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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 02 Dec 2024 01:24:13 PM IST
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PATNA: बिहार में बालू का अवैध धंधा जारी है. इस खेल में पुलिस-प्रशासन की भी बड़ी भूमिका होती है. सोन नदी में बालू का अवैध उत्खनन कर माफिया मालामाल हो रहे. अवैध कमाई का कुछ हिस्सा उस क्षेत्र में तैनात अधिकारी भी लेते हैं. 2021 में बालू के खेल में शामिल बड़े-बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई हुई. नीतीश सरकार ने आर्थिक अपराध इकाई को खुली छूट दी थी. नतीजा हुआ है कि छोटे से लेकर बड़े अधिकारी भी नप गए. हालांकि धीरे-धीरे सरकार की सख्ती घटते गई, लिहाजा सोन नदी के तटवर्ती इलाकों में पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत से बालू माफिया बड़े पैमाने पर अवैध धंधा कर रहे हैं. सरकार के नाक के नीचे यह काम हो रहा, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदकर बैठे रहे. पटना हाईकोर्ट के एक वकील ने जब मुख्यमंत्री से लेकर डीजीपी, निगरानी विभाग, खनन विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखा तब जाकर जल संसाधन विभाग,खनन विभाग और पुलिस की नींद खुली. चिट्ठी के बाद खलबली मची है, हालांकि बालू माफियाओं की पोल खोलने वाले पटना हाईकोर्ट के वकील को जान का खतरा महसूस होने लगा है. लिहाजा उन्होंने डीजीपी को पत्र लिखकर सुरक्षा मुहैया कराने का आग्रह किया है.
कार्यपालक अभियंता ने पुलिस अधीक्षक को लिखा पत्र
पटना हाईकोर्ट के वकील मणीभूषण सेंगर ने पटना पश्चिमी इलाके खासकर पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र में हो रहे बालू के अवैध खेल का खुलासा किया. उन्होंने इस संबंध में प्रमाण के साथ मुख्यमंत्री को कंप्लेन किया. इसके बाद जल संसाधन विभाग और पुलिस हरकत में आई. सोन नहर प्रमंडल खगौल के कार्यपालक अभियंता ने पटना पश्चिम के एसपी को पत्र लिखा. जिसमें कहा गया है कि नहर को काटकर बालू माफियाओं ने रास्ता का निर्माण कर लिया है. इस संबंध में पटना हाई कोर्ट के वकील मणि भूषण प्रताप सेंगर ने मुख्यमंत्री को आवेदन देते हुए इसकी प्रतिलिपि उन्हें भी दी है. कार्यपालक अभियंता ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि बालू माफिया अवैध रूप से नहर बांध को क्षतिग्रस्त कर बालू की ढुलाई कर रहे हैं. परेव नहर वितरणी के 5 किलोमीटर से लेकर 6.50 किलोमीटर के बीच नहर के बांध को रास्ता के रूप में उपयोग किया जा रहा है .नहर पर बने बांध एवं सरकारी पुल का उपयोग सिर्फ किसानों के लिए किया जाना है, लेकिन बालू के अवैध धंधेबाज उक्त पुल का प्रयोग कर रहे हैं, जो गलत है. कार्यपालक अभियंता सतीश कुमार ने पटना पश्चिम के एसपी को लिखे पत्र में यह स्पष्ट किया है कि हमारे कार्यालय के अधिकारियों ने भी नहर का निरीक्षण किया. इस दौरान अवैध बालू माफिया बालू की ढुलाई करते पाए गए. इसकी सूचना भी रानीतालाब थाने को दी गई. इस मामले में केस भी दर्ज किया गया है. लेकिन बालू के अवैध कारोबारी नहर बांध एवं पुल का उपयोग करने से बाज नहीं आ रहे .ऐसे में सघन वाहन चेकिंग कर बालू माफियाओं के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाए और वाहनों को जब्त किया जाए।
पटना पश्चिम एसपी ने 25 नवंबर को की थी बैठक
जल संसाधन विभाग के पत्र के बाद 25 नवंबर को पटना पश्चिम के एसपी की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें पालीगंज अनुमंडल के दोनों एसडीपीओ के अलावे जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता शामिल हुए, जिसमें अवैध बालू धंधेबाजों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की रणनीति बनी. बालू के अवैध धंधेबाजों के खिलाफ कार्रवाई भी शुरू हुई, दिखाने के लिए कई जगहों पर छापेमारी भी हुई। इसके बाद हड़कंप मच गया है.
डीजीपी को पत्र लिख मांगी सुरक्षा
पटना हाईकोर्ट के वकील मणिभूषण सेंगर के खुलासे के बाद बालू माफियाओं और अवैध धंधे में लिप्त सरकारी सेवकों में हड़कंप मच गया है. बालू माफियाओं को इससे सीधा नुकसान रहा है. बालू माफिया इतने ताकतवर हैं कि वे कुछ भी कर सकते हैं. लिहाजा हाईकोर्ट के वकील मणिभूषण सेंगर ने डीजीपी को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की है. डीजीपी को लिखे पत्र में वकील मणिभूषण सेंगर ने कहा है कि पहले भी उन्हें जान का खतरा था. लिहाजा सुरक्षाकर्मी उपलब्ध कराया गया था, जिसे बाद में वापस ले लिया गया. एक बार फिर से उन्होंने बालू माफियाओं के खेल का खुलासा किया है, जिससे वे निशाने पर आ गए हैं. ऐसे में पुलिस उन्हें सुरक्षा मुहैया कराए.
पटना से विवेकानंद की रिपोर्ट