Bihar News: बिहार मेला प्राधिकार के अन्तर्गत संचालित होगा मुंगेर का "सीताकुंड मेला", नीतीश सरकार का बड़ा फैसला

Bihar News: नीतीश सरकार ने मुंगेर के ऐतिहासिक "सीताकुंड मेला" को बिहार मेला प्राधिकार के अंतर्गत संचालित करने का निर्णय लिया है। मेला अब विधिवत राज्य अधिनियम के तहत चलेगा, जिससे पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Tue, 29 Jul 2025 01:56:46 PM IST

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Bihar News: बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि बिहार के मुंगेर जिलान्तर्गत "सीताकुंड मेला" की पौराणिक, धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं पर्यटकीय महत्ता को दृष्टिगत रखते हुए इस मेले को बिहार राज्य मेला अधिनियम, 2008 की धारा-3(v) के तहत मेला प्राधिकार के प्रबंधन के अन्तर्गत लिये जाने का निर्णय लिया गया है। इससे संबंधित अधिसूचना प्रारूप गठित किया गया है।


उन्होने कहा कि सीताकुंड मेले में मुंगेर तथा आस-पास केभागलपुर, खगड़िया, बेगूसराय, सहरसा, पूर्णियां, लखीसराय, इत्यादि जिलों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। पूरे वर्ष में लगभग 5000 विदेशी पर्यटक भी सीताकुण्ड मंदिर में पूजा-पाठ एवं भ्रमण करने आते हैं।


सम्राट चौधरी ने कहा कि मुंगेर सदर अंचल क्षेत्र में अवस्थित ऐतिहासिक एवं पौराणिक "सीताकुंड" मुंगेर जिला मुख्यालय से लगभग 08 किलोमीटर की दूरी पर गंगा नदी तट पर अवस्थित है। ऐसी मान्यता है कि इस स्थल पर माता सीता ने अग्नि परीक्षा दी थी।


उन्होंने बताया कि "सीताकुंड मेला" प्रतिवर्ष माघी पूर्णिमा की तिथि से प्रारम्भ होता है तथा फाल्गुन पूर्णिमा तक अर्थात् कुल एक माह तक आयोजित होता है। मेला परिसर में काफी संख्या में फर्नीचर की दुकानें लगती हैं। गंगा तट के निकट होने के कारण कुछ श्रद्धालु गण जलमार्ग से भी यहाँ पहुंचते है। सम्राट चौधरी ने कहा कि राज्य में परम्परागत धार्मिक एवं सांस्कृतिक मेलों का आयोजन प्रत्येक वर्ष किया जाता है, जिसमें स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलते हैं।


उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि मुंगेर के सीताकुंड में माता सीता, पुरुषोत्तम श्री राम, श्री लक्ष्मण, श्री भरत एवं श्री शत्रुघ्न के कुण्ड भी अवस्थित है। माता सीता की अग्नि परीक्षा के उपरांत उस कुण्ड से अनवरत गरम जल प्रवाहित होता है जबकि शेष चारों कुण्ड से ठंढा जल प्रवाहित होता है। इस स्थल पर एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है, जहां श्रद्धालु अपनी-अपनी मनोकामनाएं सिद्ध करने आते हैं।