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Bihar Land Registry New Rules: अब 117 साल पुराना नियम हुआ ख़त्म, जमीन खरीद-बिक्री में नहीं चलेगा कोई फर्जीवाड़ा

Bihar Land Registry New Rules: 2025 से जमीन रजिस्ट्री के 117 साल पुराने नियम होंगे खत्म, ऑनलाइन प्रक्रिया और आधार सत्यापन अब अनिवार्य। बिहार में फर्जीवाड़ा रोकेगा नया पंजीकरण विधेयक।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 28 May 2025 08:41:35 AM IST

Bihar Land Registry New Rules

प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google

Bihar Land Registry New Rules: जमीन और संपत्ति की खरीद-बिक्री की प्रक्रिया में ऐतिहासिक बदलाव की तैयारी है। केंद्र सरकार ने 117 साल पुराने रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1908 को बदलने के लिए ‘पंजीकरण विधेयक 2025’ का मसौदा तैयार किया है, जो पूरे देश में ऑनलाइन और पारदर्शी रजिस्ट्री प्रणाली लागू करेगा। ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग ने इस मसौदे को जनता की राय के लिए जारी किया है, ताकि इसे और बेहतर बनाया जा सके।


यह नया कानून बिहार जैसे राज्यों में जमीन विवादों और फर्जीवाड़े पर लगाम लगाने में मदद करेगा, जहां भूमि रजिस्ट्री प्रक्रिया अक्सर जटिल और विवादास्पद रही है। नए विधेयक के तहत, अब एग्रीमेंट टू सेल, पावर ऑफ अटॉर्नी, सेल सर्टिफिकेट, और इक्विटेबल मॉर्गेज जैसे दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।


यह कदम बिहार में जमीन की खरीद-बिक्री में पारदर्शिता भी बढ़ाएगा, जहां अक्सर फर्जी दस्तावेजों के कारण विवाद सामने आते हैं। इसके साथ ही, रजिस्ट्री प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल करने की योजना है। दस्तावेजों की ई-प्रस्तुति और ऑनलाइन सत्यापन से लोगों को बार-बार रजिस्ट्री कार्यालयों के चक्कर भी नहीं काटने पड़ेंगे। बिहार में पहले से ही आधार आधारित सत्यापन और डिजिटल नक्शे जैसी प्रणालियाँ लागू हैं, और यह नया कानून इन्हें और भी मजबूत करने का काम करेगा।


केवल यही नहीं आधार आधारित सत्यापन को इस विधेयक में अनिवार्य करने का प्रस्ताव है, जिससे फर्जी रजिस्ट्री और बेनामी संपत्तियों पर अंकुश लगेगा। हालांकि, जिन लोगों को आधार साझा करने में आपत्ति होगी, उनके लिए वैकल्पिक सत्यापन की व्यवस्था भी रहने वाली है। बिहार में, जहां जमीन विवाद आम हैं, यह प्रणाली खरीदारों और विक्रेताओं को सुरक्षित लेन-देन की गारंटी देगी। साथ ही, इलेक्ट्रॉनिक स्टांपिंग और डिजिटल रिकॉर्ड के रख-रखाव से प्रक्रिया तेज और भ्रष्टाचार-मुक्त होगी। बिहार के जिला निबंधन कार्यालयों में पहले से लागू ई-निबंधन सॉफ्टवेयर इस दिशा में एक कदम है।


इस बारे में भूमि संसाधन विभाग का कहना है कि तकनीक के बढ़ते उपयोग और बदलते सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य ने आधुनिक रजिस्ट्री प्रणाली की जरूरत को उजागर किया है। जनता से 30 दिनों के भीतर सुझाव मांगे गए हैं, ताकि इस कानून को और भी प्रभावी बनाया जा सके। बिहार में जमीन की खरीद-बिक्री करने वालों के लिए यह नया नियम समय, धन, और विवादों से बचाने वाला साबित हो सकता है।