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शराबबंदी पर घिरे नीतीश अपने गुणगान के लिए करवायेंगे सर्वे : सरकारी संस्थान को मिला ठेका, सर्वे कर बतायें कि कैसे क्रांतिकारी बदलाव हुए

1st Bihar Published by: Updated Tue, 18 Jan 2022 08:24:29 PM IST

शराबबंदी पर घिरे नीतीश अपने गुणगान के लिए करवायेंगे सर्वे : सरकारी संस्थान को मिला ठेका, सर्वे कर बतायें कि कैसे क्रांतिकारी बदलाव हुए

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PATNA: शराबबंदी को लेकर चौतरफा फजीहत झेल रही नीतीश सरकार ने अपने आलोचकों को जवाब देने के लिए नया तरीका निकाला है. एक सरकारी संस्था को सर्वे करने का ठेका दिया गया है. वह संस्था बिहार के लोगों के बीच जाकर शराबबंदी नीति पर सर्वे करेगी. दो महीने में रिपोर्ट तैयार होगी और फिर सरकार बतायेगी कि शराबबंदी से कैसे बिहार में क्रांतिकारी बदलाव हो गये.


बिहार सरकार के मद्य निषेध विभाग ने आज जानकारी दी कि सरकार मद्यनिषेध नीति के प्रभाव का अध्ययन कराने जा रही है. सरकार ये पता करेगी कि 2016 में शराबबंदी लागू होने के बाद हुए कितना सामाजिक और आर्थिक बदलाव हुआ. इसमें जनता खुद बतायेगी कि शराबबंदी के बाद कितना बदलाव हुआ. सूबे के शहरी से लेकर ग्रामीण इलाके में लोगों से बात कर रिपोर्ट तैयार की जायेगी. 


सरकारी संस्थान को ठेका

बिहार के मद्यनिषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के आयुक्त बी कार्तिकेय धनजी ने बताया कि पटना के चाणक्या लॉ यूनिवर्सिटी को ये काम सौंपा गया है. संस्थान का पंचायती राज पीठ ये काम करेगा. बिहार सरकार ने इस सर्वे के लिए संस्थान को 29 लाख 98 हजार 740 रुपये का भुगतान भी कर दिया है. सरकार के एक औऱ संस्थान एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट को भी कहा गया है कि वह रिपोर्ट तैयार करने में मदद करे. मद्य निषेध विभाग के आयुक्त के मुताबिक राज्य के अलग-अलग जिलों में जाकर लोगों से बात की जायेगी और फिर रिपोर्ट तैयार की जायेगी. दो महीने में रिपोर्ट आने की संभावना है. 


सरकार अपने मनमाफिक बिंदुओं पर करा रही है सर्वे

राज्य सरकार ने ये भी जानकारी दी है कि लोगों के बीच जाकर किन बिंदुओं पर सर्वे किया जायेगा. उनसे पूछा जायेगा कि शराबबंदी से जीवनशैली में क्या बदलाव हुआ. उनसे जानकारी ली जायेगी कि पारिवारिक खर्च किस तरह से बदल गया, महिलाओं की स्थिति कितनी अच्छी हो गयी, खान-पान के तरीके में कितना बढिया बदलाव हुआ, अब लोग स्वास्थ्य पर कितना ज्यादा खर्च कर रहे हैं, शिक्षा का स्तर कितना सुधर गया है और महिलाओं पर जो हिंसा हो रही थी वह कितना कम हो गया है. ये तमाम वही प्वाइंट्स हैं जिनका जिक्र नीतीश कुमार बार-बार करते आये हैं. 


पहले भी नीतीश ने कराया था सर्वे

वैसे ये पहली दफे नहीं होगा जब नीतीश कुमार अपने फैसले को बाजिव ठहराने के लिए सर्वे करा रहे हैं. 2016 में जब बिहार में शराबबंदी लागू की गयी थी तो उसके छह माह बाद भी सर्वे कराया गया था. सरकारी की खास संस्था माने जाने वाली आद्रि ने ये सर्वे किया था. रिपोर्ट भी सरकार के मनमुताबिक ही आयी थी. आद्रि की रिपोर्ट में कहा गया था कि शराबबंदी के बाद सामाजिक, आर्थिक के अलावा स्वास्थ्य के क्षेत्र में ढेर सारे सकारात्मक बदलाव हुए हैं. खासकर महिलाओं का जीवन ही बदल गया है.