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महागठबंधन में महाघमासान होना तय! RJD से दबने को तैयार नहीं कांग्रेस, को-ओर्डिनेशन कमेटी में दिखा दिया अपना जोर

कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीएम फेस और सीट शेयरिंग को लेकर टकराव तेज़ हो गया है। तेजस्वी यादव को CM फेस बनाने को लेकर असमंजस बरकरार है, वहीं कांग्रेस ने समन्वय समिति में अपनी ताकत दिखाते हुए बराबरी की हिस्सेदारी की मांग ठोक दी है।

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR EXCLUSIVE Updated Fri, 25 Apr 2025 08:02:13 PM IST

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को-ओर्डिनेशन कमेटी बनाने में भी खेल - फ़ोटो google

 PATNA: (Bihar Mahagathbandhan Politics) क्या बिहार के महागठबंधन में महाघमासान होना तय है? आसार तो ऐसे ही नजर आ रहे हैं. कांग्रेस अब तक तेजस्वी यादव को सीएम पद का दावेदार मानने को तैयार नहीं है. आरजेडी के प्रवक्ता कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरू को ऐरू-गैरू बता रहे हैं. इस बीच महागठबंधन में शामिल पार्टियों की को-ओर्डिनेशन कमेटी में कांग्रेस ने एक बाऱ अपना जोर दिया दिखा दिया है. 


बिहार में चुनावी तैयारियों को लेकर महागठबंधन पहले ही एनडीए से पिछड़ चुका है. एनडीए ने तीन महीने पहले से ही साझा चुनावी अभियान शुरू कर रखा है. लेकिन महागठबंधन की चुनावी तैयारी की अभी भूमिका ही बन रही है. लेकिन इसमें भी आऱजेडी-कांग्रेस के बीच वर्चस्व की लड़ाई लगातार सवाल खड़े कर रखे हैं. 


को-ओर्डिनेशन कमेटी बनाने में भी खेल

बिहार में महागठबंधन के दलों के बीच तालमेल बनाने की शुरूआत 10 दिन पहले हुई थी जब 15 अप्रैल को तेजस्वी यादव ने दिल्ली जाकर राहुल गांधी से मुलाकात की थी. उसी बैठक में राहुल गांधी ने कहा था कि महागठबंधन में शामिल पार्टियों की को-ओर्डिनेशन कमेटी बननी चाहिये. जो चुनावी अभियान से लेकर बाकी सारी चीजें तय करे. लेकिन को-ओर्डिनेशन कमेटी बनाने में ही कई तरह के खेल हो रहे हैं.


महागठबंधन की पहली साझा 17 अप्रैल को आरजेडी दफ्तर में हुई थी, जिसमें को-ओर्डिनेशन कमेटी यानि समन्वय समिति के गठन का फैसला हुआ था. ये तय किया गया था कि इस कमेटी के अध्यक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) होंगे. 17 अप्रैल को ये तय हुआ था कि इस कमेटी में तेजस्वी यादव के अलावा महागठबंधन के 6 घटक दलों से दो-दो सदस्य शामिल होंगे. य़ानि तेजस्वी को लेकर इस कमेटी में कुल 13 मेंबर होंगे. 


सदस्यों की कुल संख्या 12 होनी थी.

दूसरी बैठक में बदल गया कमेटी का स्वरूप 24 अप्रैल को महागठबंधन के घटक दलों की दूसरी संयुक्त बैठक कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय में हुई. इस बैठक में फिर से को-ओर्डिनेशन कमेटी बनाने पर चर्चा हुई. जानकार सूत्र बताते हैं कि बैठक में कांग्रेस ने कहा कि उसे इस कमेटी में ज्यादा जगह चाहिये. कांग्रेस की इस मांग के बाद को-ओर्डिनेशन कमेटी का पूरा स्वरूप ही बदल गया. 


आरजेडी के पांच तो कांग्रेस के 4 मेंबर

कांग्रेस की मांग के बाद को-ओर्डिनेशन कमेटी में शामिल होने वाले मेंबर की संख्या को बढ़ा दिया गया है. 24 अप्रैल को हुई दूसरी बैठक में कमेटी में सदस्यों की संख्या 21 करने का फैसला लिया गया. इस कमेटी में आरजेडी के पांच सदस्य होंगे. वहीं, कांग्रेस के चार नेता कमेटी में शामिल होंगे. महागठबंधन के बाकी दलों से से तीन-तीन सदस्य होंगे.


कांग्रेस का जोर

अब बिहार में आरजेडी और कांग्रेस की ताकत की तुलना कीजिये. विधानसभा में आऱजेडी के 77 विधायक हैं. वहीं, कांग्रेस के सिर्फ 19 विधायक हैं. यानि आरजेडी के पास कांग्रेस की तुलना में चार गुणा से भी ज्यादा विधायक हैं. लेकिन को-ओर्डिनेशन कमेटी में कांग्रेस आरजेडी के लगभग बराबरी में खड़ा है. जाहिर है कांग्रेस के दबाव के सामने तेजस्वी को समझौता करना पड़ रहा है. 


क्या करेगी जंबो जेट को-ओर्डिनेशन कमेटी

सवाल ये है कि 21 सदस्यों वाली जंबो जेट को-ओर्डिनेशन कमेटी काम क्या करेगी. महागठबंधन को चुनाव मैदान में जाने से पहले की तीन महत्वपूर्ण मामलों पर आखिरी फैसले के लिए सर्व-सम्मति आवश्यक होगी. सबसे पहले न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाना और फिर संयुक्त चुनावी घोषणा-पत्र तैयार करना. इन दोनों काम में किसी बड़े मतभेद की संभावना नहीं है. लेकिन असल सवाल सीट बंटवारे का है. 


सीट बंटवारा कैसे होगा

सवाल ये है कि 21 मेंबर की कमेटी सीट बंटवारा कैसे करेगी. देश के किसी गठबंधन में ऐसी जंबोजेट कमेटी ने सीट शेयरिंग नहीं किया है. जाहिर है बिहार में भी लंबी-चौड़ी कमेटी सीटों का बंटवारा नहीं करेगी. उसके लिए पार्टियों के प्रमुख नेताओं को ही आपसी बातचीत करनी होगी. तेजस्वी यादव वामपंथी पार्टियों से तो मामला सुलझा लेंगे. हालांकि मुकेश सहनी के लिए सीट  छोड़ना मुश्किल होगा. लेकिन असल मामला कांग्रेस का है. 


कांग्रेस ने साफ कर दिया कि वह पिछले चुनाव की तरह 70 सीटों से कम पर किसी सूरत में नहीं मानेगी. कांग्रेस ये भी कह रही है कि उसे अपनी पसंद की सीट चाहिये. वैसी सीट नहीं चलेगी, जिसे आरजेडी अपने लिए बेहतर नहीं मानकर छोड़ दे. ये ऐसी शर्ते हैं जो आऱजेडी को पसंद नहीं आ रही है. जाहिर है कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीट शेयरिंग में पेंच फंसेगा. इसका अंदाजा अभी से ही हो रहा है, जब कांग्रेस तेजस्वी को सीएम फेस मानने को तैयार ही नहीं है.