेना शहाब ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। लेकिन एक बाद फिर से दोनों परिवारों के बीच नजदीकियां बढ़ती दिख रही हैं। इसके बीच मुलाकातों का सिलसिला जारी है। पहले एमएलसी विनोद जायसवाल के आवास पर लालू यादव और तेजस्वी यादव ने हेना शहाब से मुलाकात की। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष के सरकारी आवास 5 देशरत्न मार्ग पर शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब ने तेजस्वी यादव से मुलाकात के बाद सियासी सरगर्मी काफी तेज हो गई है। इस सीक्रेट मीटिंग के बाद चर्चा है कि शहाबुद्दीन का परिवार एक बार फिर मजबूती के साथ आरजेडी से जुड़ेगा। इस बात का आज आधिकारिक एलान हो सकता है।
इसके साथ ही 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले तेजस्वी के जनसंवाद यात्रा में भी ओसामा शामिल होंगे। ओसामा और तेजस्वी की इस सीक्रेट मीटिंग में सांसद संजय यादव और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी भी थे। हालांकि, इससे पहले भी 2024 के लोकसभा चुनाव में भी राजद के तरफ से शहाबुद्दीन के परिवार को साथ लाने की कोशिश की गई थी यूं कहें कि इसको लेकर काफी मान मनौव्वल भी की गई। लेकिन, इसके बाद भी हेना शहाब ने आरजेडी का टिकट लेने से इनकार कर दिया।
उनका कहना था कि जो लोग (लालू यादव का परिवार) मुसीबत में उनके साथ नहीं रहे हैं, उनके साथ जाने का सवाल ही नहीं उठता। वे अपने दम पर निर्दलीय चुनाव लड़ी। हेना भले ही चुनाव हार गई लेकिन वे दूसरे स्थान पर रहीं। जबकि राजद के उम्मीदवार रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी तीसरे स्थान पर रहे।
इधर, 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर तेजस्वी यादव अपनी रणनीति में कोई कमी नहीं चाहते। वे भलीभांति जानते हैं कि आरजेडी की नींव माई (मुस्लिम– यादव) समीकरण पर टिकी है। लालू यादव के बनाए इस समीकरण में फूट हुई तो खामियाजा भुगतना ही पड़ेगा। बिहार के मुस्लिम समाज में अभी भी शहाबुद्दीन के नाम की सहानुभूति है। उनके परिवार का आरजेडी से अलग होना RJD को नुकसान पहुंचा सकता है। वहीं दूसरी तरफ हेना शहाब भी समझ चुकी हैं कि आरजेडी ही उनके लिए सही है।
2024 के लोकसभा चुनाव में हेना शहाब ने शहाबुद्दीन के शुरुआती दिनों के समीकरण के आधार पर चुनाव लड़ा। उन्होंने सवर्ण और मुस्लिम वोटों को जोड़ कर जीत की रणनीति बनाई। शानदार तरीके से चुनाव लड़ने के बाद भी हेना शहाब जीत नहीं सकीं। दरअसल उनके पास पार्टी का कैडर वोट नहीं होना सबसे बड़ी कमी रह गई। लिहाजा अब आज दोनों के साथ आने का फैसला लिया जा सकता है।