उद्धव ठाकरे ने दी नीतीश को नसीहत:सार्वजनिक तौर पर ऐसे बोलियेगा तो भाजपा खुश हो जायेगी

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR EXCLUSIVE Updated Mon, 06 Nov 2023 07:53:47 PM IST

उद्धव ठाकरे ने दी नीतीश को नसीहत:सार्वजनिक तौर पर ऐसे बोलियेगा तो भाजपा खुश हो जायेगी

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DESK: पटना में खुले मंच से कांग्रेस के खिलाफ बोलने वाले नीतीश कुमार को अब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना भी नसीहत दी है. शिवसेना(यूबीटी) ने नीतीश से कहा है-सार्वजनिक तौर पर ऐसे बोलियेगा तो भाजपा खुश हो जायेगी. इससे पहले कांग्रेस ने आज ही कहा है कि नीतीश कुमार चाह रहे हैं कि एक-दो दिन में ही नरेंद्र मोदी को कुर्सी से हटा दिया जाये.


बता दें कि नीतीश कुमार ने 2 नवंबर को पटना में सीपीआई की रैली के दौरान कहा था कि कांग्रेस के कारण विपक्षी पार्टियों के गठबंधन I.N.D.I.A का काम रूक गया है. कांग्रेस देश भर में विपक्षी पार्टियों के गठबंधन को मजबूत करने के बदले विधानसभा चुनाव में लगी है. नीतीश ने कहा था कि कांग्रेस को जो मन है वो करे. 


उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने आज इस मसले को लेकर नीतीश कुमार को नसीहत दी है. शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र 'सामना' में ये बातें कहीं गई हैं. सामना में कहा गया है कि I.N.D.I.A गठबंधन केंद्र में काबिज तानाशाह शासन को खत्म करने के लिए बनाया गया है. लेकिन राज्यों में राजनीति अलग होती है. शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया है कि इस महीने पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव अगले साल के लोकसभा चुनावों का फुल ड्रेस रिहर्सल हैं. 


सामना के संपादकीय में लिखा गया है कि जिन पांच राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव हो रहे हैं, वहां कांग्रेस एक प्रमुख दल हैय कांग्रेस के लिए सत्ता के दुरुपयोग और धन के अहंकार को खत्म करने के वास्ते विधानसभा चुनाव जीतना महत्वपूर्ण है. ये इंडिया गठबंधन के लिए अहम साबित होगा. 


सामना में लिखा गया है कि कहा कि 28 विपक्षी दलों का गठबंधन बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले नीतीश कुमार को अपनी चिंता सार्वजनिक रूप से व्यक्त नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे भारतीय जनता पार्टी को ही खुशी होगी. सामना के संपादकीय में कहा गया है कि विपक्षी पार्टियों का गठबंधन केंद्र से भाजपा सरकार को हटाने के लिए बनाया गया है और सभी इस पर सहमत हैं. लेकिन राज्यों की  राजनीति अलग होती है और बड़े राजनीतिक दलों को उसके अनुसार फैसले लेने पड़ते हैं।