ब्रेकिंग न्यूज़

Mokama Murder Case : 'हथियार जमा कराए...', मोकामा हत्याकांड के बाद एक्शन में चुनाव आयोग, कहा - लॉ एंड ऑडर पर सख्ती बरतें Bihar election update : दुलारचंद यादव हत्याकांड का बाढ़ और मोकामा चुनाव पर असर, अनंत सिंह पर एफआईआर; RO ने जारी किया नया फरमान Justice Suryakant: जस्टिस सूर्यकांत बने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश, इस दिन लेंगे शपथ Bihar News: अब बिहार से भी निकलेंगे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जलवा दिखाने वाले धावक, इस शहर में तैयार हुआ विशेष ट्रैक Dularchand Yadav case : मोकामा में दुलारचंद यादव हत्याकांड में चौथा FIR दर्ज ! अनंत सिंह और जन सुराज के पीयूष नामजद; पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद अब बदलेगा माहौल Bihar Election 2025: "NDA ही कर सकता है बिहार का विकास...", चुनाव से पहले CM नीतीश का दिखा नया अंदाज, सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर किया वोट अपील Bihar Election 2025: NDA ने तय किया विकसित बिहार का विजन, घोषणा पत्र पर पीएम मोदी ने की बड़ी बात Bihar News: बिहार के इस जिले में 213 अपराधी गिरफ्तार, भारी मात्रा में हथियार व नकदी जब्त Bihar News: बिहार से परदेश जा रहे लोगों की ट्रेनों में भारी भीड़, वोट के लिए नहीं रुकना चाहते मजदूर; क्या है वजह? Bihar News: भीषण सड़क हादसे में शिक्षिका की मौत, फरार चालक की तलाश में जुटी पुलिस

RBI बैंक क्यों नहीं छापती है अनगिनत नोट ? जाने इसके पीछे की चौकाने वाली सच्चाई ....

RBI :अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) जब चाहे उतने नोट क्यों नहीं छाप देता? क्या सिर्फ नोट छापकर गरीबी और आर्थिक समस्याएं खत्म हो सकती हैं? सतही तौर पर यह आसान उपाय लगता है, लेकिन असलियत इससे कहीं अधिक जटिल है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 05 Sep 2025 02:17:18 PM IST

RBI

RBI - फ़ोटो FILE PHOTO

RBI : अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि क्या भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अनगिनत नोट नहीं छाप सकती ? सरकार जब चाहे तब RBI से पैसे छपवा सकती है?  यह सोच स्वाभाविक है, क्योंकि जब देश को आर्थिक सहायता की जरूरत होती है, तो लोग मान लेते हैं कि नोट छापकर समस्याएं हल की जा सकती हैं। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा करना संभव है ? चलिए, इस खबर के माध्यम से हम इन सवालों के सही जवाब और इसके पीछे की सच्चाई को समझते हैं।


आपने भी ऐसा कभी न कभी जरूर सोचा होगा की अगर अनियंत्रित नोट छपे तो गरीबी खत्म हो सकती है और हर कोई अमीर हो सकता है. लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है. नोट छापना आसान है, मगर उसके पीछे की आर्थिक सच्चाई बहुत गहरी है. दुनिया में ऐसे उदाहरण मौजूद हैं जहां कई देशो ने अनगिनत नोट छापा लकिन अनगिनत नोट छापने से देश की आर्थिक स्थिति सुधरने के जगह बिगड़ गयी और लोगों को संकट का सामना करना पड़ा। दरअसल, किसी देश की अर्थव्यवस्था केवल नोटों पर नहीं चलती, बल्कि उत्पादन, सेवाएं और संसाधनों पर आधारित होती है. अगर बिना वजह नोट छापकर बाजार में डाल दिए जाएं तो वस्तुओं और सेवाओं की उपलब्धता उतनी नहीं बढ़ती, जितनी कि मुद्रा बढ़ जाती है. इसका सीधा असर महंगाई पर पड़ता है और बाजार में बहुत ज्यादा महंगाई की स्थिति पैदा हो जाती है. यानि कि पैसे की वैल्यू गिरने लगती है और एक रोटी के लिए हजारों-लाखों रुपये देने पड़ सकते हैं. ऐसा करके दो देश बर्बाद भी हो चुके हैं.


जिम्बाब्वे

सरकार ने लोगों को खुश करने और घाटा पूरा करने के लिए बहुत सारे नोट छाप दिए फिर एक समय ऐसा आया जब 100 ट्रिलियन डॉलर के नोट छापे गए, लेकिन उनसे एक ब्रेड भी नहीं खरीदी जा सकती थी। लोगों के पास पैसे तो बहुत थे, पर उनका कोई मूल्य नहीं बचा। अंत में वहां की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बर्बाद हो गई और उन्हें विदेशी मुद्रा का इस्तेमाल करना पड़ा।


वेनेजुएला

यह देश कभी तेल बेचकर बहुत पैसा कमाता था, लेकिन जब तेल की कीमतें गिरीं, तो आमदनी भी घट गई। सरकार ने खर्च चलाने के लिए बहुत सारे नोट छाप दिए। इससे वहां भी हर चीज़ बहुत ही तेज़ी से बढ़ गयी । 2018 तक महंगाई इतनी बढ़ गई कि एक सामान्य चीज खरीदने के लिए लाखों रुपये देने पड़ रहे थे। हालात इतने खराब हुए कि सरकार को बार-बार नोटों से जीरो हटाने पड़े।


इसीलिए भारत का रिज़र्व बैंक (RBI) बहुत सोच-समझ कर ही नोट छापता है। अगर बेहिसाब नोट छापे जाएं तो देश की आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है। संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है, ताकि चीजों के दाम काबू में रहें और पैसा अपनी कीमत ना खोए।