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1st Bihar Published by: Updated Tue, 13 Sep 2022 06:35:27 PM IST
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ARRAH: चार दिन पहले बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव ने आरा में मीटिंग कर स्वास्थ्य विभाग के लोगों चेतावनी दी थी. सरकारी अस्पतालों में इलाज से लेकर दवाई, सफाई, सुनवाई औऱ कार्रवाई नहीं हुई तो डॉक्टर से लेकर कर्मचारी नाप दिये जायेंगे. आज उसका हश्र सामने आ गया।
आरा के सदर अस्पताल में आयी एक इमरजेंसी मरीज को 10 घंटे तक डॉक्टर ने नजर उठा कर देखा तक नहीं. इलाज की कौन कहे, बीपी की जांच तक नहीं की गयी. सरकारी एंबुलेंस ने आने से इंकार किया तो मरीज को बाइक पर बिठा कर अस्पताल लाना पड़ा. मरीज की जान खतरे में देख परिजनों ने हंगामा किया फिर उसे लेकर पटना चले गये. मरीज के परिजनों ने सत्ता पक्ष के विधायक से लेकर डीएम तक से पैरवी लगवायी, लेकिन कोई सुनवाई औऱ कार्रवाई नहीं हुई।
मामला आरा का है, जहां के प्रभारी मंत्री बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव खुद हैं. चार दिन पहले ही वे जिले के सारे अधिकारियों के साथ बैठक कर गये हैं. बैठक में तेजस्वी यादव ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को खास तौर पर चेतावनी दी थी कि सरकारी अस्पतालों में कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी. लेकिन आरा सदर अस्पताल में 10 घंटे तक मरीज की जान खतरे में डालकर उसे लावारिस छोड़ दिया गया. इसके बाद मरीज के परिजनों ने जमकर हंगामा किया।
दरअसल आऱा के अजीमाबाद थाना क्षेत्र के बड़गांव निवासी सुनील सिंह अपनी 23 साल की बेटी करिश्मा कुमारी को इमरजेंसी की हालत में इलाज कराने आरा सदर आए थे. मरीज 10 घंटे तक अस्पताल में पड़ी रही, उसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ने लगी. मरीज की हालत खराब देख परिजनों ने जमकर हंगामा खड़ा कर दिया गया. मरीज के परिजन कह रहे थे कि किसी डॉक्टर ने अब तक कोई इलाज ही नहीं किया है. हद तो ये कि 10 घंटे में मरीज की बीपी जांच तक नहीं किया गया है. पेशेंट की हालत बिगडते देख परिजन आग बबूला हो गए और आरा सदर अस्पताल में जमकर बवाल और हंगामा करना शुरू कर दिया. इससे पूरे अस्पताल में घंटों अफरा तफरी मची रही।
आरा सदर अस्पताल में काफी देर तक हंगामा होने के बाद अस्पताल के उपाधीक्षक डॉक्टर अरुण मौके पर पहुंचे उन्होंने इलाजा का आश्वासन देकर परिजनों को शांत कराया. उसके बाद मरीज की इलाज भी शुरू कराई गयी. लेकिन मरीज करिश्मा की तबीयत और बिगड़ गयी. ऐसे में परिजन उसे लेकर पटना रवाना हो गये.
सत्ताधारी विधायक की पैरवी भी बेकार, एंबुलेंस तक नहीं मिली
मरीज करिश्मा कुमारी के भाई राणा प्रताप सिंह ने बताया कि सोमवार को ही उनकी बहन की तबियत खराब हो गई. उसकी आवाज निकलना बंद हो गई थी. उसके बाद इलाजा के लिए अगिआंव पीएचसी में ले गए. पीएचसी के डॉक्टर ने मरीज को आरा रेफर कर दिया. राणा प्रताप सिंह ने कहा कि उन्होंने जब एंबुलेंस के सरकारी नंबर पर कॉल किया तो उसने झूठ बोल दिया. इसके बाद राणा प्रताप अपनी बीमार बहन को बाइक पर बिठाकर रात में आरा सदर अस्पताल ले आए।
मरीज के भाई ने बताया कि उसी दौरान अगिआंव के माले विधायक मनोज मंजिल भी आए थे. विधायक ने जिलाधिकारी से बात की थी. लेकिन उसके बाद भी इलाज नहीं किया गया. वे सदर अस्पताल में इधर से उधर दौडते रहे लेकिन कोई डॉक्टर मरीज को देखने नहीं आया।
मरीज के परिजनों के साथ धक्का मुक्की
मरीज के भाई राणा प्रताप सिंह ने बताया कि जब उन्होंने डॉक्टर से पूछा कि मरीज का अभी तक बीपी जांच भी क्यों नहीं किया गया है तो अस्पताल के स्टाफ गाली-गलौज के साथ धक्का देने लगे. राणा ने बताया कि उसी दौरान उन्होंने देखा कि कि एक दूसरी महिला किसी मरीज को गोद में लेकर आ रही है और सदर अस्पताल का कोई आदमी उसकी मदद नहीं कर रहा है तो मैंने उसका वीडियो बना लिया. राणा प्रताप ने वीडियो को दिखाकर अस्पताल के कर्मचारियों से पूछा कि स्ट्रेचर होने के बाद भी परिजन मरीज को गोद में लेकर क्यों आ रहे है. इससे सदर अस्पताल के स्टाफ भड़क कर मारपीट करने लगे. राणा प्रताप सिंह के मुताबिक वे डॉक्टरों से ये भी कह रहे थे कि उनके मरीज को पटना रेफर कर दिया जाये लेकिन ये भी करने को कोई तैयार नहीं था।
एसेसर फॉर असेसमेंट की टीम ने की बदसलूकी
उधर, मंगलवार की सुबह सरकार द्वारा तय एजेंसी एसेसर फॉर असेसमेंट की टीम अस्पताल की जांच करने आई थी. राणा प्रताप सिंह ने टीम के सदस्यों को अपनी समस्या को बताया. लेकिन वे लोग भी मदद करने के बाजय बदसलूकी करने लगे. एसेसर फॉर असेसमेंट की टीम के सदस्यों ने एक महिला पत्रकार के कैमरे को भी छीनने की कोशिश की. काफी देर तक हंगाने के बाद विधि व्यवस्था बनाने के लिए बनाए गए पुलिस की चीता टीम मौके पर पहुंची. पुलिस ने मरीज के परिजनों से बातचीत कर उन्हें शांत करवाया. इसके बाद परिजन अपने मरीज को लेकर पटना रवाना हो गये।
उपाधीक्षक बोले-मैं कोर्ट में था
आरा सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ अरूण ने बताया कि वे आरा सिविल कोर्ट में गये थे, इसलिए उन्हें पूरे मामले की जानकारी नहीं है. लेकिन वे जब अस्पताल पहुंचे तो देखा कि इमरजेंसी वार्ड में कुछ परिजन हंगामा कर रहे थे. उसके बाद उन्होंने पूरा मामला पता किया तो पता चला कि उस दौरान अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टर मौजूद नहीं थे. उपाधीक्षक ने कहा कि उन्होंने डॉक्टर से जवाब मांगा है कि वह इमरजेंसी वार्ड में क्यों नहीं थे।