Bihar News: अब कंप्यूटर सीखेंगे बिहार की जेल में बंद कैदी, इन महत्वपूर्ण कोर्सेज की दी जाएगी ट्रेनिंग

Bihar News: बिहार की 41 जेलों में कैदियों को MS Word, Tally, PowerPoint की मिलेगी ट्रेनिंग। NIELIT के साथ हुआ समझौता, रोजगार और पुनर्वास की पहल।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 02 Jun 2025 08:33:34 AM IST

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प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google

Bihar News: बिहार की जेलों में बंद कैदियों को डिजिटल साक्षरता और रोजगारपरक कौशल सिखाने की पहल शुरू हुई है। गृह विभाग के कारा एवं सुधार सेवाएँ निरीक्षणालय ने राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (NIELIT) के साथ समझौता किया है। इसके तहत कैदियों को MS Word, Tally, PowerPoint जैसे सॉफ्टवेयर कोर्स का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। NIELIT के अनुभवी प्रशिक्षक कैदियों को डिजिटल रूप से सक्षम बनाएँगे, ताकि जेल से रिहाई के बाद वे रोजगार या स्वरोजगार के जरिए समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।


प्रथम चरण में बिहार की 8 केंद्रीय कारा और कुल 41 जेलों में यह प्रशिक्षण शुरू होगा। इसके लिए 250 कंप्यूटर सेट, UPS, और कंप्यूटर टेबल की खरीद के लिए 2.25 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। पटना के बेऊर आदर्श केंद्रीय कारा को 15 कंप्यूटर सेट, बक्सर, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, भागलपुर, और गया के केंद्रीय/विशेष कारा को 10-10 सेट, और 33 मंडल काराओं को 5-5 सेट मिलेंगे। धीरे-धीरे यह कार्यक्रम सभी 59 जेलों में लागू होगा।


कैदियों को MS Word, Tally, और PowerPoint जैसे कोर्स सिखाए जाएँगे, जो डेटा एंट्री, अकाउंटिंग, और ऑफिस मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में रोजगार के अवसर खोलेंगे। यह प्रशिक्षण 18-45 वर्ष के कैदियों को उनकी रुचि और योग्यता के आधार पर दिया जाएगा। कंप्यूटर प्रशिक्षण के साथ-साथ कैदियों को जेल परिसर में लघु उद्योगों से भी जोड़ा गया है। वे ‘मुक्ति’ ब्रांड के तहत सरसों का तेल, मसाला पाउडर, वूडेन डेकोरेटिव आइटम, जूट की सामग्री, और डिज़ाइनर ड्रेस बना रहे हैं। ये उत्पाद खुले बाजार में बिक रहे हैं, जिससे कैदियों की आय बढ़ रही है और नकारात्मक गतिविधियाँ कम हो रही हैं।


यह पहल डिजिटल साक्षरता, रोजगार, और पुनर्वास को बढ़ावा देती है। कैदियों में व्यवहारिक बदलाव लाकर अपराध दोहराने की संभावना कम होगी और वे समाज में सम्मानजनक जीवन जी सकेंगे। हालाँकि, बिजली, इंटरनेट, और प्रशिक्षण कक्षों की कमी जैसी चुनौतियाँ हैं, जिन्हें दूर करना होगा। ‘मुक्ति’ उत्पादों की मार्केटिंग को भी बढ़ाने की जरूरत है।


यह कार्यक्रम बिहार की जेलों को सुधार गृह में बदलने की दिशा में क्रांतिकारी कदम है। आने वाले वर्षों में इसके विस्तार से कैदियों के लिए नए अवसर खुलेंगे और जेल प्रणाली एक मॉडल बन सकती है।