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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 09 Apr 2023 12:02:52 PM IST
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DESK : तामिलनाडू में बिहारी मजदूरों के साथ हुई हिंसा को लेकर झूठी खबर फैलाने वालों पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से गहरी नाराजगी जतायी है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए भाजपा नेता सह पार्टी प्रवक्ता प्रशांत उमराव पटेल को फटकार लगाते हुए माफी मांगने को कहा है। इसके साथ ही 10 अप्रैल को तमिलनाडु पुलिस थाने में पेश होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रशांत उमराव खुद के वकील हैं तो और अधिक जिम्मेदार होना चाहिए।
वहीं, भाजपा नेता ने कहना है कि उन्होंने सिर्फ उन खबरों को ट्वीट किया था, जिन्हें पहले ही कई मीडिया एजेंसियों की ओर शेयर किया जा चुका था। जबकि सच्चाई सामने आने के बाद उनके द्वारा पोस्ट को डिलिट भी कर दिया है। इसके बावजूद उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उन्हें परेशान किया जा रहा है। वहीं पुलिस की ओर से एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने जो शर्त लगाया है, उसमें कुछ भी गलत नहीं है। ये शर्त केवल पूछताछ के लिए लगाया गया है। भाजपा नेता पुलिस के सामने भी पेश नहीं हुए। बीजेपी नेता का ट्वीट गैर- जिम्मेदाराना है। यह लोगों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने वाला है।
वकील ने कोर्ट को बताया कि उनकी ओर से अभी तक ऐसा कोई हलफनामा नहीं दिया है कि जिसमें यह कहा गया हो कि आगे से वे दोबारा कभी इस तरह का पोस्ट नहीं करेंग। उमराव पटेल एक अधिवक्ता हैं। उन्हें इस तरह का पोस्ट नहीं करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि भाजपा नेता पटेल को जिम्मेदार होना चाहिए। उन्हें अगली सुनवाई से पहले मांफी मांगनी होगी। भाजपा नेता उमराव पटेल ने सोशल मीडिया पर 23 फरवरी को एक ट्वीट किया था। उसमें कहा गया था कि तमिलनाडु में हिन्दी बोलने की वजह से 15 प्रवासी मजदूरों को पीटा गया इस दौरान 12 लोगों की मौतें हुई।