DESK: कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव का रिजल्ट शनिवार को आया. बीजेपी शासित इस राज्य में कांग्रेस ने झंडा गाड़ लिया. कांग्रेस यहां भारी बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है. इसके बाद देश भर के विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया आ रही है. उनका दावा है कि कर्नाटक चुनाव परिणाम से साफ हो गया है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की उलटी गिनती शुरू हो गयी है. 2024 में बीजेपी केंद्र से साफ हो जायेगी. लेकिन विपक्षी नेताओं के दावे में कितना दम है, इसकी पड़ताल करते हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े और इतिहास?
सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या किसी एक राज्य या कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम से लोकसभा चुनाव के रूझान का आकलन किया जा सकता है? तथ्य ये कहता है कि विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के परिणाम में तुलना नहीं की जा सकती है. दोनों चुनाव में जनता का मूड अलग होता है. पिछले कई चुनावों में ये साफ तौर पर दिखा है.
पांच साल पहले की कहानी समझिये
विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में अंतर समझाने के लिए हम आपको पांच साल पहले लिये चलते हैं. 2018 में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे औऱ उसके कुछ ही महीने बाद 2024 में लोकसभा चुनाव हुए थे. दोनों के रिजल्ट में जमीन आसमान का अंतर रहा. विधानसभा चुनाव का को रूझान था वह लोकसभा चुनाव में पूरी तरह पलट गया.
2018 में तीन राज्यों में हुए चुनाव में बीजेपी ने अपनी सत्ता गंवा दी थी. ये राज्य थे राजस्थान, मध्य प्रदेश औऱ छत्तीसगढ़. इन तीनों राज्यों में बीजेपी की सरकार थी और 2018 में जब बीजेपी तीनों राज्यों में सत्ता से बेदखल हो गयी तो दावा यही किया गया कि नरेंद्र मोदी के दिन पूरे हो गये. लेकिन इन तीन राज्यों में जब लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आया तो ऐसे सारे दावे हवा में ही गुम हो गये.
2018 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस ने बहुमत हासिल कर सरकार बना लिया. कुछ महीने बाद 2019 में लोकसभा के चुनाव हुए. राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटें हैं. भाजपा ने इनमें से 24 सीटें जीत ली. बाकी बची एक सीट भी एक क्षेत्रीय दल के पास गयी जिसका जाट बहुल इलाके में मजबूत पकड़ है. राजस्थान में सरकार चला रही कांग्रेस को एक सीट भी नहीं मिली. कांग्रेस ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को लोकसभा चुनाव में उतारा था. मुख्यमंत्री अपने बेटे के लिए डोर टू डोर कैंपेन करते रहे. लेकिन उनके बेटे भी लगभग पौने तीन लाख वोट से चुनाव हारे.
2019 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले एक दूसरा राज्य जहां कांग्रेस की सरकार बनी थी वह मध्य प्रदेश था. कांग्रेस 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल कर सत्ता में आय़ी थी. बीजेपी की सरकार चली गयी थी. मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के कुछ महीने बाद लोकसभा का चुनाव हुआ. मध्यप्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं. इनमें से 28 सीटे बीजेपी ने जीत ली थीं. राज्य में सरकार चला रही कांग्रेस को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली. तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ ने जीत हासिल की थी.
2018 में ही छत्तीसगढ़ में भी विधानसभा चुनाव हुआ था. ये वो राज्य था जहां कांग्रेस को लगभग तीन-चौथाई बहुमत हासिल हुआ था और उसने सरकार बनायी थी. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कुल 90 सीटों में से 68 सीट जीतकर सरकार बनायी थी. अगले साल वहां लोकसभा चुनाव हुआ. छत्तीसगढ़ में लोकसभा की 11 सीटें हैं. बीजेपी ने इसमें से 9 सीट जीत लिया था. भारी बहुमत के साथ सूबे में राज कर रही कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें मिली थी.
पांच साल पुराने आंकड़े बताते हैं कि किसी राज्य के विधानसभा चुनाव परिणाम से लोकसभा चुनाव परिणाम का आकलन कर लेना सही नहीं है. लिहाजा सिर्फ कर्नाटक में बीजेपी की हार को अगले लोकसभा चुनाव में मोदी की हार से जोड़ देना जल्दबाजी होगी. वैसे इसी साल कई और राज्यों में चुनाव होने हैं. उनमें छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान शामिल है. इनमें से एक में बीजेपी की सरकार है तो दो राज्यों में कांग्रेस सत्ता में है. इन राज्यों में होने वाले विधानसभा का चुनाव परिणाम वाकई दिलचस्प होगा.