अरवल में अनियंत्रित स्विफ्ट डिज़ायर कार नहर में गिरी, एक युवक लापता, रेस्क्यू जारी Bihar Dsp Suspend: धनकुबेर DSP को नीतीश सरकार ने किया सस्पेंड...SVU ने आय से 1 Cr रू अधिक अर्जित करने के आरोप में दर्ज किया है केस Bihar News: नीतीश सरकार ने शांभवी चौधरी समेत तीन नेताओं की बढ़ाई सुरक्षा, कांग्रेस अध्यक्ष को भी 'वाई' श्रेणी की सिक्योरिटी G.D. Goenka School Purnia : पूर्णिया के जीडी गोयनका विद्यालय ने रचा इतिहास, बच्चों ने जीते 94 पदक पटना पुलिस ने महाकाल गैंग का किया सफाया, भारी मात्रा में हथियार और कारतूस बरामद Patna Traffic Alert: पटना में बढ़ेंगी दिक्कतें: मीठापुर-सिपारा एलिवेटेड रोड पर इस दिन तक बंद रहेगा आवागमन बिहार में खनन क्षेत्र की संभावनाओं पर उच्चस्तरीय बैठक, रोजगार और राजस्व पर फोकस Sayara Blockbuster Effect : ब्लॉकबस्टर ‘सैयारा’ ने बदली अनीत पड्डा की किस्मत, अब दिखेंगी YRF की अगली फिल्म में पूर्णिया नगर निगम की उपेक्षा से इलाके के लोग नाराज, बीच सड़क पर ही करने लगे धान की रोपनी Amrit Bharat Train: त्योहारी सीजन में यात्रियों को बड़ी राहत, रेलवे चलाएगा शेखपुरा से दिल्ली तक विशेष अमृत भारत ट्रेन
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 14 Mar 2023 07:31:45 PM IST
- फ़ोटो
PATNA: वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के आकस्मिक निधन पर भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि डॉ वेद प्रताप जी के चले जाने से पत्रकारिता जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। परमात्मा दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर शोकाकुल परिवारजनों को दुःख की यह विकट घड़ी सहन करने की शक्ति दें।
आरके सिन्हा ने कहा कि वेद प्रताप वैदिक जी का अचानक हमलोगों के बीच से जाना पूरे पत्रकारिता जगत के लिए बहुत ही बड़ा नुकसान है। वेद प्रताप वैदिक जी इस आयु में भी लगभग प्रतिदिन लिखते थे और देश-विदेश के सैकड़ों समाचार पत्रों में उनके लेख प्रतिदिन छपते भी रहते थे। भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा ने कहा कि आज सुबह ही मैं वैदिक जी का ताजा लेख पढ़ रहा था। ‘‘विदेश नीति में भारत से चीन आगे क्यों’’। यह लेख ईरान और सउदी अरब के बीच के समझौते को लेकर है। वेद जी की चिंता थी कि इसकी सारा श्रेय चीन लूटे चला जा रहा है और भारत ईरान-सउदी अरब दोनों देश का मित्र देश होने के बावजूद चुपचाप बैठा है। यह लेख वैदिक जी ने मुझे 11 मार्च को सुबह 7.56 मिनट पर भेजा। फिर दुबारा यही लेख 7.57 मिनट पर भी भेजा। वैसा वे कई बार ऐसा करते भी थे। जब वे ऐसा सोचते थे तो उस लेख को मुझे पढ़ना जरूरी है।
वेद जी मेरे बड़े भाई के तरह थे। जब भी वे किसी आयोजन में पटना आते तो वे मेरे निवास अन्नपूर्णा भवन में ही ठहरते थे। मेरे घर का भोजन उन्हें पसंद था। सामान्यतः पूर्णत शाकाहारी व्यक्ति को किसी दूसरे के घर का भोजन तभी रूचिकर लगता है जब उन्हें मन पसन्द का भोजन मिले। वैसे तो वे अपना सूखा भोजन लेकर ही प्रवास करते थे। लेकिन, वेद जी जब मेरे घर आते थे, तो बहुत ही निश्चित होकर शांतभाव से अपने पसन्द का भोजन करते थे। उनके लिए भोजन से कहीं ज्यादा जरूरी था, प्रतिदिन सम सामयिक विषयों पर लिखना और उसे ज्यादा से ज्यादा देश दुनिया के तमाम अखबारों में और मित्रों के बीच प्रसारित करना। कोई कुछ पैसा दे दे तो ठीक है और नहीं भी दे तो भी ठीक। उनके द्वारा प्रसारित पूरा लेख छापे तो बहुत बढ़िया। काट-छांट कर भी छापे तो भी कोई शिकायत नहीं। कोई उनके लेख का पारिश्रमिक भेज दे तो भी धन्यवाद और न भी भेजे तो भी उससे कोई शिकायत नहीं।
