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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 21 Aug 2025 03:14:35 PM IST
BIHAR NEWS - फ़ोटो file photo
BIHAR NEWS : बिहार की कहानी अपने शरुआती दिनों से ही कादि सुर्ख़ियों में रही है। यहां न सिर्फ अधिकारियों की भड़माड़ देखने को मिला बल्कि उसी रफ़्तार में इस प्रदेश में बाहुबलियों का बोलबाला देखने को मिला। यहां एक से बढ़कर बाहुबली सुर्ख़ियों में आए और आलम यह रहा है कि इनका न सिर्फ बिहार में तूंती बोला बल्कि पड़ोसी राज्यों में भी इनके नाम की दहशत रहती है। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने वाले हैं जिनके बारे में जानकार यह कहते हैं यह लोग वीकेंड पर खून की होली खलते थे। आइए जानते हैं और इनकी कहानी क्या है ?
दरसअल, 90 के दशक को बिहार की सत्ता में काबिज पार्टी जंगलराज करार देती है। यह कहानी भी उसी दौर की है। जब पूर्वांचल के इलाके में कई माफिया के नाम का तूंती बोला करता था। यह लोग जहां खड़े हो जाते हैं वहीं इनका साम्राज्य मान लिया जाता था। इतना ही नहीं यह लोग वीकेंड पर अलग तरह की होली भी खलते थे और खुद में एक बड़ी कहानी कही जाती है।
बताया जाता है कि बिहार में 1990 के दौरान माफिया राज अपने चरम पर था। इस दौरान माफियाओं ने खून के बदले खून की रवायत बना दी थी। यह बात भाजपा के तरफ से काफी जोड़ देकर कही जाती है। ऐसे में यह एक संयोग बन गया कि बिहार में जितनी बड़ी हत्या हुई वह वीकेंड पर हुई है। इसमें बृज बिहारी प्रसाद समेत चार पर प्रमुख नेताओं का नाम शामिल है।
पहली हत्या दिग्गज कांग्रेसी नेता एलपी शाही के विधायक बेटे हेमंत शाही की हुई, जिन पर हमला शनिवार को हुआ था। 28 मार्च 1992 को टेंडर के झगड़े में हेमंत पर गोलियां बरसा दी गयी। जबकि मौत दो दिन बाद 30 मार्च को हुई। भूमिहार जाति के हेमंत शाही की दोस्ती उस समय बिहार के सबसे बड़े माफिया कहे जाने वाले अशोक सम्राट से थी। बिहार में पहला एके 47 लाने वाला अशोक सम्राट बेगूसराय का भूमिहार था।
इसके बाद दूसरी हत्या 4 दिसंबर 1994 को केसिरया से प्रचार के बाद घर लौट रहे छोटन शुक्ला की हो गई। यह दिन था रविवार। वीकेंड पर छोटन शुक्ला की हत्या शहर के उस इलाके में हुई जो बृज बिहारी का एरिया कहा जाता था और उनके घर के पास था। पुलिस ने इस केस को ब्लाइंड बताकर कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी। इतना ही नहीं छोटन शुक्ला की शवयात्रा के दौरान 5 दिसंबर 1994 को मुजफ्फरपुर में गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या कर दी गई।
छोटन शुक्ला की हत्या के बाद भुटकुन शुक्ला ने गैंग की कमान संभाल ली। भुटकुन शुक्ला ने छोटन शुक्ला की हत्या में शामिल रहे ओंकार सिंह को 1996 में उसी तरह घेरकर मुजफ्फरपुर में एके 47 से भून दिया। अब भुटकुन को उनके ही बॉडीगार्ड दीपक सिंह ने 16 जुलाई 1997 को घर में ही पिस्टल साफ कर रहे भुटकुन शुक्ला को भून डाला।