Vice President Election : कौन बनेगा उपराष्ट्रपति ? सीपी राधाकृष्णन और बीएस रेड्डी के बीच मुकाबला, जानें वोटिंग प्रक्रिया और अहम बातें

Vice President Election : देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद, उपराष्ट्रपति, चुनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस बार मुकाबला एनडीए उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन तथा इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधी

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 09 Sep 2025 09:19:45 AM IST

Vice President Election

Vice President Election - फ़ोटो FILE PHOTO

Vice President Election : उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मंच तैयार है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी पर बढ़त बनाए हुए हैं। यह चुनाव 21 जुलाई को जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद शुरू हुआ था।


जानकारी हो कि उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति चुनाव में सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम (Single Transferable Vote) का इस्तेमाल होता है। सांसदों को बैलेट पेपर पर उम्मीदवारों की प्राथमिकता (Preference) लिखनी होती है। यानी वे सिर्फ "हाँ" या "ना" में वोट नहीं डालते, बल्कि यह बताते हैं कि किस उम्मीदवार को वे पहली, दूसरी या तीसरी पसंद देते हैं।


मालूम हो कि,  भारत के संविधान के अनुच्छेद 66(1) के तहत उपराष्ट्रपति का चुनाव होता है।  चुनाव गुप्त मतदान (Secret Ballot) से होता है, यानी सांसद अपनी पसंद किसी दबाव के बिना दर्ज कर सकते हैं। इस चुनाव में सिर्फ लोकसभा और राज्यसभा के सांसद वोट डालते हैं। वोटिंग प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन सिस्टम और सिंगल ट्रांसफरेबल वोट पद्धति से होती है।


वोट डालेन की प्रक्रिया के लिए सांसद उम्मीदवारों को प्राथमिकता क्रम में अंकित करते हैं (1, 2, 3...).जीतने के लिए उम्मीदवार को एक निश्चित कोटा (Quota) हासिल करना पड़ता है। अगर पहले राउंड में कोई उम्मीदवार यह कोटा हासिल नहीं करता, तो सबसे कम वोट पाने वाले को बाहर कर दिया जाता है। बाहर हुए उम्मीदवार के वोट दूसरे उम्मीदवारों में बांट दिए जाते हैं, सांसद की अगली प्राथमिकता के हिसाब से। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई उम्मीदवार जरूरी कोटा पार नहीं कर लेता।


आपको बताते चलें कि, साधारण चुनावों की तरह सिर्फ बहुमत हासिल करना काफी नहीं होता। सांसदों को प्राथमिकता क्रम में सही वोट डालना होता है। एक छोटी सी गलती-जैसे बैलेट पेपर पर गलत निशान लगाना-पूरे वोट को रद्द कर सकती है। इसलिए सांसदों को वोटिंग से पहले ट्रेनिंग देकर प्रक्रिया समझाई जाती है। भारत का उपराष्ट्रपति न सिर्फ देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है, बल्कि वह राज्यसभा का चेयरमैन भी होता है। ऐसे में यह चुनाव बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है।