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1st Bihar Published by: Updated Mon, 29 Aug 2022 06:05:26 PM IST
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PATNA: बिहार में शराबबंदी के बाद रामराज्य की स्थिति आ गयी है। ऐसा बिहार में रहने वाले लोग भले ही महसूस नहीं करें, लेकिन सरकार को रामराज्य वाली रिपोर्ट मिली है। शराबबंदी पर नीतीश कुमार ने खास तरह का सर्वे कराया था। इस सर्वे ने रिपोर्ट दे दी है। बिहार में अब महिलाओं को घर के अंदर और बाहर डर नहीं लगता। बिहार में शराबबंदी के बाद शिक्षा, स्वास्थ्य, कारोबार सब सुधर गया। क्राइम से लेकर रोड एक्सीडेंट पर ब्रेक लग गया। राज्य सरकार ने आज अपने सर्वे की रिपोर्ट जारी की और इस सर्वे में बिहार में रामराज्य वाली स्थिति होने का दावा किया गया है। सर्वे कह रहा है कि चूंकि शराबबंदी से सब सुधर गया इसलिए बिहार के लोग मांग कर रहे हैं शराबबंदी औऱ मजबूती से लागू किया जाये।
दरअसल नीतीश कुमार ने अपने शराबबंदी की सफलता का आकलन करने के लिए खास सर्वे कराया था. बिहार सरकार ने सरकारी कॉलेज चाणक्या लॉ यूनिवर्सिटी को सर्वे करने का जिम्मा दिया था. इस सर्वे टीम ने बिहार के 8 जिलों यानि पटना, गया, बक्सर, किशनगंज, कटिहार, मधुबनी, जमुई औऱ पूर्वी चंपारण में कथित तौर पर 4000 घरों में जाकर शराबबंदी पर सर्वे किया औऱ अपनी रिपोर्ट सौंप दी. बिहार के उत्पाद आयुक्त कार्तिकेय धनजी ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर ये रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट की अहम बातों को हम आपको बतायेंगे लेकिन सबसे पहले देखिये कि सरकार के सर्वे का निष्कर्ष क्या है. सर्वे रिपोर्ट कह रहा है.
“वर्तमान अध्ययन के आधार पर, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि शराबबंदी से सभी स्तरों पर सकारात्मक बदलाव लाए हैं. व्यक्ति, परिवार और समाज तीनों की स्थिति सुधर गयी है. महिलाओं और बच्चों की बेहतर स्थिति हो गयी है. स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक वातावरण बेहद ठीक हो गया है.शराबबंदी से न सिर्फ बिहार में कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ है बल्कि बेहतर समाज भी एकजुट हो गया है. बच्चों में कुपोषण कम हो गया है औऱ महिलायें बेखौफ हो गयी हैं.”
ये शराबबंदी पर नीतीश कुमार के सर्वे का ऩिष्कर्ष है. हम इस सर्वे की सारी खास बातों को बतायेंगे. बिहार के लोग इस रिपोर्ट को पढ़ कर हैरान हो सकते हैं लेकिन सरकार की रिपोर्ट कह रही है कि बिहार के 80 प्रतिशत लोग न सिर्फ शराबबंदी के पक्ष में हैं बल्कि इसे और कड़ा करने की मांग कर रहे हैं. जाति और वर्ग से परे बिहार की सारी महिलायें शराबबंदी के समर्थन में हैं.
नीतीश ने महिलाओं की जिंदगी बदल दी
नीतीश सरकार की रिपोर्ट कह रही है कि शराबबंदी के कारण पूरे बिहार में महिलाओं की जिंदगी बदल गयी. उऩकी जिंदगी में बहार आ गयी. देखिये क्या कहता है सरकारी सर्वे रिपोर्ट..
बिहार के 80 फीसदी लोग मान रहे हैं कि शराबबंदी के बाद महिलाओं को अकेले घर से बाहर निकलने की आजादी हासिल हो गयी है. यानि उन्हें अब बिहार में डर नहीं लगता. शराबबंदी के कारण ही शराबबंदी के बाद महिलायें सार्वजनिक मनोरंजन के जगहों, बाजारों औऱ धार्मिक जुलूसों बड़े पैमाने पर देखी जा रही है.
सरकारी सर्वे के मुताबिक 91 परसेंट लोग ये मान रहे हैं कि शराबबंदी के बाद महिलाओं पर घरेलू हिंसा के मामले बेहद कम गये। सरकारी रिपोर्ट कह रही है कि बिहार के 50 परसेंट लोग ये मानते हैं कि शराबबंदी के कारण महिलाओं को बेहतर राजनीतिक भागीदारी मिल रही है.शराबबंदी के बाद महिलायें घर के फैसले भी लेने लगी है. बिहार के 40 परसेंट लोगों ने सरकारी सर्वे करने वालों को बता कि अब परिवार के फैसले लेने में महिलाओं की भूमिका बढ़ी है. उन्हें घर से बाहर काम करने की ज्यादा आजादी हासिल हो गयी है।
देखिये क्या कहती है शराबबंदी पर सरकारी सर्वे की रिपोर्ट
बिहार के 87 प्रतिशत लोग मानते हैं कि शराबबंदी से घरेलू आमदनी बढ़ गयी है। घरेलू आमदनी बढ़ी तो शिक्षा का स्तर सुधर गया. बिहार के 71 प्रतिशत लोगों ने कहा कि शराबबंदी के कारण बढ़ी हुई आय का बड़ा हिस्सा अब बच्चों की शिक्षा के लिए उपयोग किया जा रहा है। सर्वे के मुताबिक लगभग 67 परसेंट लोग ये मानते हैं कि शराबबंदी के बाद वे अपना या परिवार का इलाज सही तरीके से करा पा रहे हैं। शरारबंदी के कारण परिवार खास कर बच्चों को बेहतर खाना मिल रहा है. 54 परसेंट लोग कह रहे हैं कि पौष्टिक आहार पर खर्च में इजाफा हो गया है। शराबबंदी के बाद लोग अब अपने परिवार को भरपूर समय दे रहे हैं. लगभग 75 प्रतिशत लोग कह रहे हैं कि पहले शराब पीने वाले अब अपने परिवार को समय देते हैं। सरकारी सर्वे कह रही है कि शराबबंदी के कारण सड़क पर चलना सुरक्षित हो गया है. बिहार में सड़क हादसों में 51.4 प्रतिशत की कमी आ गयी है।
शराबबंदी में बस एक ही गडबड़ी
सरकारी सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक शऱाबबंदी से रामराज्य की स्थिति तो आ गयी है लेकिन इसे ठीक से लागू करने में पुलिस फेल हो गयी है. 62 परसेंट लोगों ने कह दिया है कि पुलिस प्रशासन शराबबंदी को ठीक से लागू नहीं कर रहा है. कई लोगों ने सर्वे करने वालों को बताया कि अवैध शराब के उत्पादन और वितरण करने वाले बड़े लोगों को अक्सर छोड़ दिया जाता है जबकि छोटे लोगों (पीने वाले और स्थानीय छोटे सप्लायर) को पकड़ लिया जाता है।