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1st Bihar Published by: KHUSHBOO GUPTA Updated Mon, 28 Apr 2025 01:53:51 PM IST
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Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सोमवार को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए 26 लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौर रखा गया। विधानसभा में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भावुक होकर मृतकों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त करने के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विशेष सत्र आयोजित किया गया था।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने एक स्वर में पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की। विशेष सत्र के दौरान निंदा प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि 'मुझे यकीन नहीं होता कि कुछ दिन पहले हम इस हाउस में थे। बजट और कई मुद्दों पर बहस हुई। अंतिम दिन हम चाय पी रहे थे और सोच रहे थे कि कश्मीर में अगला सत्र होगा। तब किसी ने नहीं सोचा था कि हमें यहां इस माहौल में मिलना पड़ेगा।'
उमर अब्दुल्ला ने कहा, ''मैं उपराज्यपाल का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जिन्होंने हमारी रिक्वेस्ट पर यह सत्र बुलाया। हमारे मंत्रिमंडल में जब इस हमले के बाद बैठक बुलाई इस समय तय हुआ कि हम उपराज्यपाल से गुजारिश करेंगे कि वह एक दिन का सेशन बुलाए। यह सेशन इसलिए बुलाया गया क्योंकि ना सांसद और ना कि किसी और राज्य की असेंबली उन लोगों के दुख दर्द को उतना समझती है जितना यह जम्मू कश्मीर के असेंबली।'' उन्होंने कहा, ''स्पीकर साहब आप अपने आगे पीछे देखिए आपके आसपास ऐसे लोग बैठे हैं जिन्होंने अपनों को खोया है। किसी ने यहां अपने पिता को खोया किसी ने अंकल को। हम में से कितने हैं जिनके ऊपर हमले हुए।''
उमर अब्दुल्ला ने कहा, ''उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम तक...पूरा मुल्क इस हमले की लपेट में आया है। यह पहला हमला नहीं था। कई हमले होते देखे हैं। डोडा, अमरनाथ यात्रा, कश्मीरी पंडितों, सरदारों की बस्तियों पर हमले होते देखे। आम नागरिकों पर 21 साल के बाद इतना बड़ा हमला हुआ है।'' उमर अब्दुल्ला ने भावुक होते हुए कहा, ''मुख्यमंत्री, पर्यटन मंत्री होने के नाते हमने लोगों को न्योता दिया था यहां आने के लिए। मेजबान होने के नाते मेरी जिम्मेदारी थी कि मैं सभी को यहां से सुरक्षित भेजूं। नहीं भेज पाया...माफी मांगने के अल्फाज नहीं थे। क्या कहता उनको? छोटे बच्चों को...जिन्होंने अपने वालिद को खून में लिपटा देखा। उस नेवी अफसर के विधवा को, जिसकी शादी ही कुछ दिनों पहले हुई थी।''