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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 18 Jan 2025 09:01:55 PM IST
मृतक के नाम मोटेशन - फ़ोटो GOOGLE
katihar news: कटिहार जिले के हसनगंज प्रखंड सह अंचल कार्यालय में भ्रष्टाचार चरम पर है। अधिकारी और कर्मचारी मिलकर नियम-कानून को ताक पर रख भ्रष्टाचार की गंगा में डुबकी लगाने से नहीं चूक रहे हैं। जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भ्रष्टाचार के प्रति "जीरो टॉलरेंस" की नीति अपनाने का दावा करते हैं, लेकिन हसनगंज अंचल कार्यालय में दाखिल-खारिज के नाम पर रिश्वत का खेल खुलेआम जारी है। यहां बिना मोटी रकम के कोई फाइल आगे नहीं बढ़ती। हाल यह है कि मनचाहा चढ़ावा मिलने पर जिंदा और मृत दोनों का दाखिल-खारिज आसानी से किया जा रहा है।
20 साल पुराना मृतक भी करा रहा दाखिल-खारिज
ढेरवा पंचायत के वार्ड संख्या 1 के निवासी शेख गरीब (पिता: स्व. शेख बादर) की मृत्यु करीब 20 वर्ष पहले हो चुकी है। बावजूद इसके,14 फरवरी 2024 को 46.6 डिसमिल जमीन के दाखिल-खारिज के लिए उनके नाम से आवेदन किया गया। अंचल अधिकारी कृष्ण मोहन कुमार ने 2 जुलाई और 2 अगस्त को शेख गरीब को कागजात पेश करने का नोटिस भी भेज दिया। चौंकाने वाली बात यह है कि 16 दिसंबर 2024 को कथित तौर पर मृतक ने खुद कार्यालय पहुंचकर दस्तावेज प्रस्तुत किए और अधिकारी ने उनके नाम से दाखिल-खारिज कर दिया
स्थानीय जनप्रतिनिधि की प्रतिक्रिया
ढेरवा पंचायत के मुखिया रुस्तम अली ने स्पष्ट किया कि शेख गरीब की मौत 20 साल पहले हो चुकी है। उन्होंने कहा, "मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूं कि शेख गरीब अब जीवित नहीं हैं। जो लोग उन्हें जिंदा बताने की कोशिश कर रहे हैं, वे केवल झूठ फैला रहे हैं।"
भ्रष्टाचार की परतें: कब-कब हुआ फर्जीवाड़ा
दाखिल-खारिज वाद संख्या 1842/2023-2024 के तहत हल्का कर्मचारी कल्याणी वर्मा और आरो सदानंद मंडल ने भूमि के सत्यापन और नामांतरण की सिफारिश की थी। बावजूद इसके कि पूर्व में इसी भूमि का दाखिल-खारिज नामंजूर किया गया था, अंचल अधिकारी ने खुद ही इस मामले को देख लिया, जबकि इसे भूमि उप समाहर्ता के अधीन होना चाहिए था। इस प्रकार, 'जुगाड़ टेक्नोलॉजी' के सहारे भ्रष्टाचार की नई मिसाल कायम की गई।
अंचल अधिकारी का बयान
जब अंचल अधिकारी कृष्ण मोहन कुमार से इस मामले पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "आपके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर मामले की जांच कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।" ऐसे मामलों से स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बातों का जमीनी स्तर पर कोई असर नहीं है। सवाल यह उठता है कि मृतकों के नाम दाखिल-खारिज करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई कब होगी?
कटिहार से सोनू चौधरी की रिपोर्ट..