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उपेंद्र कुशवाहा की तीसरी कसम: मर जायेंगे लेकिन बीजेपी में नहीं जायेंगे, कभी नीतीश को लेकर भी ऐसी ही कसम खायी थी

1st Bihar Published by: Updated Mon, 28 Nov 2022 07:24:10 AM IST

उपेंद्र कुशवाहा की तीसरी कसम: मर जायेंगे लेकिन बीजेपी में नहीं जायेंगे, कभी नीतीश को लेकर भी ऐसी ही कसम खायी थी

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PATNA: जेडीयू में किनारे लगा दिये गये उपेंद्र कुशवाहा ने आखिरी कसम खायी है. रविवार को नीतीश कुमार की मौजूदगी में उपेंद्र कुशवाहा ने कसम खायी- कुछ लोग मेरे बारे में गलत अफवाह फैला रहे हैं. मैं मर जाऊंगा लेकिन बीजेपी में नहीं जाऊंगा. दिलचस्प बात ये है कि उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के बगल में बैठ कर ये कसम खा रहे थे लेकिन कुछ दो साल पहले तक वे नीतीश कुमार के साथ नहीं जाने की भी ऐसी ही कसमें खाते थे. 

उपेंद्र कुशवाहा की कसम

रविवार को पटना में जेडीयू राज्य पर्षद की बैठक थी. नीतीश कुमार समेत पार्टी के तमाम नेता और सैकड़ों कार्यकर्ता उस बैठक में मौजूद थे. उपेंद्र कुशवाहा जब भाषण देने के लिए खड़े हुए तो कसमें खाने लगे. वे बोले-कुछ लोग मेरे बारे में भ्रामक खबर फैला रहे हैं. ये कहा जा रहा है कि मैं भाजपा में शामिल होने जा रहा हूं. मैं मर जाऊंगा लेकिन भाजपा में नहीं जाऊंगा. उपेंद्र कुशवाहा ने ये भी कहा कि मेरे मंत्री बनने को लेकर भी अफवाहें फैलायी गयीं. लेकिन मैं बिहार में मंत्री नहीं बनूंगा. मंत्री बनने की मेरी कोई चाह नहीं है.


उपेंद्र ने क्यों खायी कसम

सवाल ये उठ रहा है कि जेडीयू की भरी बैठक में उपेंद्र कुशवाहा को कसम क्यों खानी प़डी. उन्हें कसम खा कर ये सफाई ये क्यों देनी पड़ी कि वे नीतीश कुमार के लिए वफादार हैं और उन्हें छोड़ कर नहीं जा रहे हैं. हमने जेडीयू के कई नेताओं से इस बारे में बात की. ऑफ दि रिकार्ड ढेर सारी बातें सामने आयीं. दरअसल उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू में बड़े सपने लेकर शामिल हुए थे. जेडीयू के एक वरीय नेता ने बताया कि उपेंद्र कुशवाहा जब 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद जेडीयू में शामिल हुए थे तो उन्हें लग रहा था कि वे ही नीतीश के उत्तराधिकारी बन कर आये हैं. लेकिन लगभग दो सालों में उन्हें अपनी हैसियत का अंदाजा हो गया है.

जेडीयू के नेताओं ने फर्स्ट बिहार से बातचीत में कहा कि किसी पार्टी के संसदीय बोर्ड का काम पार्टी की नीतियां बनाना और चुनाव में प्रत्याशियों का चयन करना होता है. अभी हाल में ही पार्टी ने कुढ़नी उप चुनाव में अपने प्रत्याशी का एलान किया है. क्या उसमें उपेंद्र कुशवाहा की कोई भूमिका थी. उससे पहले नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ कर राजद से तालमेल कर लिया था. उपेंद्र कुशवाहा को तो कोई भनक भी नहीं थी कि नीतीश कुमार क्या करने जा रहे हैं. सरकार में मंत्री बनाने की बात हो या कोई और मसला, उपेंद्र कुशवाहा से औपचारिक बातचीत तक नहीं की गयी. 


जेडीयू के एक और नेता ने दिलचस्प जानकारी साझा की. उन्होने कहा कि जेडीयू में कुशवाहा नेता अहम पद पर हैं. प्रदेश अध्यक्ष पद पर फिर से उमेश कुशवाहा को बिठाया गया है. उमेश कुशवाहा उसी जिले से आते हैं जहां के उपेंद्र कुशवाहा हैं. शुरू से ही उमेश कुशवाहा को उपेंद्र का विरोधी माना जाता है. जेडीयू ने फिर से उमेश कुशवाहा को ही प्रदेश अध्यक्ष बना दिया और उपेंद्र कुशवाहा चुपचाप तमाशा देखने के अलावा और कुछ नहीं कर पाये. वहीं, जेडीयू के एक और कुशवाहा नेता जयंत राज राज्य सरकार में मंत्री हैं. वे जगजाहिर तौर पर उपेंद्र कुशवाहा विरोधी कैंप के माने जाते हैं. इसी साल जब राजद-जेडीयू की नयी सरकार बन रही थी तो उपेंद्र कुशवाहा ने पूरी कोशिश की थी कि जयंत राज मंत्री नहीं बन पायें. लेकिन जयंत राज फिर से मंत्री बनाये गये.

जेडीयू नेताओं के मुताबिक संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष की हालत ये है कि वे पार्टी दफ्तर में एक चपरासी तक को नहीं रखवा सकते. उपेंद्र कुशवाहा ने जब अपनी पार्टी का विलय जेडीयू में किया था तो अपने साथ कुछ नेताओं को लेकर आये थे. वे सारे नेता जेडीयू में कहीं नहीं है. हद तो ये कि पार्टी के कार्यक्रमों के अलावा नीतीश जिस किसी दूसरे कार्यक्रम में जाते हैं वहां शायद ही कहीं उपेंद्र कुशवाहा को न्योता दिया जाता है. 

ऐसे में अगर उपेंद्र कुशवाहा खुले मंच से कसम खा रहे हैं तो ये साफ है कि वे नीतीश कुमार का भरोसा जीतना चाह रहे हैं. लेकिन मूल बात ये है कि नीतीश कुमार ये घोषित कर चुके हैं कि सरकार में उऩके उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव होंगे. पार्टी ललन सिंह चला रहे हैं. ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा की जगह कहां बची है. 


पहले नीतीश को लेकर खायी थी कसमें

उपेंद्र कुशवाहा के साथ काफी दिनो तक राजनीति कर चुके एक जेडीयू नेता ने बताया वे जब अपनी पार्टी चला रहे थे तो नीतीश कुमार को लेकर भी ऐसी ही कसमें खाते थे. उपेंद्र कुशवाहा तब बिहार के सीएम आवास को अय्याशी का अड्डा बताते थे और खुलेआम एलान करते थे कि वे ऐश करने वाले लोगों के साथ जीवन में कभी नहीं जायेंगे. ऐसे में बीजेपी के साथ नहीं जाने की उनकी कसम कितने दिनों तक कायम रहेगी ये देखने की बात होगी.