ब्रेकिंग न्यूज़

Mokama Murder Case : 'हथियार जमा कराए...', मोकामा हत्याकांड के बाद एक्शन में चुनाव आयोग, कहा - लॉ एंड ऑडर पर सख्ती बरतें Bihar election update : दुलारचंद यादव हत्याकांड का बाढ़ और मोकामा चुनाव पर असर, अनंत सिंह पर एफआईआर; RO ने जारी किया नया फरमान Justice Suryakant: जस्टिस सूर्यकांत बने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश, इस दिन लेंगे शपथ Bihar News: अब बिहार से भी निकलेंगे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जलवा दिखाने वाले धावक, इस शहर में तैयार हुआ विशेष ट्रैक Dularchand Yadav case : मोकामा में दुलारचंद यादव हत्याकांड में चौथा FIR दर्ज ! अनंत सिंह और जन सुराज के पीयूष नामजद; पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद अब बदलेगा माहौल Bihar Election 2025: "NDA ही कर सकता है बिहार का विकास...", चुनाव से पहले CM नीतीश का दिखा नया अंदाज, सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर किया वोट अपील Bihar Election 2025: NDA ने तय किया विकसित बिहार का विजन, घोषणा पत्र पर पीएम मोदी ने की बड़ी बात Bihar News: बिहार के इस जिले में 213 अपराधी गिरफ्तार, भारी मात्रा में हथियार व नकदी जब्त Bihar News: बिहार से परदेश जा रहे लोगों की ट्रेनों में भारी भीड़, वोट के लिए नहीं रुकना चाहते मजदूर; क्या है वजह? Bihar News: भीषण सड़क हादसे में शिक्षिका की मौत, फरार चालक की तलाश में जुटी पुलिस

Dollar vs Rupee: डॉलर के मुकाबले रुपया टूटा, ट्रंप के टैरिफ के बाद गिरावट

Dollar vs Rupee: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर उच्च टैरिफ लगाए जाने के बाद भारतीय रुपये में तेज गिरावट दर्ज की गई है। हाल के वर्षों में यह रुपये का सबसे निचला स्तर है, जिससे विदेशी निवेशकों की धारणा पर नकारात्मक असर पड़ा है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 01 Sep 2025 01:08:12 PM IST

Dollar vs Rupee

भारतीय रुपये में तेज गिरावट - फ़ोटो GOOGLE

 Dollar vs Rupee: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर उच्च टैरिफ लगाए जाने के बाद भारतीय रुपये में तेज गिरावट दर्ज की गई है। हाल के वर्षों में यह रुपये का सबसे निचला स्तर है, जिससे विदेशी निवेशकों की धारणा पर नकारात्मक असर पड़ा है। ऐसे हालात में अब रुपये को स्थिरता देने की उम्मीद केवल भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की रणनीतिक कारवाईयों से की जा रही है।


सप्ताह के पहले कारोबारी दिन यानी सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 17 पैसे कमजोर होकर 88.26 पर बंद हुआ। इससे पहले शुक्रवार को यह 88.09 पर बंद हुआ था। रुपये में यह गिरावट काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि इससे पहले रुपए ने कभी 88.26 का स्तर नहीं छुआ था।


वहीं, डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती को दर्शाता है, 0.07% गिरकर 97.70 पर रहा। यह संकेत करता है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार में डॉलर में हल्की कमजोरी है, लेकिन भारतीय रुपया फिर भी दबाव में है।


रुपये की गिरावट के बावजूद सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में तेजी देखने को मिली। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 343.46 अंक बढ़कर 80,153.11 हुआ। वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रेंट क्रूड ऑयल भी 0.41% चढ़कर 67.20 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया, जिससे यह संकेत मिला कि कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता बनी हुई है। हालांकि, शुक्रवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारी बिकवाली करते हुए 8,312.66 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे थे। यह इस बात का संकेत है कि विदेशी निवेशक फिलहाल भारत के 


रुपये की इस ऐतिहासिक गिरावट की मुख्य वजह है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाना। यह कदम उन्होंने भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के जवाब में उठाया है। इससे भारत पर कुल टैरिफ भार 50% तक पहुंच गया है।


ट्रंप की यह नीति रूस पर आर्थिक दबाव डालने की कोशिश का हिस्सा है, लेकिन इसका असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। टैरिफ के चलते आयात महंगा हो रहा है, जिससे व्यापार घाटा बढ़ सकता है और रुपये पर दबाव बना रह सकता है।


भारत सरकार ने इस झटके से निपटने के लिए दो मोर्चों पर काम शुरू किया है, जिसमें सरकार ने जीएसटी ढांचे में बदलाव, बिजनेस अनुकूल नीतियाँ, और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने जैसे उपायों पर तेज़ी से काम शुरू किया है ताकि घरेलू उत्पादन को बढ़ाया जा सके और आयात पर निर्भरता घटे। साथ ही भारत ने रूस और चीन के साथ वैकल्पिक व्यापारिक रास्तों की संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी हैं। ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) जैसे मंचों का उपयोग कर भारत बहुपक्षीय व्यापार साझेदारियों को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है।


बढ़ते दबाव के बीच अब भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से रुपये को स्थिर करने के लिए संभावित कदमों पर नजर है। इसमें विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप, नीतिगत ब्याज दरों में समायोजन, डॉलर आपूर्ति में वृद्धि और बॉन्ड मार्केट में स्थिरता लाना शामिल हो सकते हैं। 


अगर RBI समय पर और आक्रामक कदम उठाता है, तो यह गिरावट अस्थायी साबित हो सकती है। हालांकि, रुपये की यह गिरावट निवेशकों और आम जनता दोनों के लिए चिंता का विषय है, लेकिन अगर सरकार और RBI मिलकर समय पर उचित कदम उठाते हैं, तो स्थिति पर काबू पाया जा सकता है। व्यापारिक रणनीतियों में बदलाव और नए बाजारों की खोज ही भारत को इस वैश्विक दबाव से राहत दिला सकती है।