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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 23 Jan 2025 03:18:37 PM IST
BIHAR NEWS - फ़ोटो GOOGLE
MUZAFFARPUR NEWS : बिहार के मुजफ्फरपुर से एक बड़ा खेल उजागर हुआ है। यहां एक भू-माफिया का हौसला इतना बुलंद है कि वह सरकार की करोड़ों की जमीन की अवैध खरीद-बिक्री कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि अबतक पथ निर्माण विभाग (आरसीडी) ने इसपर आपत्ति ही नहीं जतायी है, बल्कि मुशहरी सीओ की शिकायत करते हुए विभाग ने जमीन को रोक सूची में डालने की मांग भी डीएम से की है।
वहीं,सरकार की करोड़ों की जमीन की खरीद-बिक्री की स्वीकारोक्ति के बाद से हड़कंप मच गया है। हैरानी की बात है कि 48 साल बाद भी इन जमीनों की दाखिल खारिज विभाग के नाम पर नहीं हो सकी। यह मामला अहियापुर स्थित दादर के पास चकगाजी गांव का बताया जा रहा है। अब अहियापुर में दादर पुल के पास सरकारी जमीन की खरीद-बिक्री का मामला सामने आया है।
इसके बाद अब पथ निर्माण विभाग ने डीएम को पत्र लिखकर कहा है कि वहां की सरकारी जमीन को सीओ रजिस्टर टू में दर्ज नहीं कर रहे हैं। इसके लिए विभाग ने उनसे दर्जनों बार पत्राचार किया है। सीओ की सुस्ती का फायदा उठा माफिया सरकारी जमीन की खरीद-बिक्री कर रहे हैं। विभाग के कार्यपालक अभियंता ने जमीन बचाने के लिए उसे रोक सूची में शामिल करने का आग्रह किया है।
इस लेटर में कार्यपालक अभियंता ने बताया है कि चांदनी चौक-बखरी पथ में दूसरे और तीसरे किलोमीटर पर दादर पुल के पास पथ निर्माण विभाग (पथ प्रमंडल-2) की जमीन बेची जा रही है।यह मौजा चकगाजी में जमीन है। इस जमीन का वर्ष 1966- 67 में पथ निर्माण विभाग के नाम पर अधिग्रहण हुआ था। इस अर्जित जमीन का स्वामित्व पथ निर्माण विभाग के पास है। इसके बाबजूद इस जमीन को रजिस्टर टू में पथ निर्माण विभाग के नाम से नहीं चढ़ाई गई है।
बताया जा रहा है कि पथ निर्माण विभाग की इस जमीन की खरीद-बिक्री की शिकायत तत्कालीन कार्यपालक अभियंता अंजनी कुमार ने अपर समाहर्ता से की थी। इस दौरान पथ निर्माण विभाग ने उन खेसरा का जिक्र भी किया था, जिसकी खरीद बिक्री अवैध तरीके से भू माफिया द्वारा की गई थी। इसके बाद कार्यपालक अभियंता ने उस जमीन का नक्शा सहित पूरी रिपोर्ट देते हुए तत्कालीन अपर समाहर्ता से कार्रवाई की मांग की थी।
इधर विभाग ने सार्वजनिक नोटिस जारी करते हुए उक्त जमीन की खरीद-बिक्री को अवैध घोषित किया और मुशहरी सीओ को जमीन पथ निर्माण विभाग के नाम पर ट्रांसफर करने का अनुरोध किया। लेकिन इसके बाद भी मुशहरी अंचल कार्यालय ने इसमें कोई रुचि नहीं दिखायी और जमीन की खरीद बिक्री जारी रही। इसके बाद अब यह मामला प्रकाश में आया है।