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स्ट्रोक पीड़ित मरीज का इलाज संभव, डॉ जेड आजाद ने कहा- पेशेंट को मृत्यु और विकलांगता से बचाया जा सकता है

1st Bihar Published by: Updated Fri, 29 Oct 2021 06:33:42 PM IST

स्ट्रोक पीड़ित मरीज का इलाज संभव, डॉ जेड आजाद ने कहा- पेशेंट को मृत्यु और विकलांगता से बचाया जा सकता है

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PATNA : इस वक्त स्ट्रोक दुनिया में मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा और स्थायी विकलांगता का तीसरा सबसे बड़ा कारण बना हुआ है. हर चार में से एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में कभी न कभी इसका प्रभाव झेलते हैं. मेडाज हॉस्पिटल के डायरेक्टर और चीफ कंसल्टेट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ जेड आजाद ने बताया कि न्यूरोलॉजिकल इमरजेंसी में घटना के बाद हर मिनट हजारों मस्तिष्क कोशिकाएं मरने लगती हैं. ऐसे में अगर मरीज को गोल्डन आवर्स (4-5 घंटे) के अंदर नजदीक स्ट्रोक सेंटर अस्पताल पहुंचा दिया जाये तो 80 फीसदी मामलों में प्रभावित मरीज की जान के साथ ही उनको स्थायी विकलांगता से भी बचाया जा सकता है.


इस मौके पर बिस्कोमान कोलोनी, गायघाट रोड स्थित अस्पताल परिसर में निःशुल्क स्ट्रोक जागरूकता एवं चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया. इसमें डॉ आजाद के साथ ही चीफ कंसल्टेंट न्यूरो सर्जन डॉ जफर कमाल अंजुम, अस्पताल के चीफ न्यूरो कंसल्टेंट (आइसीयू), डॉ अतिकूर रहमान और रिहेबिलिटेशन विभाग के कंसल्टेंट डॉ राजीव सहित कई विशेषज्ञों ने आम लोगों को स्ट्रोक की वजह, इसकी रोकथाम, लक्षण और तत्काल इलाज से संबंधित उपायों की जानकारी दी.


तत्काल पहुंचाएं अस्पताल तो जान बचाना संभव
लोगों को स्ट्रोक के सामान्य लक्षणों जैसे कि चेहरे का एक तरफ झुकना बांह की कमजोरी और सुन्नता और बिगड़ी हुई आवाज के बारे में बताया एवं समझाया गया. उन्होंने सलाह दी कि ऐसे लक्षण दिखने पर मरीज को तत्कांत सिटी स्कैन की सुविधा वाले किसी पास के अस्पताल में पहुंचाया जाये और किसी न्यूरोलॉजिस्ट की देखरेख भर्ती कराना चाहिए.  डॉ जेड आजाद ने कहा कि ब्लड प्रेशर ब्लड शुगर और हाई कॉलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण और धूम्रपान से बचाव कर इसे रोका जा सकता है. उन्होंने बताया कि मेडाज अस्पताल में स्ट्रोक से संबंधित आकस्मिक घटना और इलाज को लेकर विशेषज्ञ चिकित्सकों और अत्याधुनिक उपकरणों के साथ सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं. 



वॉकथॉन का किया गया आयोजन
विश्व स्ट्रोक दिवस पर संस्थान के चिकित्सक और कर्मियों ने सुबह-सुबह वॉकथॉन का आयोजन भी किया. इस दौरान अस्पताल से लेकर बिस्कोमान गोलंबर गायघाट तक पदयात्रा कर आम लोगों को जागरूक करते हुए उनको इससे बचाव का संदेश दिया गया.