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Bihar Railway: राज्य में रेलवे विकास को मिली नई गति, 50 से अधिक परियोजनाओं पर खर्च किए जा रहे ₹86 हजार करोड़

Bihar Railway: बिहार में रेलवे के लिए 86,107 करोड़ रुपये की 52 परियोजनाओं को मंजूरी। 31 नई लाइनें, गेज परिवर्तन और दोहरीकरण से कनेक्टिविटी और सुरक्षा में सुधार। 98 स्टेशनों का पुनर्विकास और 20 वंदे भारत ट्रेनें बिहार को देंगी नई रफ्तार।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 24 Jul 2025 12:14:03 PM IST

Bihar Railway

प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google

Bihar Railway: केंद्र सरकार ने बिहार में रेलवे अवसंरचना को मजबूत करने के लिए 86,107 करोड़ रुपये की 52 परियोजनाओं को मंजूरी दी है। ये परियोजनाएं राज्य में कनेक्टिविटी, सुरक्षा और सामाजिक-आर्थिक विकास को नई गति देगी। इन परियोजनाओं में 31 नई रेल लाइनें, एक गेज परिवर्तन, और 20 दोहरीकरण परियोजनाएं शामिल हैं। जिनकी कुल लंबाई 4,663 किलोमीटर है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बताया कि मार्च 2025 तक 1,014 किमी रेल लाइन चालू हो चुकी है और 29,353 करोड़ रुपये का व्यय भी हो चुका है।


पिछले 11 वर्षों (2014-2025) में बिहार के रेलवे बजट में नौ गुना वृद्धि हुई है। 2009-14 के दौरान 1,132 करोड़ रुपये प्रति वर्ष से बढ़कर यह 2025-26 में 10,066 करोड़ रुपये हो गया है। इस दौरान 1,899 किमी नए रेल पथ कमीशन किए गए हैं। जो 2009-14 के 318 किमी से 2.5 गुना अधिक है।


बिहार में रेलवे की प्रगति को और भी गति देने के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जिनमें शामिल हैं:  

- मुंगेर ब्रिज (19 किमी, 2,774 करोड़ रुपये): गंगा नदी पर बना यह मेगा ब्रिज बिहार की कनेक्टिविटी को मजबूत करता है।  

- कोसी पुल (22 किमी, 516 करोड़ रुपये): कोसी क्षेत्र में रेल संपर्क को मिला बढ़ावा।  

- पटना ब्रिज (40 किमी, 3,555 करोड़ रुपये): पटना को अन्य क्षेत्रों से जोड़ने में बेहद महत्वपूर्ण।  

- अररिया-गल्गलिया नई लाइन (111 किमी, 4,415 करोड़ रुपये): उत्तर बिहार में कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए आवश्यक।  

- हाजीपुर-बछवारा दोहरीकरण (72 किमी, 930 करोड़ रुपये): यातायात को पहले से काफी ज्यादा सुगम बनाने का कारण।

इनके अलावा 558 रोड ओवर ब्रिज और रोड अंडर ब्रिज भी पूरे हो चुके हैं और 6,014 करोड़ रुपये की लागत से 218 और स्वीकृत हैं।


अमृत भारत स्टेशन योजना और आधुनिक ट्रेनें  

अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत बिहार के 98 स्टेशनों का पुनर्विकास किया जा रहा है। जिनमें सहरसा, गया, मुजफ्फरपुर, लखीसराय और सलौना शामिल हैं। इन स्टेशनों पर नए भवन, फुट ओवर ब्रिज, पार्किंग क्षेत्र और दिव्यांगजनों के लिए सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। पिरपैंती और थावे स्टेशनों पर पहले चरण का काम पूरा भी हो चुका है।


बिहार में 144 वंदे भारत ट्रेनों में से 20 और 14 अमृत भारत एक्सप्रेस में से 10 संचालित हो रही हैं। जो यात्रियों को आधुनिक सुविधाएं और तेज यात्रा प्रदान कर रही हैं। हाल ही में शुरू की गई नई अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेनों में पटना-दिल्ली, दरभंगा-लखनऊ, मालदा टाउन-लखनऊ और सहरसा-अमृतसर शामिल हैं।


इन परियोजनाओं का उद्देश्य बिहार के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करना है, विशेषकर उत्तर बिहार और मिथिलांचल क्षेत्रों में। नरकटियागंज-रक्सौल-सीतामढ़ी-दरभंगा और सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर दोहरीकरण परियोजना (256 किमी, 4,553 करोड़ रुपये) नेपाल सीमा और उत्तर-पूर्व भारत के साथ कनेक्टिविटी को आने वाले समय में मजबूत करेगी। यह परियोजना 380 गांवों और 9 लाख लोगों को जोड़ेगी, साथ ही भारत-नेपाल व्यापार को भी बढ़ावा देगी।


ये परियोजनाएं बिहार में औद्योगिक विकास, रोजगार सृजन और पर्यावरणीय लाभ भी लाएंगी। रेलवे मंत्रालय के अनुसार ये परियोजनाएं 168 करोड़ किलोग्राम CO2 उत्सर्जन कम करेंगी। जो एक तरह से 7 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है। केंद्र सरकार की 86,107 करोड़ रुपये की 52 रेलवे परियोजनाएं बिहार को नई विकास गति प्रदान कर रही हैं। नई लाइनें, दोहरीकरण और स्टेशन पुनर्विकास से कनेक्टिविटी और यात्रा अनुभव बेहतर होगा। हालांकि, रेलवे में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा पर ध्यान देने की जरूरत अभी भी काफी ज्यादा है।