अपने पचास वर्ष के पत्रकारिता जीवन में मैंने ऐसे सिर्फ दो महान सम्पादक पाये जो ‘‘स्वान्तः सुखायः’’ प्रतिदिन करते थे। एक थे डा0 वेद प्रताप वैदिक और दूसरे थे बड़े भाई स्वर्गीय भानु प्रताप शुक्ल। उन्होंने कभी इस बात की चिंता ही नहीं की कि किसी ने कुछ दिया या नहीं या दिया तो कितना दिया। उनका पत्रकारिता का धर्म था लिखना कर्तव्यबोध था अपनी बात को साफगोई से निर्भिकता पूर्वक व्यक्त करना। वैदिक जी सबके मित्र थे। कभी किसी से कटु शब्द बोलते नहीं थे। लेकिन, यदि जरूरत पड़े और उनका पत्रकारिता का धर्म किसी की आलोचना करने को विवष करे तो वे किसी को आलोचना करने से हिचकते भी नहीं थे।
उन्होंने बताया कि जब मैं 2016 में हिन्दुस्थान समाचार का अध्यक्ष बनाया गया था तो सबसे पहले बधाई देने वाले वैदिक जी ही थे। जब ’’हिन्दुस्थान समाचार’’ को अपने शासनकाल में इंदिरा गांधी जी ने सरकारी एजेंसी ’’समाचार’’ में विलय कर दिया था तो, उस समय के निदेशक मंडल के सदस्यों में वेद प्रताप वैदिक जी भी थे। इंदिरा गांधी के इस निर्णय से वेद जी सख्त नाराज थे और वे इस मामले पर वे इन्दिरा जी के पास जाकर झगड़ा करने को तैयार थे। लेकिन स्व0 बालेश्वर अग्रवाल जी ने उन्हें समझाया कि तुम समझो कि इंदिरा गांधी जिस प्रकार की महिला हैं, जिद पर अड़ी हैं तो उनके जैसे झगड़ा करने का कोई मतलब नहीं है।
आरके सिन्हा ने बताया कि वेद प्रताप वैदिक जी एक अति संवेदनशील मानवीय गुणों से भरपूर व्यक्ति थे। एक बार मैं पटना के रवीन्द्र भवन में एक कार्यकम में मंच पर बैठा था। बार बार उनका फोन आ रहा था और मैं उसे हर बार काटते जा रहा था। वे फोन करते ही जा रहे थे। जब 6-7 बात ऐसा हो गया तो मैं लधुशंका करने के बहाने से सीट से उठा और बाहर जाकर उन्हे फोन किया और कहा कि मैं एक मीटिंग में बैठा था और आप फोन करके परेशान होते जा रहे हैं, क्या बात है?
उन्होंने कहा कि ’’पता है, सिद्धेश्वर बाबू का देहांत हो गया है।’’ मैंने कहा कि मुझे भी जानकारी मिली है कि वे अब नहीं रहे। उन्होंने कहा कि वे तीसरी मंजिल पर रहते हैं उन्हें नीचे उतारना होगा। मैंने कहा कि वे एक अति सम्मानित व्यक्ति थे और वे नालन्दा के सांसद और मंत्री भी रहे हैं। हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष अनिल सुलभ जी इसी कार्यक्रम को छोड़कर अभी वहीं गये हैं। मैं भी कार्यक्रम की समाप्ति के बाद वहीं जाने वाला हूॅ। मैं वहां गया और दूसरे दिन सिद्धेश्वर बाबू के संस्कार में शामिल हुआ। लेकिन, जब तक उनका अंतिम दाह-संस्कार नहीं हो गया, वे बराबर फोन करते रहे। ऐसी थी वेद प्रताप वैदिक जी की संवेदनशीलता।
आज सुबह जब मैंने उनका रविवार का भेजा हुआ लेख पढ़ लिया, तो मैंने उन्हें फोन किया। सामान्यतः वे तुरन्त फोन उठा लेते थे। इस बार फोन बजता रहा। लेकिन, वे फोन नहीं उठाये। अंत में 9.33 मिनट पर मैंने वेद प्रताप वैदिक जी को एक संदेश भेजा। ‘‘मान्यवर वैदिक जी नमस्कार, मैं आर0 के0 सिन्हा’’ । यह संदेश रिसिव भी हो गया, लेकिन जवाब नहीं मिला। मुझे लगा वे कुछ लिख रहे हैं। जब मैं तैयार होकर गाड़ी में बैठकर दिल्ली के तरफ निकला तो किसी पत्रकार का फोन आया। उसने कहा कि वेद प्रताप वैदिक जी का देहांत हो गया है। वे इंदौर गये थे और वहां ही उनका देहांत हो गया है। मैं समझ गया कि सोमवार को उनका लेख क्यों नहीं आया था। प्रतिदिन वे कुछ न कुछ लिखते ही थे। ऐसे महान पत्रकार का जाना कितना बड़ा दुःख है यह मेरे जैसा पाठक के लिए, मैं ही जानता हूं। माननीय वेद प्रताप वैदिक जी को मेरी और हिन्दी पत्रकारिता जगत की तरफ से अश्रुपूर्ण विनम्र श्रद्धांजलि।