DESK : 10 महीने के बाद जब पिछले सप्ताह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान से टेलीफोन पर बात हुई थी, तब ये अंदाजा लगाया जा रहा था कि दोनों नेताओं के बीच की दूरियां मिट रही है. लेकिन चिराग पासवान ने फिर से साफ कर दिया है कि वे अपनी बात से मुकरने वाले नहीं है. चिराग पासवान ने साफ साफ कहा है कि बिहार में अब किसी एक व्यक्ति का एजेंडा नहीं चलने वाला है. एनडीए की तीन पार्टियां अगर साथ मिल कर चुनाव लड़ने जा रही हैं तो एजेंडा तीनों का होगा. यानि कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाना होगा. वह भी चुनाव से पहले. चिराग ने फिर कहा कि बिहार में अभी चुनाव कराने का वक्त नहीं है, लिहाजा चुनाव टाल देना चाहिये.
नीतीश का 7 निश्चय हमार एजेंडा नहीं
एक अंग्रेजी अखबार को दिये गये इंटरव्यू में चिराग पासवान ने कहा कि बिहार में NDA या ऐसे किसी गठबंधन की सरकार बनेगी जिसमें लोक जनशक्ति पार्टी शामिल होगी तो कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के आधार पर बनेगी और चलेगी. देश में चल रही हर गठबंधन सरकार कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर चल रही है. ये अलग बात है कि बिहार में रातों रात मुख्यमंत्री ने महागठबंधन छोड़कर एनडीए का दामन थाम लिया. अब सरकार उसी एजेंडे पर चल रही है जो आरजेडी-कांग्रेस और जेडीयू यानि महागठबंधन का एजेंडा था.
चिराग पासवान ने कहा कि 7 निश्चय उनका एजेंडा नहीं हो सकता. ये एनडीए का भी एजेंडा नहीं है. ये वो एजेंडा है जिसे आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस ने मिलकर बनाया था. यही मेरे लिए चिंता का कारण है. मैं अपना एजेंडा चाहता हूं जो एनडीए का एजेंडा हो. हालत तो ये है कि बिहार में एनडीए की सरकार है और केंद्र सरकार के CAA-NRC के फैसले के खिलाफ नीतीश कुमार ने विधानसभा से प्रस्ताव पास करा लिया.
चिराग पासवान ने कहा कि वे ऐसी किसी सरकार में क्यों शामिल होंगे जिसमें उनके एजेंडे का नोटिस ही नहीं लिया जाये या उनकी उपेक्षा की जाये. वे बिहार में उसी गठबंधन के साथ रहेंगे जो चुनाव से पहले कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाये. चुनाव बाद की कौन जानता है. जो आज नहीं पूछ रहे हैं वो चुनाव होने के बाद क्या पूछेंगे.
बिहार में चुनाव टलना ही चाहिये
चिराग पासवान ने कहा कि वैसे तो बिहार में चुनाव कराने को लेकर आखिरी फैसला चुनाव आयोग को लेना है लेकिन एक जिम्मेदार पार्टी होने के नाते वे आयोग को जमीनी हकीकत से अवगत करा रहे हैं. चिराग ने कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग को लिख कर दे दिया है कि वे बिहार के करोड़ों लोगों को खतरे में नहीं डाल सकते. चुनाव होगा तो उससे पहले चुनाव प्रचार होगा. सोशल डिस्टेंसिंग के बीच चुनाव प्रचार, रैली, नुक्कड सभा कैसे होगा ये मेरी समझ से परे की बात है. हर जन प्रतिनिधि जनता से मिलना चाहेगा, इसके लिए सभा-रैलियां होंगी और फिर बड़ी आबादी कोरोना के संकट में फंसेगी. चिराग ने कहा
“आप जान बूझ कर लोगों को मौत के मुंह में नहीं डाल सकते.”
हमने BJP को सब बता दिया है
चिराग पासवान ने कहा कि चुनाव को लेकर उनकी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से बात हुई है. उन्होंने नड्डा जी को बता दिया है कि बिहार में अभी चुनाव कराने के लिए सही वक्त नहीं है. हमने बीजेपी को चुनाव को लेकर एलजेपी के स्टैंड से रूबरू करा दिया है.
हमें कमजोर समझने की भूल न करें
चिराग पासवान ने कहा कि कोई ऐसा नहीं समझे कि हम चुनाव से भाग रहे हैं. मैं साफ साफ बता देना चाहता हूं कि लोक जनशक्ति पार्टी बिहार की सभी यानि 243 सीटों पर चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है. लेकिन हमारी जनता के प्रति जिम्मेवारी भी है. हम सिर्फ चुनाव लड़ने के लिए नहीं हैं बल्कि जनता की रक्षा करने की जिम्मेवारी भी हमारी ही है.
वर्चुअल प्रचार संभव ही नहीं
चिराग पासवान ने कहा कि वर्चुअल प्रचार की बात बिहार के करोडो गरीबों के साथ भद्दा मजाक होगा. बिहार के कितने लोग वर्चुअल माध्यम से जुड़े हैं. अगर कोई वर्चुअल प्रचार कर चुनाव कराने की बात करता है तो उसे ये आंकड़ा देना चाहिये. कितने लोगों के पास इंटरनेट है, कितने लोग इस टेक्नोलॉजी को समझते हैं.
विधायक नहीं समझते वर्चुअल प्रचार
चिराग पासवान ने कहा कि बिहार सरकार ने अभी कोरोना की स्थिति की जानकारी देने के लिए सभी जिलों को जनप्रतिनिधियों के साथ वर्चुअल मीटिंग करने का निर्देश दिया है. ऐसी ही एक वर्चुअल मीटिंग जमुई में हुई. मैं तो सांसद के तौर पर मौजूद था लेकिन जमुई जिले के चार में से सिर्फ एक विधायक उसमें शामिल हुए. मैंने जब डीएम से पूछा कि तीन विधायक क्यों नहीं हैं तो डीएम ने कहा कि संभवतः विधायक इस टेक्नोलॉजी से सही से अवगत नहीं हैं इसलिए वे वर्चुअल मीटिंग में शामिल नहीं हो पाये.
बिहार में 6 महीने के लिए राष्ट्रपित शासन क्यों नहीं लग सकता
चिराग पासवान ने कहा कि संसद का सत्र होना है. दोनों सदन मिलाकर उसमें तकरीबन 800 सांसदों को भाग लेना है. उसके लिए ढेर सारे एहतियात बरते जा रहे हैं. हम लोगों के साथ भेदभाव नहीं कर सकते. सांसद कोरोना से बचाव के लिए सुरक्षा के घेरे में रहें और लोगों को खतरे में डाल दें, ये सही नहीं है. जनता की सुरक्षा सोंच कर ही तो चुनाव आयोग ने बिहार में उप चुनाव टाल दिया है. ऐसी क्या परेशानी है कि बिहार में 6 महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाकर चुनाव नहीं टाला जा सकता है. जनता के हित के लिए ये किया जाना चाहिये.